वनस्पति वैज्ञानिकों की एक टीम ने पश्चिम बंगाल के उत्तरी पर्वतीय जंगलों में एक नई पादप प्रजाति की खोज की है। यह नई प्रजाति ड्रायपेटेस नामक वंश की सदस्य है। विश्व में इस वंश की करीब 220 प्रजातियां पाई जाती हैं। वैसे यह वंश प्रमुख रूप से एशिया और अफ्रीका के कटिबंधीय व उप-कटिबंधीय क्षेत्रों में फैला हुआ है। उल्लेखनीय है कि नई प्रजाति का नाम भूतपूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलाम के नाम पर ड्रायपेटेस कलामी रखा गया है।

खोज का ब्यौरा फायटोटैक्सा नामक जर्नल में देते हुए नेशनल हर्बेरियम, भारतीय वनस्पति वैज्ञानिक सर्वेक्षण के गोपाल कृष्णा व साथियों ने बताया है कि नई प्रजाति एक शाक है जिसमें नर व मादा पौधे अलग-अलग होते हैं। यह उपकटिबंधीय, नम तथा अर्ध-सदाबहार जंगलों में 50-100 मीटर की ऊंचाई पर छायादार जगहों पर पनपता है।
दरअसल, गोपाल कृष्णा और उनके साथी पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र में स्थित बक्सा राष्ट्रीय उद्यान तथा जल्दापारा राष्ट्रीय उद्यान में फूलधारी पौधों का सर्वेक्षण कर रहे थे। बक्सा राष्ट्रीय उद्यान में उन्हें नई प्रजाति के मात्र 30 नर पौधे देखने को मिले जबकि जल्दापारा राष्ट्रीय उद्यान में कुछ नर पौधों के अलावा 20 मादा पौधे भी मिले।

वैसे तो भारत में ड्रायपेटेस वंश की लगभग 20 प्रजातियां पाई जाती हैं किंतु यह नई प्रजाति इस मायने में अलग है कि यह झाड़ीनुमा है और इसकी पत्तियां खास संरचना लिए होती हैं। इस पर हरे और हल्के पीले फूल झुंड में लगते हैं और इसके फल नारंगी-लाल से लेकर लाल तक होते हैं।

एक खास बात यह है कि नई प्रजाति उस पादप समूह से है जिसमें कई औषधीय पौधे पाए जाते हैं। इस समूह के पौधों का उपयोग एशिया व अफ्रीका में खूनी पेचिश, हड्डी के विकारों, साइनस की सूजन, गठानों व घावों के उपचार में पारंपरिक रूप से किया जाता है। इनमें से कई पौधों के रस में से ऐसे रसायन प्राप्त किए गए हैं जिनमें दर्द निवारक गुण तथा रक्त शर्करा पर नियंत्रण जैसी संभावनाएं नज़र आई हैं।
यदि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के निर्देशों के अंतर्गत देखा जाए, तो यह नई प्रजाति खोजे जाने के साथ ही अत्यंत जोखिमग्रस्त की श्रेणी में आती है। (स्रोत फीचर्स)