सन 2011 में मंगल गृह के ढलानों पर गहरे रंग की धारियों की खोज के बाद से, खगोलविदों को लाल ग्रह की सतह के नीचे पानी की उपस्थिति के संभावित प्रमाण ने उत्साहित कर दिया था। वास्तव में अगर पानी मिल जाता है तो, सूक्ष्मजीव स्तर पर ही सही, जीवन की कल्पना की जा सकती है।

लेकिन इन आवर्ती ढलान धारियों (रेकरिंग स्लोप लाइन - आरएसएल) के अध्ययन से अब नए तथ्य सामने आए हैं। नेचर जिओसाइंस में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार ये आरएसएल वास्तव में रेत और धूल जैसे कणीय पदार्थों के प्रवाह का परिणाम हो सकती हैं। यह अध्ययन मार्स ऑर्बाइटर के कैमरे से प्राप्त तस्वीरों की मदद से अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, ग्रहीय विज्ञान संस्थान, एरिज़ोना विश्व विद्यालय और इंग्लैण्ड के डरहम विश्व विद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।

गर्मियों में मंगल ग्रह पर ये धारियां हज़ारों की संख्या में प्रकट होती हैं और ठण्ड का मौसम आते-आते फीकी पड़ने लगती हैं। ये मंगल के सबसे अंधेरे क्षेत्रों में, खड़ी चट्टानी ढलान पर पाई जाती हैं, जैसे विषुवत रेखा, उत्तरी मैदान, दक्षिणी मध्य-अक्षांश।
उनकी मौसमी उपस्थिति देखकर लगता है कि पानी बह रहा है लेकिन वैज्ञानिक इस बात से हैरान थे कि केवल ढलानों के शीर्ष पर पानी कैसे इकट्ठा हो सकता है। वैसे भी मंगल पर तरल पानी की उपस्थिति के अनुकूल माहौल नहीं है।

शोधकर्ताओं ने 10 विभिन्न स्थानों पर 151 आरएसएल का अध्ययन करने पर पाया कि सभी में एक समान परिणाम देखने को मिलते हैं - ढलान चाहे जितनी लंबी हो, सारी धारियां एक ही बिंदु पर समाप्त होती हैं। अगर ये धारियां पानी के बहाव से बनी होती तो लंबी ढलानों पर लंबी धारियां देखने को मिलतीं। यह तो ऐसा लगता है जैसे टीलों पर रेत सरकती है। यह भी देखा गया कि हल्की ढलानों पर आरएसएल नहीं हैं। यह भी तरल पदार्थ के बहाव का नहीं, बल्कि रेत जैसे पदार्थ के बहने का लक्षण है।

परंतु इस अध्ययन के मुख्य लेखक कोलिन डूंडस के अनुसार उनके अध्ययन का आशय यह नहीं है कि मंगल पर पानी हो ही नहीं सकता। ऐसे अन्य प्रमाण मौजूद हैं जिनसे वहां पानी की उपस्थिति के संकेत मिलते हैं। ग्रह की सतह के नीचे और ध्रुवों पर काफी बर्फ है। इसके अलावा जलशोषी लवण वातावरण में से पानी सोखकर तरल रूप धारण कर सकते हैं। पहले के कई अध्ययन मंगल पर तरल पानी की उपस्थिति के संकेत दे चुके हैं। ताज़ा अध्ययन सिर्फ इतना इशारा करता है कि संभवत: मंगल की बाहरी सतह पर तरल पानी नहीं है। (स्रोत फीचर्स)