अमरीकी फुटबॉल के खिलाड़ियों में सिर पर बार-बार लगने वाली चोटों की वजह से तंत्रिका विघटन सम्बंधी तकलीफ (क्रॉनिक ट्रॉमेटिक एलसेफेलोपैथी यानी सीटीई) ज़्यादा होती है। यह बात करीब 10 साल पूर्व सबसे पहले कही गई थी। उस समय अमेरिका की नेशनल फुटबॉल लीग ने इस तरह का अनुसंधान करने वालों पर सवाल खड़े किए थे और सबूतों को छिपाने की कोशिश की थी। उसके बाद से इसके प्रमाण बढ़ते गए हैं और अब एक अध्ययन ने काफी पुख्ता प्रमाण प्रस्तुत किए हैं। इससे पहले 2013 में बोस्टन वि·ाविद्यालय की न्यूरोपैथॉलॉजिस्ट एन. मेक्की और उनके साथियों ने 68 पुरुष एथलीट्स और फौजियों की पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर दर्शाया था कि सिर पर लगने वाले चोटों और सीटीई का कुछ सम्बंध है। उन्होंने तब सीटीई को पहचानने के लक्षण भी बताए थे।

जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित हाल का अध्ययन 202 मृत फुटबॉल खिलाड़ियों के मस्तिष्क के अध्ययन पर आधारित है। इन सारे खिलाड़ियों ने अपने मस्तिष्क शोध के मकसद से एक मस्तिष्क बैंक को दान कर दिए थे। शोधकर्ताओं ने इन सारे खिलाड़ियों के विस्तृत मेडिकल रिकॉड्र्स प्राप्त किए, उनके मस्तिष्कों का आयतन नापा और फिर उनका विच्छेदन करके सीटीई सम्बंधी लक्षण पहचानने का प्रयास किया।
उक्त 202 खिलाड़ियों में से 177 में मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर सीटीई पहचाना गया था। इनमें से बड़ी संख्या में मस्तिष्क में भी सीटीई के लक्षण पहचाने गए।

इस अध्ययन के आधार पर इतना तो स्पष्ट है कि खेल के दौरान सिर पर लगने वाली चोट का सम्बंध सीटीई से है किंतु शोधकर्ताओं ने ऐसा स्पष्ट निष्कर्ष निकलने के विरुद्ध चेताया भी है। उनका कहना है कि उनके पास मस्तिष्कों का जो नमूना था वह पूर्वाग्रह से ग्रस्त था क्योंकि मस्तिष्क का दान उन्हीं खिलाड़ियों या उनके परिवारों ने किया था जिन्हें सीटीई होने की आशंका थी। इसका मतलब है कि यह नमूना शायद सामान्य समूह का प्रतिनिधित्व नहीं करता।
फिर भी शोधकर्ताओं के मुताबिक इस अध्ययन के आधार पर इतना तो कहा ही जा सकता है कि आगे और अध्ययन की ज़रूरत है। उनका मत है कि ज़रूरत पड़ने पर खेल के नियमों में परिवर्तन के बारे में भी सोचा जाना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)