समुद्र में सैकड़ों मीटर की गहराई पर रहने वाली एक स्टारफिश खोजी गई है। इसकी विशेषता यह है कि इसकी आंखें पूरी तरह विकसित हैं। आम तौर पर इतनी गहराई में सतह से कोई रोशनी नहीं पहुंच पाती और यहां घुप अंधेरा रहता है। यहां जो जीव रहते हैं वे अपनी रोशनी खुद उत्पन्न करते हैं जिसे जैव-दीप्ति कहते हैं। इनमें कुछ वैम्पायर स्क्विड्स, एंगलर फिश, जेली मछलियां वगैरह शामिल हैं।

जो नई स्टारफिश खोजी गई है उसकी हर भुजा के सिरे पर एक-एक सुविकसित आंख है। इस आंख की मदद से वह जैव-दीप्त जंतुओं को खोज-खोजकर उनका शिकार करती है और संभोग-साथी की तलाश भी करती हैं। वैसे उथले पानी में रहने वाली स्टारफिश में तो आंखें होती ही हैं मगर इतनी गहराई के अंधेरे में कामकाजी आंख की खोज एक आश्चर्य की बात है।

शोधकर्ताओं ने ग्रीनलैण्ड के तट पर गहरे पानी में स्टारफिश की 13 प्रजातियों की जांच की। पता चला कि 320 मीटर की गहराई में रहने वाली एक को छोड़कर बाकी सब में कार्यक्षम आंखें मौजूद हैं। प्रोसीडिंग्स ऑफ दी रॉयल सोसायटी बी में प्रकाशित अपने शोध पत्र में टीम ने इनमें से एक स्टारफिश नोवोडिनिया अमेरिकाना के बारे में बताया है कि उसकी आंखें काफी अच्छी छवि निर्मित कर सकती हैं। और तो और, नोवोडिनिया अमेरिकाना अपने पूरे शरीर से प्रकाश का उत्सर्जन करती है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि जैव-दीप्ति और कार्यक्षम आंखों की उपस्थिति मिलकर इस स्टारफिश को न सिर्फ शिकार करने बल्कि अपने साथियों से संपर्क बनाने में भी मददगार होगी। यदि यह सही है तो यह पहली बार होगा कि स्टारफिश में इस तरह के जटिल व्यवहार की खोज की गई है। (स्रोत फीचर्स)