एक ताज़ा अध्ययन से पता चला है कि पिछले 45 वर्षों में सबसे बड़े भृंग (बीटल्स) के आकार में 20 प्रतिशत की कमी आई है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इन कीटों की साइज़ में यह परिवर्तन पूरे इकोसिस्टम को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
भृंगों की साइज में हो रहे परिवर्तन का अध्ययन कनाडा के ब्रिाटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय की पारिस्थितिकीविद मिशेल त्सेंग और उनके स्नातक छात्रों ने किया है। सबसे पहले उन्होंने शोध साहित्य को खंगालकर यह पता किया कि भृंगों को अलग-अलग तापमान पर पालने का उनकी साइज़ पर क्या असर होता है। प्रयोगशाला में किए गए ऐसे 19 अध्ययनों में बताया गया था कि कम से कम 22 भृंग प्रजातियों की साइज़ तापमान बढ़ने पर घटती है। कुल मिलाकर, तापमान प्रति एक डिग्री बढ़ने पर साइज़ 1 प्रतिशत कम हो जाती है।

अब त्सेंग और उनके छात्र देखना चाहते थे कि प्राकृतिक परिवेश में क्या होता है। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय में वर्ष 1800 से संरक्षित रखे गए 6 लाख कीट नमूनों का सहारा लिया। नमूनों को कोई नुकसान न पहुंचे इसलिए उन्होंने साढ़े 6 हज़ार से ज़्यादा कीटों के फोटो खींचकर उनका अध्ययन किया। ये नमूने 8 प्रजातियों के थे। साइज़ का अंदाज़ा लगाने के लिए उन्होंने कीटों के कठोर पंख आवरण का मापन किया। इस आवरण को एलिट्रा कहते हैं और यह कीट की साइज़ का ठीक-ठाक अनुमान देता है।

नाप-तौल करने पर पता चला कि पिछली एक सदी में इन 8 में से 5 प्रजातियों की साइज़ में कमी आई है। जर्नल ऑफ एनिमल इकॉलॉजी में प्रकाशित शोध पत्र में त्सेंग और उनके छात्रों ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने साइज़ पर असर डालने वाले अन्य कारकों पर भी ध्यान दिया है। जैसे बारिश की मात्रा, भोजन की उपलब्धता में उतार-चढ़ाव वगैरह। किंतु टीम का मत है कि सबसे अधिक असर तो बढ़ते तापमान का ही दिखता है।
त्सेंग और उनके छात्रों का कहना है कि कीटों की साइज़ में गिरावट के कई महत्वपूर्ण असर हो सकते हैं। जैसे छोटे कीट कम पराग कण एकत्र करते हैं, वे गोबर को निपटाने का काम भी धीमी गति से करते हैं। इन बातों का असर अन्य जंतु प्रजातियों पर पड़े बगैर नहीं रहेगा।

वैसे अन्य शोधकर्ताओं का मत है कि त्सेंग के अध्ययन के आधार पर पक्का नहीं कहा जा सकता कि साइज़ में गिरावट तापमान बढ़ने के कारण ही हो रही है। दूसरी ओर, मछलियों पर किए गए अध्ययन भी बता रहे हैं कि पानी का तापमान बढ़ने पर बड़ी मछलियों की साइज़ घटती है। (स्रोत फीचर्स)