Read Entire MagazineApril 2016

Cover - Illustration by Suddhasattwa Basu
कवर - पेड़ से ज़्यादा भला और कौन जान पा सकता है कि गर्मियाँ किस कदर हैरान कर सकती हैं। वो सड़क किनारे खड़े लोगों को बेतहाशा भागते देखते। वो देखते कि जैसे ही वो पेड़ की छाँव से गुज़रते तो थोड़े धीमे हो जाते। पेड़ों को यह सोचना अच्छा लगता कि वो कुछ देर उसके साथ रहना चाहते हैं। अकेले पेड़ खुश हो जाते। वो प्रेम से भर जाते। वो चाहते कि लोग थोड़ी और देर वहीं खड़े रहें। तो गर्मियों में वो फूल खिला देते। भरी गर्मी में पीले फूल बहुत ठण्डक देते। अमलतास भी इसीलिए गर्मियों में खिलता है। पीली धूप की तपन से बचाते पीले फूल जैसे लोगों के पास तक आना चहाते। इसलिए नीचे की ओर झुक आते। अमलतास धूप को ठण्डक में बदल रहे होते।

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लेकिन अगर ईश्वर पेड़ और फूल है (कविता) - फेर्नादो पेस्सोआ। ईश्वर को हमने रचा। उसके रहने के लिए मन्दिर बनाए। उसके बुत बनाए। अपनी मर्ज़ी से। उस पर फूल, पत्ते चढ़ाए। उस पर पानी चढ़ाया। उस पर रंग चढ़ाए। सब अपनी मर्ज़ी से। और ईश्वर?  ईश्वर क्या सोचता रहा? वो तो हमारे साथ हमारे घर में रहना चाहता था शायद। हमारी रची दूसरी चीज़ों की तरह। वो तो शायद फूल, मिट्टी, पत्थर, पानी बन हमारे काम आना चाहता था। पर हमने उसे अकेला कर दिया। पहले अकेला किया। फिर अपनी मर्ज़ी से उसके पास गए। एक बेहद सुन्दर कविता। जिसे आप बार-बार पड़ना चाहेंगे।

Agar Magar - An interactive column with Gulzar sahab, in which children's ask question to him
अगर-मगर- यह एक नया कॉलम है जिसमें हमारे प्रिय शायर-कवि गुलज़ार साब हर महीने बच्चों के सवालों के जवाब देंगे। आप सभी से गुज़ारिश है कि अपने आसपास के बच्चों के सवाल हमें भेजें जो वे गुलज़ार साब से पूछना चाहते हैं।

Pyare Bhai Ramsahay - A story by Swayam Prakash, Illustration by Atanu Roy
प्यारे भाई रामसहाय - हमारे आसपास ऐसे हज़ारों किरदार होते हैं जो अपनी भर ज़िन्दगी जीते हैं। साधारण ज़िन्दगी। जिस पर हमारा ध्यान कम ही जाता है। हम भी अपनी भर ज़िन्दगी जीते हैं पर उसका एक मूल्य आकते हैं। कभी ज़िन्दगियाँ जीते-जीते हम आमने-सामने आ जाते हैं। अपनी ज़िन्दगी जीते हुए कभी उचककर उनकी ज़िन्दगी का कोई हिस्सा हमारे रास्ते आ गिरता है। तब हम क्या करते हैं? रामसहाय हमारे आसपास के हज़ारों किरदारों से हमारी मुलाकात करवाता है। और वो हमारी ज़िन्दगी में फिर वैसे ही शामिल हो जाते हैं जैसे हमारा जिया कोई पल। गणेशीलाल से मिलकर भी आपको ऐसा ही लगेगा...।

Padhe Likhe ko Farsi kya - A short piece on Galib by Varun Grover, Illustration by Dilip Chinchalkar
पढ़े-लिखे को फारसी क्या? - गालिब भी क्या कमाल के बन्दे थे। शायरी करते करते फारसी सिखाने लगे। आप भी पढ़े कि हिन्दी में जिसे तलवार, मोर, चकोर... कहते हैं उसे फारसी में क्या कहा जाता है गालिब के अन्दाज़-ए-बयान में...

