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खलिहान अबाबील – रोहन चक्रवर्ती
खलिहान अबाबील और पहाड़ी लोगों के रिश्ते की एक झलक रोहन चक्रवर्ती के अन्दाज़ में...

लॉकडाउन के वक्त – घुटन, भाग-2  – अंजलि
चित्र: शुभम लखेरा
‘तालाबन्दी में बचपन’ नामक इस कॉलम में हर माह दिल्ली की अंकुर संस्था से जुड़े किसी बच्चे का संस्मरण होता है। इस बार पढ़िए नौवीं कक्षा की अंजलि के लॉकडाउन के दौरान घर पर बिताए समय के अनुभव। 

भूलभुलैया
चित्र: शुभम लखेरा
दिए गए कई रास्तों में से सही रास्ते को चुनने की जद्दोजहद।  

दक्कन के दो काले पत्थर – अमन
चित्र: प्रशान्त सोनी
'चलने' को लेकर अब्बा और बिटिया के बीच का एक दिलचस्प संवाद। एक बानगी देखिए:
“बहुत तेज़ चलने वाले कहाँ जाते हैं?”
“बहुत तेज़ चलने वाले बहुत दूर जाते हैं।”

दरार में पैदा हुआ बचपन – तेजी ग्रोवर
फोटो: तेजी ग्रोवर

अपने बचपन को याद करते हुए तेजी लिखती हैं कि:
“मेरे अब्बू कराची से अपनी जान बचाते हुए सीमा पार के शहर अमृतसर पहुँचने में सफल हुए थे। वे हम बच्चों को कई बार अलग-अलग ढंग से बताते थे कि सिर पर किताबों से भरी पेटी लादे, वे बँटे हुए देश में इस ओर कैसे आए। यह भी कि रास्ते में कहीं बाढ़ भी आई हुई थी। बढ़ते पानी से बचते-बचाते वे अचानक कई लोगों से घिर गए। उनका बचकर निकल पाना नामुमकिन था…”

मज़े की बात है – राजेश उत्साही
चित्र: नीलेश गहलोत
 

एक पेड़ है
पेड़ के पत्ते हैं... 
राजेश उत्साही की एक मज़ेदार कविता।

भूरीबाई चित्तरकाज – शम्पा शाह
चित्र:
भूरीबाई
इस लेख में आप भूरीबाई के शुरुआती जीवन से लेकर चित्रकारी की दुनिया तक के उनके सफर और उनकी चित्र शैली के बारे में जानेंगे। साथ ही आपको भूरीबाई के कुछ लुभावने चित्र भी देखने को मिलेंगे।

क्यों-क्यों
इस कॉलम में हर बार हम बच्चों से एक सवाल पूछते हैं जिसका जवाब उन्हें सही-गलत की परवाह किए बिना अपने मन से देना होता है। इस बार का सवाल था: तुमने कई अलग-अलग किरदारों की कहानियाँ पढ़ी-सुनी होंगी। उनमें से तुम्हारा पसन्दीदा किरदार कौन है, और क्यों?
कई बच्चों ने अपने दिलचस्प जवाब हमें भेजे। इनमें से कुछ आपको यहाँ पढ़ने को मिलेंगे। साथ ही बच्चों के बनाए कुछ चित्र भी देखने को मिलेंगे।

म्यूज़िकल मैना – नेचर कॉन्ज़र्वेशन फाउंडेशन

हमारे आसपास ऐसा बहुत कुछ है जिसे हम देखते तो हैं, लेकिन अमूमन उस पर गौर नहीं करते। इन पन्नों में प्रकृति में पाई जाने वाली ऐसी ही तमाम चीज़ों के बारे में दिलचस्प जानकारियों के साथ कुछ छोटी-छोटी मज़ेदार गतिविधियाँ भी होती हैं।
इस बार इन पन्नों में आप मैनाओं के बारे में जानेंगे।

संख्याविहीन लोग – द कॉन्वर्ज़ेशन ऑनलाइन
क्या संख्याओं के बिना हम अपने जीवन की कल्पना कर सकते हैं? शायद नहीं। पर ऐसे कुछ लोग हैं जो संख्याओं का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इस लेख में आपको ऐसे ही संख्याविहीन लोगों के बारे में पढ़ने के लिए मिलेगा।

भविष्य में जीवों का रंग बदलेगा – स्रोत फीचर्स
उन्नीसवीं सदी में किए गए इस दावे पर अब बहस छिड़ गई है कि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी जानवरों के रंग-रूप में किस तरह के बदलाव लाएगी। इस बारे में और विस्तार से जानने के लिए पढ़िए यह लेख...

नज़मा स्कूल आई – चन्दन यादव
चित्र: हबीब अली

कड़कड़ाती ठण्ड में एक दिन जब गिरिधर जी स्कूल पहुँचे तो देखा अभी तक एक भी बच्‍चा नहीं आया था। वे खुश हुए कि इस भीषण ठण्‍ड में पढ़ाना नहीं पड़ेगा। तभी नज़मा स्कूल आ गई। कहानी में आगे क्या हुआ, जानने के लिए पढ़िए...

तुम भी जानो
इस बार जानिए:
बतख के साथ वॉक
मार्स रोवर

मेरा पन्ना
वाकया – सोसाइटी में घोटाला, घड़ी की मरम्मत
कविता – खुरई का पार्क
लेख – मेरी साइकिल, गाँव की सैर
और बच्चों के बनाए कुछ खूबसूरत चित्रों से सजे पन्ने। 

माथापच्ची
कुछ मज़ेदार सवालों और पहेलियों से भरे दिमागी कसरत के पन्ने।

चित्रपहेली
चित्रों में दिए इशारों को समझकर पहेली को बूझना।

कागज़ पर पेड़ – तनिष्का हतवलने, चौथी, भोपाल, मध्य प्रदेश
चित्र: युवी
, दसवीं, उमंग पाठशाला, गन्नौर, हरयाणा 

पेड़ों पर तनिष्का की एक छोटी-सी कविता...

छाया – विनोद पदरज
चित्र: तविशा सिंह

‘फिर सूर्य अस्त हो जाता है
और पेड़ रह जाता है
पेड़ की छाया जैसा पेड़
और पेड़ की छाया चली जाती है
और मैं भी चला जाता हूँ’