वह दिन दूर नहीं जब दवाइयों को शरीर में सही जगह और सही ढंग से पहुंचाने के लिए सूक्ष्म रोबोटों का इस्तेमाल किया जाएगा। ये रोबोट सूक्ष्म मोटरें हैं जिनकी साइज़ हमारे बाल की मोटाई से ज़्यादा नहीं है। फिलहाल बात अनुसंधान के स्तर पर है किंतु इस अनुसंधान का मार्गदर्शन कर रहे कैलिफोर्निया वि·ाविद्यालय के जोसेफ वांग का कहना है कि एक अवधारणा को साबित करने के लिए किया गया यह प्रयोग यात्रा का पहला कदम है।
शोधकर्ताओं ने पांच दिनों तक चूहों को एंटीबायोटिक दवाइयों की नियमित खुराक देने के लिए इन सूक्ष्म मोटरों का इस्तेमाल किया। ये चूहे आमाशय के संक्रमण से पीड़ित थे। पांच दिन के बाद देखा कि इन चूहों की स्थिति में सामान्य ढंग से दवा देने की अपेक्षा ज़्यादा सुधार हुआ था।

दरअसल, ये सूक्ष्म मोटरें और कुछ नहीं, मैग्नीशियम से बने महीन गोले हैं। इनके ऊपर कई परतें चढ़ाई गई हैं ताकि ये सुरक्षित रहें। इसके अलावा इन पर एंटीबायोटिक का लेप किया गया है। जब इन्हें निगला जाता है तो आमाशय में मौजूद अम्ल मैग्नीशियम से क्रिया करता है और हाइड्रोजन बनती है। हाइड्रोजन के छोटे-छोटे बुलबुले निकलते हैं जो इन नन्हें गोलों को इधर-उधर धकेलते हैं, ठीक वैसे ही जैसे किसी गुब्बारे में से निकलती हवा उसे आगे की ओर धकेलती है।

इन गेंदों पर जो एंटीबायोटिक औषधि की परत होती है वह अम्लीयता के प्रति संवेदी होती है। जब मैग्नीशियम आमाशय में अम्ल से क्रिया करता है तो वहां की अम्लीयता थोड़ी कम हो जाती है। जैसे ही अम्लीयता कम होती है, एंटीबायोटिक मुक्त होने लगती है। यदि अम्लीयता कम न हो तो एंटीबायोटिक तथा अन्य प्रोटीन आधारित औषधियां नष्ट हो जाती हैं। इसीलिए आमाशय में संक्रमण का उपचार करने के लिए एंटीबायोटिक के साथ अम्लीयता कम करने की दवाइयां भी लेनी पड़ती हैं। इन दवाइयों में प्रमुख है प्रोटॉन पंप अवरोधक। मगर इसके अपने साइड प्रभाव होते हैं। वांग और उनके साथियों द्वारा विकसित इस नई तकनीक का फायदा यह है कि इसमें अम्लीयता स्वत: ही कम होती जाती है।

दवा बंद करने के 24 घंटे के अंदर चूहों के आमाशय में अम्लीयता वापिस सामान्य स्तर पर लौट आई थी। इसके अलावा ये सूक्ष्म मोटरें अधिकांश ऐसे पदार्थों से बनाई गई हैं जो शरीर में विघटित हो जाते हैं। इसलिए पेट में इनकी वजह से किसी हानिकारक असर की आशंका भी नहीं है। शोध पत्र (नेचर कम्यूनिकेशन्स) में बताया गया है कि अगला कदम थोड़े बड़े जंतुओं पर प्रयोग करके इंसानों पर परीक्षण की ओर बढ़ने का होगा। (स्रोत फीचर्स)