आम तौर पर माना जाता है कि समुद्री घास के फूल पराग कणों को एक से दूसरे फूल तक पहुंचाने के लिए पानी के बहाव पर निर्भर रहते हैं। पराग कणों का नर फूल से मादा फूल तक पहुंचना लैंगिक प्रजनन के लिए अनिवार्य है। इस क्रिया को परागण कहते हैं और जलमग्न वनस्पतियों में इसे सम्पन्न करने में पानी की धाराओं का ही सहारा रहता है। मगर अब मेक्सिको के नेशनल ऑटोनॉमस विश्वविद्यालय की ब्रिजिटा फान टसेलब्रूक ने इस बात के प्रमाण प्रस्तुत किए हैं कि संभवत: इस पर्यावरण में भी परागण में अकशेरुकी जंतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
टसेलब्रूक ने समुद्री घास (टर्टल ग्रास) के वीडियो में देखा कि कुछ अकशेरुकी जंतु टर्टल घास के फूलों के आसपास मंडरा रहे हैं। अधिकांशत: तो वे पराग कणों को खा रहे थे मगर कुछ पराग कण उनके शरीर पर चिपक रहे थे। इसने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि शायद ये जंतु इन पराग कणों को दूसरे फूलों तक पहुंचाते होंगे।

टसेलब्रूक और उनके साथियों ने अपनी प्रयोगशाला में दो टंकियों में टर्टल घास उगाई और उनमें से एक में समुद्र का ऐसा पानी डाला जिसमें छोटे-छोटे जंतु थे। देखा गया कि जिस टंकी में जंतु डाले गए थे उनमें जल्दी ही मादा फूलों पर पराग कण नज़र आने लगे। 15 मिनट के अंदर मादा फूलों पर कई सारे पराग कण इकट्ठे हो गए थे जबकि बगैर जंतु वाली टंकी में ऐसा कुछ नहीं देखा गया।
प्रयोग में यह भी देखा गया कि जब पानी रुका हुआ होता है तब भी जंतुयुक्त टंकी में परागण की क्रिया सम्पन्न हो जाती है। ऐसा लगता है कि ये परागणकर्ता पराग की गंध और स्वाद से आकर्षित होकर टर्टल घास के फूलों पर पहुंचते हैं। यहां ये पराग कण उनके शरीर पर चिपककर अन्य फूलों पर पहुंच जाते हैं और पौधे का काम हो जाता है।

यह पहली बार है कि किसी समुद्री वनस्पति में जंतु-परागण देखा गया है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि टर्टल घास के प्रजनन में इसका कितना महत्व है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या टर्टल घास एक अपवाद है। गौरतलब है कि टर्टल घास के फूल काफी बड़े होते हैं। देखने वाली बात यह होगी कि क्या छोटे-छोटे फूलों वाले समुद्री पौधों में भी जंतु-परागण होता है। यदि ऐसा है, तो समुद्री इकॉलॉजी में एक नई जटिलता जुड़ जाएगी। इस पर आगे शोध जारी है। (स्रोत फीचर्स)