युनाइटेड किंगडम सरकार को इस बात के लिए अदालत का सामना करना पड़ेगा कि वह वायु प्रदूषण को संभालने में असफल रही है। एक पर्यावरण समूह क्लाएन्ट-अर्थ ने वहां के हाई कोर्ट में याचिका दायर की है कि अदालत सरकार को आदेश दे कि वह वायु की गुणवत्ता के संदर्भ में ज़्यादा कारगर व बेहतर योजना बनाए।
यह याचिका हवा में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड नामक गैस की उपस्थिति से सम्बंधित है। यह गैस हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स की संभावना में वृद्धि करती है और सांस सम्बंधी समस्याओं को जन्म देती है। नाइट्रोजन डाईऑक्साइड मूलत: सड़क यातायात के कारण हवा में घुलती रहती है।
याचिका में कहा गया है कि युरोपीय संघ ने 1999 में हवा में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड की सीमा तय की थी और यह कानून 2010 में प्रभावी हो गया था। मगर आज भी युरोप के अधिकांश हिस्सों में इस सीमा का उल्लंघन जारी है। युरोप के कई शहरों में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का स्तर विश्व के अन्य शहरों के मुकाबले अधिक है क्योंकि युरोप में अधिकांश कारें डीज़ल पर चलती हैं। यूके में 43 में से 37 क्षेत्र इस सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं।

पूर्व में यह मामला युरोपीय अदालत के समक्ष आया था जिसने यह फैसला सुनाया था कि राष्ट्रीय अदालतें वायु प्रदूषण को कानूनी सीमा में रखने के लिए सरकारों को कार्रवाई का आदेश दे सकती हैं। तब यह मुकदमा वापिस यूके के सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा। सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 में पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिया कि वह लोगों के साथ विचार-विमर्श के बाद जल्दी से जल्दी ‘तत्काल कार्रवाई’ की ठोस योजना बनाए। मगर खास कुछ हुआ नहीं है। अभी तो विचार-विमर्श की प्रक्रिया भी ठीक से शु डिग्री नहीं हो पाई है।
क्लाएन्ट-अर्थ और अन्य अभियानकर्ताओं का कहना है कि सरकार जानबूझकर ढील दे रही है क्योंकि उसका मानना है कि जैसे-जैसे पुराने डीज़ल वाहनों का स्थान नए डीज़ल वाहन लेंगे, समस्या स्वत: हल हो जाएगी। मगर इसमें एक दिक्कत है - विभिन्न अध्ययन बताते हैं कि नई डीज़ल कारें पुरानी कारों की अपेक्षा कहीं ज़्यादा नाइट्रोजन डाईऑक्साइड छोड़ती हैं। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक एकमात्र हल यह है कि डीज़ल कारों को पूरी तरह सड़कों से हटा दिया जाए। इसके अलावा ट्रक और कार में भी परिवर्तन करना होंगे ताकि वे कम प्रदूषण फैलाएं।
बहरहाल, इस मुकदमे से इतना स्पष्ट है कि प्रदूषण नियंत्रण की सीमाएं सिर्फ कागज़ की शोभा बढ़ाने के लिए नहीं हैं, उन पर अमल करना भी ज़रूरी है। (स्रोत फीचर्स)