आए दिन नकली नोट या फर्जी दस्तावेज़ों की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। शोधकर्ताओं ने एक ऐसी स्याही तैयार कर ली है जिससे नकली नोट, फर्जी दस्तावेज़ों और नकली दवाओं के उत्पादन को रोका सकता है।
जालसाज़ी के कारण दवा कंपनियों और वित्तीय क्षेत्र को काफी नुकसान होता है। इन नुकसान से बचने के लिए फिलहाल कार्बनिक रंजक और अर्धचालक क्वाटंम बिंदुओं का उपयोग करके सुरक्षा कोड विकसित किए जाते हैं जिन्हें तोड़ पाना मुमकिन नहीं है। किंतु कार्बनिक रंजकों के साथ दिक्कत यह है कि ये समय के साथ विघटित होते हैं और क्वाटंम बिंदु विषैले होते हैं।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी.एस.आई.आर.) की दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिक बिपिन कुमार गुप्ता और उनके साथियों ने बेहतर सुरक्षा स्याही विकसित की है। इस स्याही का इस्तेमाल सुरक्षा कोड विकसित करने के लिए किया जाएगा। दुर्लभ मृदा तत्वों की नैनो छड़ों और ज़िंक और मैंग्नीज़ से बने प्रकाश उत्सर्जित करने वाले ठोस पदार्थों के मिश्रण को पोलीमर-आधारित स्याही में मिलाकर इस स्याही को तैयार किया है। यह स्याही कितनी कारगर है इसे जांचने के लिए शोधकर्ताओं ने काले पेपर पर इस स्याही की मदद से खास सुरक्षा कोड प्रिंट करके देखा है।

इस स्याही से मुद्रित कागज़ को जब पराबैंगनी किरणों और इंफ्रारेड लेसर प्रकाश में रखा जाता है तो यह स्याही लाल और पीला प्रकाश उत्सर्जित करती है। नैनो छड़ें लाल और ज़िंक और मैंग्नीज़ से बने ठोस पीले रंग के प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं।
इस स्याही का उपयोग करके कुछ चिन्हों के लिए खास काले कागज़ पर सुरक्षा कोड विकसित करने में सफलता मिली है। वैज्ञानिक अब मोबाइल आधारित स्कैनर के लिए सुरक्षा स्याही बनाने की योजना बना रहे हैं। (स्रोत फीचर्स)