हाल ही में एक कांच मेंढक की खोज की गई है जो इतना पारदर्शी है कि आप सीने के बाहर से ही उसका धड़कता दिल देख सकते हैं। किंतु इस मेंढक (Hyalinobatrachium yaku) की खोज होने से पहले ही यह जोखिमग्रस्त प्रजाति की श्रेणी में आ गया है। कारण है कि इसके प्राकृत वास का तेज़ी से क्षरण हो रहा है।
इस मेंढक की खोज की घोषणा ज़ू-कीस नामक शोध पत्रिका में की गई है। इसकी खोज इक्वेडोर में अमेज़न की निचली भूमि में मैदानी अवलोकनों और डीएनए के अनुक्रमण के आधार पर की गई है। यह एकदम अनोखी शरीर रचना और व्यवहारगत लक्षणों का धनी है। इसकी पीठ पर हरे धब्बे हैं और इसकी प्रणय पुकार तथा प्रजनन सम्बंधी व्यवहार के आधार पर लगता है कि यह एक नई प्रजाति है। यह अपने अंडे नदी-नाले के ऊपर स्थित किसी पेड़ की पत्तियों की निचली सतह पर देता है और नर इनकी रक्षा करता है। जब इन अंडों में से टैडपोल निकलते हैं तो वे नीचे पानी में टपक जाते हैं।

सारे कांच मेंढक इतने पारदर्शी नहीं होते कि उनका दिल सीने में से बाहर ही नज़र आता रहे। यह स्पष्ट नहीं कि कांच मेंढक की विभिन्न प्रजातियों की पारदर्शिता में इतना अंतर क्यों होता है किंतु शोधकर्ताओं का मानना है कि यह मेंढक हमें बता पाएगा कि इस पारदर्शिता का जैव विकास में क्या पैटर्न रहा है।
मेंढक जंतुओं के जिस वर्ग में आते हैं उसे उभयचर कहते हैं। देखा जाए तो उभयचर कशेरुकी प्राणियों में सबसे ज़्यादा जोखिमग्रस्त समूह है। अलबत्ता, आज भी इनकी पूरी विविधता की खोज नहीं हो पाई है और प्रति वर्ष 100-200 नई प्रजातियां खोजी जा रही हैं। साथ ही पर्यावरणीय क्षति का सबसे ज़्यादा असर भी यही भुगत रहे हैं। कांच मेंढकों को प्रजनन के लिए साफ पानी चाहिए। थोड़ा-सा भी प्रदूषण इनके लिए खतरा पैदा कर देता है। शोधकर्ताओं का मत है कि नई खोजी गई प्रजाति के लिए सबसे बढ़ा खतरा यह है कि ईंधन तेल उत्पादन ने इनके प्राकृतवास में ज़बर्दस्त घुसपैठ की है और सड़क निर्माण भी तेज़ी से इनके प्राकृत वास को प्रभावित कर रहा है। (स्रोत फीचर्स)