कई फिल्मी कहानियों में टैटू यानी गोदनों ने गुत्थियां सुलझाई है। बचपन में गुदवाए गए गोदने लगभग आजीवन टिकते हैं। वैज्ञानिकों के बीच यह एक सवाल रहा है कि आखिर इन गोदनों की स्याही घुलकर बह क्यों नहीं जाती। अब लगता है कि इस सवाल का जवाब मिला है और साथ ही टैटू को साफ करने की एक तकनीक का सुराग भी।

टैटू त्वचा की ऊपरी परत यानी एपिडर्मिस या बाह्रत्वचा के ठीक नीचे वाली परत में उकेरे जाते हैं। एक खास किस्म की स्याही को एपिडर्मिस के नीचे वाली परत में इंजेक्ट किया जाता है और यह स्याही वहां बनी रहती है। फ्रेंच नेशनल इंस्टीट¬ूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च की सैंड्रीन हेनरी और उनके साथी त्वचा में पाई जाने वाली प्रतिरक्षा कोशिका मैक्रोफेज की उत्पत्ति तथा कामकाज का अध्ययन करते हैं। उनकी रुचि टैटू को समझने में नहीं बल्कि यह समझने में है कि त्वचा की मैक्रोफेज कोशिकाएं प्रतिरक्षा तंत्र की अन्य कोशिकाओं के साथ किस तरह की अंतर्क्रिया करती हैं। मगर संयोगवश उनके अनुसांधान से टैटू को समझने में मदद मिली है।

दी जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन में प्रकाशित शोध पत्र में उन्होंने बताया है कि चूहों में विशेष किस्म की मैक्रोफेज कोशिकाएं होती हैं। जब रंजक के अणुओं को संग्रह करके रखने वाली कोशिकाएं मरती हैं तो ये मैक्रोफेज उन कणों को निगल लेते हैं। वैसे हेनरी व उनके साथियों द्वारा किए गए प्रयोग यह भी दर्शाते हैं कि शायद मैक्रोफेज स्वयं सीधे भी टैटू की स्याही को जमा करके रख लेते हैं।

मामले का अध्ययन करने के लिए हेनरी की टीम ने चूहों का उपयोग किया। सबसे पहले उन्होंने कुछ चूहों के त्वचा-मैक्रोफेज में इस तरह के परिवर्तन किए कि उनके मैक्रोफेज पर डिप्थीरिया विष को जोड़ने वाले ग्राही निर्मित हो गए। इसका मतलब था कि यदि उन चूहों को डिप्थीरिया विष का इंजेक्शन दिया जाएगा तो ये मैक्रोफेज चुन-चुनकर मारे जाएंगे। इसके बाद उन्होंने चूहों की पूंछ में एक चमकने वाली स्याही इंजेक्ट की तो देखा कि वास्तव में यह स्याही मैक्रोफेज में जमा हुई है। तब शोधकर्ताओं ने डिप्थीरिया विष देकर इन मैक्रोफेज को मार डाला।
जैसी कि उम्मीद थी, मैक्रोफेज तो मारे गए किंतु आश्चर्य की बात थी कि स्याही उसके बाद भी महीनों तक टिकी रही जबकि स्याही को ग्रहण करने वाले सारे मैक्रोफेज की जगह नए मैक्रोफेज ने ले ली थी।

ऐसा लगता है कि टैटू की स्याही जैसे ही एक मैक्रोफेज से मुक्त होती है, दूसरा मैक्रोफेज उसे निगल लेता है। जैसे ही कोई मैक्रोफेज मरता है, उसमें संग्रहित स्याही आसपास बिखरती है जिसे तत्काल दूसरा मैक्रोफेज ग्रहण कर लेता है। दरअसल मैक्रोफेज का काम ही कोशिकाओं के मलबे को साफ करना है।
इस संदर्भ में दो बातें गौरतलब हैं। पहली तो यह कि ये मैक्रोफेज त्वचा में बहुत कम विचरण करते हैं बल्कि एक ही स्थान पर बने रहते हैं। इसलिए स्याही के साथ ये वहीं टिके रहते हैं। दूसरी बात यह है कि टैटू में उपयोग की जाने वाली स्याही के कण बहुत बड़े होते हैं, जिसकी वजह से वे बहकर लसिका ग्रंथियों तक नहीं पहुंच पाते। और इस बीच कोई मैक्रोफेज उन्हें निगल लेता है।

तो टैटू को हटाने का एक तरीका यह हो सकता है कि इन मैक्रोफेज की क्रिया को रोक दिया जाए ताकि स्याही को बहकर लसिका ग्रंथियों तक पहुंचने का समय मिले जहां से उसे शरीर से बाहर किया जा सके। (स्रोत फीचर्स)