किसी व्यक्ति को जम्हाई लेते देख हममें से कई लोगों का मुंह अपने आप चौड़ा होने लगता है। और सिर्फ मनुष्य ही ऐसा नहीं करते। चिम्पैंज़ी और शेर जैसे कई सामाजिक जीव भी संक्रामक जम्हाई का शिकार हैं। लगता है कि अन्य कशेरुकी जीव भी शरीर की आंतरिक प्रक्रियाओं के नियमन के लिए जम्हाई लेते हैं।
स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ न्यू यॉर्क पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट के जीव विज्ञानी एंड्र्यू गैलप के अनुसार जम्हाई की शुरुआत 40 करोड़ वर्ष पूर्व जबड़े वाली मछलियों के विकास के साथ हुई। एंड्र्यू पिछले कई वर्षों से जम्हाई की गुत्थी सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। एनिमल बिहेवियर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में उन्होंने बताया है कि कैसे जम्हाई हमें सुरक्षित रखने के लिए विकसित हुई है। जम्हाई की उपयोगिता के बारे में गैलप से हुई बातचीत को यहां प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्न: क्या जम्हाई लेने से रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है या यह सिर्फ एक मिथक है?
उत्तर: यह सच नहीं है। यह मिथक काफी लंबे समय से प्रचलित है जबकि इस विषय में किए गए शोध का निष्कर्ष है कि श्वास और जम्हाई का नियंत्रण अलग-अलग तंत्रों द्वारा किया जाता है। इसमें समुद्री जीवों द्वारा जम्हाई लेना सबसे दिलचस्प उदाहरण है। ये तो पूरी तरह से पानी में है यानी सांस नहीं ले रहे हैं।
प्रश्न: तो जम्हाई वास्तव में शरीर पर कैसा प्रभाव डालती है?
उत्तर: जम्हाई वास्तव में एक जटिल प्रक्रिया है। यह विभिन्न परिस्थितियों और तंत्रिका-कार्यिकीय परिवर्तनों के कारण आती है। यह मुख्य रूप से किसी परिवर्तन के दौरान घटित होती है, आम तौर पर जब सोते से जागते हैं या नींद आने लगती है। शोध से यह भी पता चलता है मस्तिष्क में कॉर्टिकल उत्तेजना के साथ जम्हाई की शुरुआत होती है। तो हो सकता है कि जम्हाई की भूमिका सतर्कता बढ़ाने में हो।
शोध से तो यह भी पता चला है कि मस्तिष्क के तापमान में वृद्धि होने से जम्हाई आती है। इस संदर्भ में मनुष्यों के अलावा पक्षियों व अन्य स्तनधारियों पर भी प्रयोग किए गए हैं।
प्रश्न: इन अध्ययनों से क्या पता चलता है?
उत्तर: इन अध्ययनों से पता चलता है कि हम अपने परिवेश के तापमान और मस्तिष्क तथा शरीर के तापमान में परिवर्तन करके जम्हाई की आवृति में परिवर्तन ला सकते हैं। चूहों में किए गए अध्ययन से पता चला है कि मस्तिष्क के तापमान में वृद्धि से जम्हाई आती है और उसके बाद मस्तिष्क का तापमान कम हो जाता है।
प्रश्न: क्या सभी जीव एक ही तरह से जम्हाई लेते हैं?
उत्तर: हमने इस विषय में बड़े पैमाने पर तुलनात्मक अध्ययन किए हैं। इन अध्ययनों में हमने 100 से अधिक स्तनधारी जीवों और पक्षियों की जम्हाइयों को रिकॉर्ड किया। हमने पाया कि किसी जीव की साइज़ कुछ भी हो, जम्हाई की अवधि और उसके मस्तिष्क की जटिलता और विशालता में स्पष्ट सकारात्मक सम्बंध होता है।
प्रश्न: जम्हाई के सम्बंध में सबसे आश्चर्यजनक बात इसकी संक्रामकता है। क्या सभी जीवों में जम्हाई का संक्रामक होती है?
