फौजा सिंह वर्ष 2011 में टोरंटो मैराथन की 42 कि.मी. लंबी दौड़ सिर्फ 8 घंटे में पूरी कर सबसे उम्रदराज़ मैराथन धावक बन गए थे। सिंह उस समय सौ वर्ष के थे, और वे आज भी सक्रिय हैं। अच्छी बात है कि इस असाधारण क्षमता वाले वे अकेले नहीं हैं। कुछ लोग 70, 80 और 90 की उम्र में भी एथलेटिक प्रशिक्षण लेते हैं और प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेते हैं।
अब, वैज्ञानिकों को अंदाज़ा मिला है कि कुछ लोग अधिक उम्र में भी शारीरिक रूप से इतने सक्रिय कैसे रहते हैं। मांसपेशियों की बायोप्सी से पता चला है कि सुस्त वृद्धजनों की तुलना में चुस्त वृद्धजनों की कोशिकाओं में 800 से अधिक प्रोटीन का स्तर भिन्न होता है। इनमें से कई प्रोटीन माइटोकॉन्ड्रिया से सम्बंधित हैं। माइटोकॉन्ड्रिया हमारी कोशिकाओं में श्वसन से सम्बंधित उपांग होता है।
पूर्व में वैज्ञानिकों ने यह तो पता लगा लिया था कि शारीरिक गतिविधियों का माइटोकॉन्ड्रिया पर प्रभाव पड़ता है। पाया गया था कि जो लोग प्रतिदिन लगभग 30 मिनट व्यायाम करते हैं, उनके शरीर में सुस्त लोगों की तुलना में माइटोकॉन्ड्रिया को ऊर्जा देने वाले प्रोटीन अधिक बनते हैं।
लेकिन ये प्रोटीन सक्रिय वृद्धों में करते क्या हैं, यह जानने के लिए फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के मांसपेशी जीव विज्ञानी रसेल हेपल ने कुछ असाधारण मैदानी प्रयोग किए। अध्ययन में लगभग 80 वर्ष के 15 एथलीट शामिल थे। इनमें से आधे एथलीट छोटी दौड़ के धावक थे, और आधे लंबी दौड़ के। और इनमें से कई अपनी उम्र के दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धावक रहे थे। तुलना के लिए 80 वर्ष के 14 गैर-एथलीट व्यक्ति भी अध्ययन में शामिल किए गए थे।
शोध में प्रतिभागियों का संतुलन, चलने की गति और ऑक्सीजन खपत नापी गई। प्रत्येक प्रतिभागी की जांघ के बाहरी वाले हिस्से की सबसे लंबी पेशी (वेस्टस लेटरेलिस) के ऊतक के नमूने भी लिए गए।
तरल क्रोमेटोग्राफी और मास स्पेक्ट्रोमेट्री की मदद से शोधकर्ताओं को गैर-एथलीट्स की तुलना में एथलीट्स में लगभग 800 प्रोटीन का स्तर भिन्न मिला। लगभग आधे प्रोटीन माइटोकॉन्ड्रिया से सम्बंधित थे - कोशिका श्वसन और माइटोकॉन्ड्रिया की संख्या को बढ़ाने जैसे कार्यों से।
जहां कुछ प्रोटीन्स अधिक मात्रा में बने थे वहीं कुछ प्रोटीन की मात्रा घट भी गई थी। जैसे एथलीट्स की कोशिकाओं में स्प्लाइसियोसोम नामक संरचना से जुड़े प्रोटीन्स कम हो गए थे। यह कोशिका में उम्र बढ़ने के कुछ प्रभावों से बचाता है। यह एक प्रमाण है कि एथलीट वृद्धों की कोशिकाएं बाकी लोगों की कोशिकाओं की तरह बुढ़ाती नहीं।
जिन प्रोटीन की पहचान हुई है उनमें से अधिकांश प्रोटीन हर उम्र के एथलीट्स में अधिक मात्रा में मिलते हैं। लेकिन माइटोकॉन्ड्रिया से जुड़े 176 प्रोटीन सिर्फ 80 की उम्र वाले एथलीट्स में मिले हैं, और संभवत: इतनी अधिक उम्र में एथलीट्स बने रहने के लिए यही ज़िम्मेदार हैं। ये नतीजे ईलाइफ में रिपोर्ट हुए हैं।
इन प्रोटीन्स का जंतु मॉडल्स पर अध्ययन करने की योजना है और उम्मीद है कि किसी दिन मांसपेशियों की दुर्बलता से निपटने के लिए उपाय और उपचार मिल सकेंगे । (स्रोत फीचर्स)