पिछले कुछ वर्षों से जेनेटिक रूप से परिवर्तित खाद्य फसलों को लेकर तीखी बहस जारी है। एक समय पर भारत में बहस के केंद्र में जेनेटिक रूप से परिवर्तित बैंगन (जीएम बैंगन) था। वैसे सरसों को लेकर भी वाद विवाद चल रहा था। इस सारी बहस के बीच भारत की जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (पर्यावरण मंत्रालय) ने जीएम सरसों को उपभोग के लिए सुरक्षित घोषित कर दिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद जल्दी ही मंत्रालय द्वारा इस फसल को उगाने की मंज़ूरी मिल जाएगी।
जीएम सरसों के विकास का काम पिछले एक दशक से चल रहा था। दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. दीपक पेंटल के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने सरसों के जीनोम में मिट्टी में पाए जाने वाले एक बैक्टीरिया बैसिलस एमायलोलिक्वीफेसिएन्स से कई सारे जीन्स जोड़े हैं। इनकी उपस्थिति से सरसों का संकरण करवाना आसान हो जाएगा। आम तौर पर सरसों में स्व-निषेचन होता है जिसके चलते उच्च उपज वाली संकर किस्में तैयार करना कठिन है।

इसके सुरक्षित होने को लेकर विवादों के चलते जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति द्वारा एक समीक्षा प्रक्रिया शुरु की गई थी। इसके लिए पहले एक स्थिति रिपोर्ट जारी की गई थी और उस पर कोई 700 टिप्पणियां प्राप्त हुई थीं। इन टिप्पणियों का अध्ययन करने के बाद समिति ने निर्णय किया कि जीएम सरसों मानव उपभोग के लिए सुरक्षित व पौष्टिक है।
समिति ने निर्णय लिया है कि वह पर्यावरण मंत्रालय को सिफारिश करेगी कि जीएम सरसों को अगले चार वर्षों तक उगाने की अनुमति दे दे। इस सिफारिश के आधार पर अंतिम निर्णय पर्यावरण मंत्रालय लेगा। (स्रोत फीचर्स)