उत्तर: अभी तक हम स्वत:स्फूर्त जम्हाई के बारे में चर्चा कर रहे थे जो कार्यिकीय रूप से संचालित होती हैं। संक्रामक जम्हाई किसी दूसरे की जम्हाई को देखकर या सुनकर आती है और इसे केवल मनुष्य या अन्य अत्यधिक सामाजिक प्रजातियों में देखा गया है। इस संदर्भ में व्यक्ति-व्यक्ति के बीच अंतर होते हैं। कुछ लोग अत्यधिक संवेदनशील होते हैं जबकि कई लोगों पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता है।
प्रश्न: इस विविधता के क्या कारण होते हैं?
उत्तर: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि व्यक्तिगत सहानुभूति में भिन्नता इस विविधता में योगदान देती है। यदि हम किसी को जम्हाई लेते हुए देखते हैं और हमारे भीतर भी यही प्रतिक्रिया शुरू होती है तो यह एक तरह से सहानुभूति का एक बुनियादी संकेत हो सकता है। हालांकि, कई अन्य अध्ययन इस सम्बंध को दिखाने में विफल रहे हैं और मेरे विचार में सवाल अभी खुला है।
प्रश्न: किसी को जम्हाई लेते देख हमें क्यों जम्हाई आती है?
उत्तर: मेरे विचार में संक्रामक जम्हाई सामूहिक व्यवहार के तालमेल के लिए विकसित हुई है। जम्हाई अक्सर दिन के विशेष समय के दौरान आती है, जब आम तौर पर कोई गतिविधि की जा रही हो या किसी कार्य में परिवर्तन किया जा रहा हो। एक संभावना है कि यह समूह के भीतर सतर्कता बढ़ाने के लिए विकसित हुई है। इसका मूल तर्क यह है कि यदि जम्हाई इस बात का संकेत है कि कोई व्यक्ति कम सक्रिय अनुभव कर रहा है तो अन्य व्यक्ति उसकी कम सतर्कता की भरपाई करने के लिए स्वयं की सतर्कता को बढ़ा सकते हैं। इस तरह से संक्रामक जम्हाई से समूह की सतर्कता बढ़ सकती है।
पिछले साल किए गए अध्ययन में मैंने इसका परीक्षण भी किया था। इस अध्ययन में हमने पहले व्यक्तियों को जम्हाई लेते या किसी अन्य तरह से मुंह हिलाते हुए लोगों के विडियो दिखाए। फिर उन्हें भयसूचक उद्दीपन (सांपों के चित्र) या गैर-भयसूचक उद्दीपन (मेंढक के चित्र) दिखाए। हमने यह रिकॉर्ड किया कि इसके बाद वे कितनी तेज़ी से इन (भयजनक/गैरभयजनक) चित्रों में फर्क कर पा रहे हैं। हमने पाया कि किसी व्यक्ति को जम्हाई लेते देखने के बाद सांपों को पहचानने और ताड़ने की क्षमता में तेज़ी से सुधार हुआ। हालांकि, जम्हाई के वीडियो देखने के बाद भी मेंढकों की पहचान करने की क्षमता में कोई फर्क नहीं पड़ा।
प्रश्न: आप दिन भर जम्हाई के बारे में पढ़ते, लिखते, सोचते रहते हैं। तो आप क्या दिन भर जम्हाई लेते रहते हैं?
उत्तर: जब शुरू-शुरू में मैं इससे सम्बंधित साहित्य का अध्ययन करता या नोट्स तैयार करता या शोध पत्र लिखता, तो पूरे समय जम्हाई लेता रहता था। लेकिन धीरे-धीरे मैं इसका आदी हो गया। मैं अभी भी जम्हाई लेता हूं लेकिन प्रयोगशालाओं में उपयोग किए जाने वाले उद्दीपनों को देखकर कोई असर नहीं होता है। (स्रोत फीचर्स)