लुइसा हेरिसन अपने बच्चे के बारे में बताती हैं कि उनका बच्चा बहुत कम शब्द बोल पाता था लेकिन स्कूल-पूर्व ऑटिज़्म संप्रेषण परीक्षण या पालकों के ज़रिए ऑटिज़्म पीड़ित बच्चों के लिए सामाजिक संप्रेषण प्रशिक्षण यानी PACT प्रोग्राम के ज़रिए उसके बोलने के कौशल में इज़ाफा हुआ है। साथ ही मुख्यधारा स्कूल में ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चों के लिए विशेष प्रावधान के अंतर्गत उसका दाखिला हो गया।
इस प्रोग्राम के अंतर्गत पूरे एक साल के दौरान विशेषज्ञ माता-पिता की उनके बच्चों के साथ बातचीत का वीडियो लेते हैं। फिर वे इस परस्पर क्रिया का विश्लेषण करते हैं और माता-पिता को सलाह देते हैं कि वे अपने संप्रेषण कौशल को कैसे बेहतर बनाएं ताकि वे बच्चे की ज़रूरतों और छुपे संकेतों को देखते हुए प्रतिक्रिया दे सकें।

लुइसा का कहना है कि यह थेरपी एप्लाइड व्यवहार थेरपी से कहीं बेहतर है क्योंकि इसमें आप बच्चे के जीवन में ज़्यादा हस्तक्षेप नहीं करते और इसमें काफी गर्मजोशी होती है। दूसरी ओर, व्यवहार परिवर्तन उपचारों में बच्चों को कुछ व्यवहारगत लक्ष्यों तक पहुंचने पर पुरस्कृत किया जाता है।
एक बार जब आप अपने आप को वीडियो में देखने की शर्मिंदगी से पार पा लेते हैं तो यह बहुत ही रचनात्मक ढंग से ज्ञानवर्धक होता है। जब विशेषज्ञ वीडियो का विश्लेषण करते हैं, खास तौर से स्लो मोशन में, तो कई सारी महत्वपूर्ण बातें पता चलती हैं। आपको अपने बच्चे के मूड्स और संवेदनशीलता का एहसास होने लगता है और सही समय पर प्रतिक्रिया देने का महत्व समझ में आता है।
ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चों के लिए तनाव का एक कारण यह होता है कि वे कुछ करने या कहने का दबाव महसूस करते हैं और यह प्रोग्राम उस परिस्थिति में माता-पिता को बेहतर तरीके से आगे बढ़ना सिखाता है। आपको एक ऐसी जगह बनानी है जहां आप साथ-साथ हों मगर बच्चे पर बातचीत करने का कोई दबाव न हो, क्योंकि ऑटिज़्म की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ भी करने के लिए दबाव नहीं डाल सकते।

उदाहरण के तौर पर लुइसा के बेटे फ्रेंक को एक के बाद एक गुज़रती स्ट्रीट लाइट देखना पसंद है। इस घ्ॠक्च्र् प्रोग्राम के तहत लुइसा ने यह सीखा कि कैसे इस परिस्थिति को दूसरे ढंग से देखा जा सकता है। यह पूछने की बजाय कि अगला खंभा कौन-सा होगा, उसने कहा कि यह तो चलता ही जा रहा है। जहां पहला सवाल बच्चे को चुनौती देता है वहीं दूसरी बात संवाद को जारी रखने का काम करती है। दरअसल, इस कार्यक्रम को कई परिवार अपना सकते हैं क्योंकि यह इस बात पर निर्भर है कि आप अपने बच्चे के साथ काम करते हुए पता करें कि कौन-सी चीज़ काम करती है। इसके लिए किसी विशेष हुनर की ज़रूरत नहीं है। यह तो आपके सहज बोध का विस्तार मात्र है। (स्रोत फीचर्स)