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कवर- अविस्मरणीय गोपी बिल्ली- निरंजन ढोक
हम सबके जीवन में एक ख़ास दोस्त होता है, जिसकी जगह  कोई भी नहीं ले सकता | वह दोस्त इंसान भी हो सकता और जानवर भी | सातवीं कक्षा के निरंजन की भी एक ऐसी ही ख़ास दोस्त बनी, गोपी बिल्ली | उसी को याद करते हुए उन्होंने यह लेख लिखा है |

कविता– बारिश- पार्थ
बारह वर्षीय पार्थ द्वारा बारिश पर लिखी गई एक कविता |

जातक कथा- बैल और व्यापारी- कुमकुम रॉय
पिछले अंक से शुरू की गई जातक कथा की श्रृंखला में एक और कड़ी आपके लिए पेश है | ये कहानियाँ जानवरों पर केन्द्रित हैं।
इस अंक में प्रस्तुत कहानी हैबैल और व्यापारी | इस कहानी में बोधिसत्त ने एक बैल के रुप में जन्म लिया है। कहानी में उस बैल की सूझबूझ और उसे पालने वाली बुढिया और उसके बीच के प्रेम  का बयान है।

मेरा पन्ना
बच्चों की रचनात्मकता को सलाम करते पन्ने...

फ़िल्म समीक्षा -केदी- सजिता नायर
अक्सर ऐसी फिल्में बनती हैं जो आम फिल्मों से हटकर होती हैं | वजह उनकी कहानी, किरदार, संगीत कुछ भी हो सकता है | ऐसी ही कुछ फिल्मों को इस श्रृंखला द्वारा आपसे साझा किया जा  रहा है |
जब भी जानवरों और इंसानों के बीच दोस्ती की बात होती है तो कुत्तों का नाम सबसे पहले ज़हन में आता है | लेकिन अगर यही बात तुर्की राज्य के इस्तांबुल शहर के लोगों से पूछी जाए तो उनका जवाब कुछ और होगा | यह जानने के लिए लेख पढ़ें , फिल्म का मज़ा लें।

चींटी की आँखों के तारे- सुशील शुक्ल
तारों की रोशनी और चींटियों की परछाई हमें विचारों की किन गहराईयों में ले जा सकते हैं, यह आभास करने  के लिए पढ़ें सुशील शुक्ल का यह संक्षिप्त लेकिन  बेहद खूबसूरत लेख।

शरद ऋतू का आकाश- सी एन सुब्रह्मण्यम्
अक्टूबर और नवम्बर का महीना शरद ऋतू का होता है | कवि कालिदास के इस ऋतु के वर्णन से शुरू होकर इन महीनों में आकाश में प्रमुख रूप से दिखने वाले ग्रह, तारे और नीहारिकाओं के बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें |

कविता- गुड़हल- मंगलेश डबराल
ऑर्किड जैसे कुछ फूल हैं जो महीनों खिले रहते हैं मगर उनके विपरीत ऐसे भी फूल हैं जो कम समय के लिए खिलते हैं। ऐसे ही एक फूल, गुड़हल की तारीफ़ करती है यह कविता | कवि को ऐसे फूल पसंद हैं जो सुबह खिलते हैं और रात होते ही थक कर सो जाएँ | चलते चलते कवि सूरजमुखी पर भी कटाक्ष करते हैं... 

पुस्तक परिचय- पलटवार किताबें- टुलटुल
बिल्कुल छोटी पुस्तकें भी हमें झकझोर सकती हैं और हमारे मन में कई उत्तेजक सवाल छोड़ सकती हैं। टुलटुल इन्हें पलटवार किताबें  कहते  हैं। एकलव्य द्वारा प्रकाशित छः छोटी और सस्ती किताबों का परिचय इस लेख मे है।

तुम भी बनाओ
पिछली बार हमने कागज़ के सारस बनाना सीखा था | उसी श्रृंखला को जारी रखते हुए इस अंक में हम कागज़ के फूल बनाना सीखेंगे |

सूरजमुखी- रुद्राशीष चक्रवर्ती
सूरजमुखी की चर्चा को रुद्राशीष आगे बढ़ाते हुए सवाल करते हैं कि आखिर क्या वास्तव में यह फूल सूर्य की ओर ही मुंह किये रहता है?  क्यों?

गाँव और कलकत्ता- हारून राशिद
बिहार के गांव में बिताई गई छुट्टियां कलकत्ते के छात्र को क्या अनुभव दे सकती हैं? राशिद के इस लेख में पढ़ें।

कहानी- नाचघर- केशों में केसर वन- प्रियम्वद
क्या नाचघर बिकने वाला है? लाकेट में छिपा वह बालों का लट किसका है?प्रियंवद द्वारा लिखी नाचघर की नौवीं क़िस्त |

गूलर- नीना भट्ट
किसी पेड़ के साथ एक ही घर-आंगन में जीवन बिताना एक अद्भुत मगर थकाने वाला अनुभव हो सकता है। उस पेड़ के हजारों चहेतों के रोज का आना-जाना और उनके द्वारा मचाया उधम को झेलना उन्हीं के लिए संभव है जो प्रकृति का आनन्द लेना जानते हैं| शहर के घर के आंगन में दोस्तों के साथ समृद्ध जीवन जीने वाले गूलर के पेड़ का वर्णन नीना भट्ट से सुनें।

माथापच्ची
सवालों की दुनिया से पांच मज़ेदार सवाल |

पढ़ाई का गणित- राजिन्दर हंस गिल
क्या विज्ञान और गणित में लड़कियां भी कैरियर बना सकती ? कैसे? इस अंक औऱ आने वाले अंकों में हम कुछ महिला वैज्ञानिकों की जीवनियां पढ़ेंगे। प्रसिद्ध गणितज्ञ राजिंदर हंस गिल पंजाब के एक छोटे से गाँव में पढ़ाई शुरू करके गणित के एक नये और सीमान्त दायरे में शोध कर रही हैं। वे संख्या और ज्यामिति के संबंधों पर काम कर रही हैं। पंजाब के बड़े से यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनने तक का उनका सफ़र इस लेख में साझा किया जा रहा है | यह लेख उनकी जुबानी है।

मेरा पन्ना
बच्चों की रचनात्मकता को सलाम करते पन्ने...

वलरमदी का रास्ता
आखिर ऐसा क्या हुआ जो तमिलनाडु के सेलम जिले के एक छोटे से गाँव की रहने वाली वलरमदी जेल गई औऱ सुर्ख़ियों में आ गई?

कहानी- बच्चों की एक मुट्ठी में आ सकने वाले दो छोटे पत्थरों को सयाने बाबा काँवर में ढोते हुए- विनोद कुमार शुक्ल
सयाने बाबा काँवर में ढोते हुए कुछ लेकर जा रहे थे | देखकर जान पड़ रहा था जैसे बहुत वज़न उठाकर चल रहे हों | आखिर सयाने बाबा कहाँ जा रहे थे? वो काँवर में क्या लेकर जा रहे थे? देखू और बोलू उनके साथ क्या करेंगे?

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बच्चों की रचनात्मकता को सलाम करते पन्ने...

चित्र पहेली
वही चित्रों के सहारे शब्दों को बुझने की पहेली |