Jholi to Dikhao - A poem by Prabhat, Illustration by Mayukh Ghosh
झोली तो दिखाओ - घूमने जाते हैं। खूब सारा देखते हैं। देखे हुए को साथ लाते हैं। न देखा हुआ भी कुछ साथ चिपका आ जाता है। एक बेहद सुन्दर कविता और उतने ही सुन्दर चित्र...।

Amaltash, Gandhi aur Ahinsa - An article by Shampa Shah, Illustration by Nilesh Gehlot
अमलतास, गाँधीजी और अहिन्सा - मई की आग उगलती गर्मी में अमलता देख गांधी जी का, अहिंसा का विचार आना आपके रोंगटे खड़े कर सकता है। हमें अमलतास की तरह प्रेम करना क्यों नहीं आया? अमलतास ने शायद धूप की गर्मी को कुछ करने के लिए ही उसका कुछ पीलापन धारण कर लिया। एक अद्भुत दृष्टि से रूबरू होंगे आप इस लेख के ज़रिए।

Chocolate - A story by Shamli, Illustration by Soumya Shukla
चॉकलेट - हम आज का जीना अकसर स्थगित कर कल की सोच में रहते हैं। आज है, पर कल अगर न होगा सो उसके इन्तज़ाम में लगे रहते हैं। ऐसे ही लगातार आज खत्म होते जाते हैं। कल आता ही नहीं। कल में जीना हो ही नहीं पाता। आज में भी नहीं हो पाता। न जा पाने का अफसोस हमारा रचा अफसोस है। इक छोटी-सी 12 साल की बच्ची ने इसे पहचाना। और आज में जीना सीखा।

Magru Basfore - Dairy pages of Ravi Basfore, Illustration by Kanak
मँगरू बाँसफोर - हमारे आसपास हज़ारों मँगरू हमारी ज़िन्दगी आसान बनाने के लिए खुद को खत्म करते जा रहे हैं। वो उस गन्दगी को साफ करते हैं जो हम फैलाते हैं। हमारी ज़िन्दगी का कचरा उनकी ज़िन्दगी को गन्दा करता जाता है। और जब वो इस ओर हमारा ध्यान खींचना चाहते हैं तो... एक अत्यंत मार्मिक डायरी के पन्ने।

Operation Theatre - A dairy pages of Alisha from Ankur, Delhi, Illustration by Mayukh Ghosh
ऑपरेशन थिएटर - बच्चे हमारी दुनिया हमसे साझा करते हैं। वो वह सब देखते हैं, महसूस करते हैं जो हम देखते- महसूस करते हैं। पर अकसर हम उन्हें नासमझ मान बैठते हैं। इस कॉलम में हम बच्चों की डायरी के कुछ पन्ने देंगे। आपसे आग्रह है कि आप भी अपने आसपास के बच्चों से डायरी लिखने को कहें।

Cheentiyo ki Dawat - An article by Vinitha Vishawanathan, Illustration by Ashika Harbhanjka
चींटियों की दावत - चींटी क्या खाती होगी?  मीठा?  वेफर्स?  कुछ और?  एक मज़ेदार गतिविधि।

Magh ke megh aur Chand - An article by Padmaja Gungun, Illustration by Nilesh Gehlot
माघ के मेघ और चाँद - माघ नाम सुनते तो लगता मेघ होते होंगे। पर माघ में मेघ न आते। मेघ न आते हों इसलिए माघ हो। माघ में फिर मेघ याद न किया करते। मेघ याद नहीं करने में मेघ हमेशा याद रहते।

Jab Mitthu Matti Bhare - A memoir by Simran Singh, 10 years
जब मिट्ठू माटी भरे घर में छूट गया - दस साल की सिमरन का एक संस्मरण हीरा धुर्वे के चित्र।

