भारत के पहले स्वदेशी पुन: उपयोग के योग्य अंतरिक्ष यान  ङख्र्ज्-च्र्क़् क्तकज्र्-01 का हाल ही में परीक्षण किया गया है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुसंधान में किफायत के संदर्भ में देश के लिए यह दूसरा मील का पत्थर है। इस पुन: उपयोगी यान से उम्मीद है कि यह महंगे प्रक्षेपण उपग्रहों की लागत को कम करेगा।
भारत में अतंरिक्ष शोध की शुरुआत 1920 के दशक में एस.के. मित्रा, सी.वी. रामन और मेघनाथ साहा जैसे वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों से हुई थी। मगर संस्थागत अंतरिक्ष गतिविधियों ने राष्ट्र का ध्यान 1940 से 50 के दशक के बाद ही आकर्षित किया था। शुरुआत में अंतरिक्ष अनुसंधान वायुमंडल, मौसम की भविष्यवाणी और आसपास के चुंबकीय क्षेत्र जैसे पहलुओं तक सीमित रहा।
भारत ने अंतरिक्ष में पहला मील का पत्थर 1962 में रखा था जब नेह डिग्री ने विक्रम साराभाई के साथ भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना की थी। INCOSPAR की स्थापना के बाद सबसे पहला रॉकेट प्रक्षेपण नवम्बर 1963 में किया गया था।
1969 में INCOSPAR ही भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्थान (इसरो) बना। अपनी स्थापना के बाद 47 सालों में इसरो ने कई नवाचार किए हैं, टेक्नॉलॉजी विकसित की हैं और कई स्वदेशी प्रक्षेपण किए हैं। इसरो की स्थापना से लेकर अब तक अर्जित कुछ उपलब्धियां -
1975 - पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट रूसी रॉकेट के ज़रिए छोड़ा गया। इसने भारत को उपग्रह तकनीक और डिज़ाइन के सम्बंध में सीखने में मदद की।

1975 - इसरो ने नासा के साथ मिलकर टीवी प्रसारण के लिए अंतरिक्ष संचार प्रणाली विकसित की। यह सेटेलाइट इंस्ट्रक्शन टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट (SITE) नामक प्रोजेक्ट के रूप में सामने आई। एक साल के इस प्रोग्राम में गांवों को कवर किया गया था। इस उपग्रह प्रसारण का उद्देश्य शिक्षा में उपग्रह टेक्नॉलॉजी का आकलन करना था।
1976-77 - SITE के क्रम को आगे बढ़ाते हुए सेटेलाइट टेलीकम्युनिकेशन एक्पेरीमेन्ट प्रोजेक्ट (SITE) शुरु किया गया। जिसका उद्देश्य घरेलू संचार को बढ़ावा देना था।
1980 - पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से हुआ था। SLV-3 ने रोहिणी उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया था। भारत छठवां अंतरिक्ष यात्री राष्ट्र बना।
1983 - SITE और SITEP के साथ प्रयोग करने के बाद भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (INSAT) को प्रसारण, दूरसंचार, मौसम विज्ञान और बचाव कार्य पर काम करने के लिए तैनात किया था। यह एशिया प्रशांत की सबसे बड़ी घरेलू संचार प्रणाली है। अगले कुछ दशकों में बड़ी संख्या में उपग्रह अंतरिक्ष में पहुंचाए गए।
1984 - इंडो-सोवियत मानव अंतरिक्ष मिशन भेजा गया था। राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे।
1987 - दि ऑगमेंटेड सेटेलाइट लॉन्च वेहिकल (ASLV) प्रोग्राम च्ख्र्ज्-3 की अपेक्षा ज़्यादा बड़े पैलोड को संभाल सकता था और किफायती था। मार्च 1987 से इस प्रोग्राम के अंतर्गत चार डेवलपमेंटल फ्लाइट हुईं।
2008 - अक्टूबर 2008 में इसरो ने पहला चंद्र मिशन लॉन्च किया। चंद्रयान को सतीश धवन स्पेस सेंटर द्वारा भेजा गया और अगस्त 2009 तक ऑपरेट किया गया। चंद्रयान-2 सन 2018 तक भेजने की योजना है।
2014 - मंगलयान किसी अन्य ग्रह पर जाने वाला भारत का पहला मिशन था। इसरो मंगल पर पहुंचने वाली चौथी स्पेस एजेंसी बन गई है। आज की तारीख तक मंगलयान विश्व का सबसे सस्ता मंगल मिशन रहा है। (स्रोत फीचर्स)