अमेज़न के वर्षावनों की एक पहेली यह है कि यहां समुद्री नम हवाओं के आगमन से 2-3 माह पूर्व ही बरसात शुरू हो जाती है। अब लगता है कि शोधकर्ताओं ने इस गुत्थी को सुलझा लिया है कि समुद्री नम हवाओं के आगमन से पहले ही यहां बरसात कैसे होने लगती है।

वैसे सैद्धांतिक स्तर पर वैज्ञानिकों को जवाब का अंदेशा पहले से था किंतु कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक रॉन्ग फू द्वारा किए गए अध्ययन ने सशक्त प्रायोगिक प्रमाण उपलब्ध कराए हैं। पहले किए गए अनुसंधान से पता चला था कि अमेज़न के जंगलों के ऊपर वायुमंडल में नमी की मात्रा काफी जल्दी बढ़ने लगती है। मगर यह पता नहीं चल पाया था कि यह नमी आती कहां से है। उपग्रह से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि नमी में यह वृद्धि और जंगल में हरियाली की वृद्धि साथ-साथ होते हैं। इसके आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान था कि यह नमी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान पैदा हुई जल वाष्प की वजह से है।

फू का विचार था कि यह संभव है कि पेड़ों द्वारा मुक्त जल वाष्प ही अमेज़न में कम ऊंचाई वाले बादलों का निर्माण करती हो। वे इस विचार के लिए प्रमाण की खोज में थे। और इस खोज में उनको मदद मिली हाइड्रोजन के एक समस्थानिक से। दरअसल पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का यौगिक है। प्रकृति में अधिकांश हाइड्रोजन का परमाणु भार 1 होता है किंतु थोड़ी कम मात्रा में हाइड्रोजन का एक समस्थानिक पाया जाता है जिसका परमाणु भार 2 होता है। पानी का अणु भार वैसे तो 18 होता है किंतु यदि पानी के किसी अणु में भारी वाला हाइड्रोजन हो, तो उसका अणु भार ज़्यादा होता है। इसे भारी पानी कहते हैं। प्राकृतिक रूप से पानी में ये दोनों तरह के अणु पाए जाते हैं।

जब समुद्र से पानी भाप बनकर उड़ता है तो कम अणु भार वाला पानी थोड़ा ज़्यादा वाष्पशील होता है और इसलिए समुद्र के पानी से बनी भाप में भारी पानी का अनुपात कम होता है। दूसरी ओर जब प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पानी मुक्त होता है तो उसमें हल्का व भारी पानी अपने प्राकृतिक अनुपात में ही पाए जाते हैं। इसका मतलब है कि समुद्र के पानी से पैदा हुई भाप तथा प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से पेड़ों से पैदा हुई भाप में हल्के-भारी का अनुपात अलग-अलग होना चाहिए।

नासा के औरा उपग्रह से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि अमेज़न के वातावरण में जो नमी शुरुआत में आती है, उसमें भारी पानी की मात्रा अधिक होती है। इससे तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह नमी समुद्री हवाओं के साथ नहीं बल्कि वहीं के पेड़ों में से निकलकर वातावरण में संचित हुई है। यानी अमेज़न के पेड़ स्वयं बारिश करवाते हैं और मौसम के नियमन में सक्रिय भूमिका अदा करते हैं। (स्रोत फीचर्स)