Achar Binne gaya - A memoir by Pradhyamani Singh, 12 years
अचार बीनने गए और बाघ मिला – बारह साल की  प्रद्यामणि सिंह का एक संस्मरण, चित्र - हीरा धुर्वे।

Mera Panna - Children’s creativity column
मेरा पन्ना इस बार एक बदले कलेवर में।

Angan mein Bagula - A memoir by Guru Prasad Sharma, Illustration by Dilip Chinchalkar
आँगन में बगुला संस्मरण - एक आम दिन। पर आँगन में आए बगुले ने उसे खास बना दिया। गुरु प्रसाद शर्मा का संस्मरण, दिलीप जी के चित्रों के साथ।

Tik-Tik - An activity, Illustration by Vibhuti pandey
टिकटिक एक गतिविधि - सैकण्ड का सौवां हिस्सा बहुत छोटा होता है। खेलों में इसका बहुत उपयोग होता है। पर क्या हम इतनी छोटी अवधि को स्टॉप वॉच से माप सकते हैं? विवेक मेहता की एक मज़ेदार गतिविधि।

Mathapacchi - Brain Teasers
माथापच्ची - दिमागी कसरत हर बार की तरह।

Jhatpat aur Natkhat - A story by Ramesh Upadhyay, Illustrations by Shailja Jain Chougule
झटपट और नटखट कहानी रमेश उपाध्याय चित्र - शैलजा जैन चौगले छोटे। बच्चों के लिए एक बेहद कल्पनाशील और मज़ेरदार कहानी।

Aur Hathi kya Sochte honge - A book introduction “Beyond Words”, Illustrations by Jagdish Joshi
और हाथी क्या सोचते होंगे - कई बार कोई नया काम सीखने चलें तो चार-पाँच दिन में कोई तरक्की न होती दिखे तो हम मायूस हो जाते हैं। पर कई लोग हैं जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी लगा दी। ऐसी चीज़ों में जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते। बियऑण्ड वड्र्स एक ऐसी ही किताब है जिसमें लोगों ने 20-25 साल अपने पसन्दीदा जानवरों के साथ उन्हीं के रहवास स्थानों पर बिता दिए। एक बहुत ही प्रेरित करनेवाली किताब से मिलिए।

School Ke bhoot ka rahasye - A story by Anoop Mani Tripathi, Illustrations by Dilip Chinchalkar
स्कूल के भूत का रहस्य - स्कूल में लड़कियों का अचानक चक्कर खाकर गिर जाना सबको अचम्भित किए थे। ज़ाहिर है जिस तरह के समाज में रहते हैं उसमें सबसे पहला अपराधी तो भूत ही बना। पर असल कारण जाना तो होश फाख्ता हो गए।

Haji Naji - Fun stories by Swayam Prakash, Illustrations by Atanu Roy
एक था हाजी एक था नाजी - हमेशा की तरह हँसाने-गुदगुदाने आए हैं हाजी-नाजी।

Mitti ke rango ki kahani - Interview of Bhuri Bai, Illustrations by Bhuri Bai
मिट्टी के रंगो की कहानी भूरी बाई से इंटरव्यू। झाबुआ के भीली इलाके में भूरी बाई का बचपन बहुत मुश्किलों में बीता। एक दिन अपने पसन्द के आदमी से शादी कर वो भोपाल आ गर्इं। मज़दूरी करने। यहाँ उन्हें भारत भवन में काम मिला। उसी भारत भवन में मिले उन्हें जे स्वामिनाथन। उन्होंने उनके चित्र देखे और उन्हें चित्र ही बनाने को कहा। और जिस भारत भवन में उन्होंने मज़दूरी की उसी में उनकी प्रदर्शनी लगी। भूरी बाई से चकमक ने बात की। आप भी सुनिए...

Chitrpaheli
चित्र पहेली - चित्र और पहेली दोनों एक साथ।