Read entire magazine | Download Magazine

अलविदा सुन्दरलाल बहुगुणा
चित्र: रोहन चक्रवर्ती
सुन्दरलाल बहुगुणा एक महान पर्यावरण-चिन्तक एवं 'चिपको आन्दोलन' के प्रमुख आन्दोलनकारी थे। उन्होंने हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में वन-संरक्षण के लिए बहुत संघर्ष किया। पिछले महीने कोरोना की वजह से उनका निधन हो गया।
चकमक की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि।

पेड़ तुम दर्ज़ी – सुशील शुक्ल
चित्र: कनक शशि
तुमने कितने सिले घोंसले
कितनी सिली हवाएँ
धूप सिली तो बिखर गईं
कतरन-कतरन छायाएँ…

बड़ों का बचपन –  तोहफा – कविता तिवारी
चित्र: कनक शशि
'बड़ों का बचपन' नामक इस कॉलम में हर बार अलग-अलग लोग अपने बचपन का कोई दिलचस्प या यादगार किस्सा साझा करते हैं। यह किस्सा स्कूल के दिनों के एक खास दोस्त और एक खास तोहफे से जुड़ी कुछ खट्टी-मीठी यादों के बारे में है...  

क्यों-क्यों
क्यों-क्यों में इस बार का सवाल था: “कुछ लोगों को कड़वा स्वाद (जैसे कि करेले, काली चाय, कॉफी, डार्क चॉकलेट आदि) क्यों पसन्द होता है?” कई बच्चों ने अपने दिलचस्प जवाब हमें भेजें। इनमें से कुछ आपको यहाँ पढ़ने को मिलेंगे, और साथ ही बच्चों के बनाए कुछ दिलकश चित्र भी देखने को मिलेंगे।

नन्हा राजकुमार : भाग - 1
कहानी एवं चित्र:
  एन्त्वॉन द सैंतेक्ज़ूपेरी
अनुवाद: लाल बहादुर वर्मा

इस अंक से हम एक नया धारावाहिक शुरू कर रहे हैं — नन्हा राजकुमार। यह एक शानदार फ्रेंच लघु उपन्यास ल प्ती प्रैंस का हिन्दी अनुवाद है।
यह कहानी एक पायलट की है जो रेगिस्तान में रास्ता भटक जाता है। फिर उसे एक नन्हा राजकुमार मिलता है। वह राजकुमार कौन है, कहाँ से आया है, जानने के लिए पढ़िए...

तटरेखा को नापना – उमा सुधीर
किसी भी चीज़ का एकदम सही-सही माप बता पाना मुश्किल होता है। अलग-अलग उपकरणों से या अलग-अलग लोगों द्वारा माप लेने पर चीज़ों के माप में थोड़ा बहुत फर्क आ ही जाता है। पैमाने की घट-बढ़ से तटरेखाओं की लम्बाई में किस तरह के बदलाव हो सकते हैं, जानने के लिए पढ़िए यह दिलचस्प लेख।

तालाबन्दी में बचपन – कटे खेतों में बीनना – उमेश कुमार सिंह
चित्र: नीलेश गहलोत
कोरोना के चलते बच्चों का जीवन अभी भी एक तरह से तालाबन्दी में ही है। ‘तालाबन्दी में बचपन’ कॉलम के ज़रिए बच्चे तालाबन्दी के इस दौर के अपने अनुभवों को साझा करते हैं।
इस बार अरण्यावास संस्था, भोपाल के उमेश ने लॉकडाउन के दौरान उनके परिवार पर मँडरा रहे भूखे रहने के डर और इससे निपटने के लिए उनके द्वारा अपनाए गए उपाय के बारे में बताया है। 

फफूँद नेचर कॉन्ज़र्वेशन फाउंडेशन
हमारे आसपास ऐसा बहुत कुछ है जिसे हम देखते तो हैं, लेकिन अमूमन उस पर गौर नहीं करते। इन पन्नों में प्रकृति में पाई जाने वाली ऐसी ही तमाम चीज़ों के बारे में दिलचस्प जानकारियों के साथ कुछ छोटी-छोटी मज़ेदार गतिविधियाँ भी होती हैं।
इस बार इन पन्नों में आप ‘फफूँद’ के बारे में जानेंगे।

जो मैं हूँ – बेंजामिन जिरू
अनुवाद: सुशील शुक्ल
चित्र: उबिता लीला उन्नी
“मैं थोड़ा-सा जुदा हूँ
मैं थोड़ा अलहदा हूँ
क्या तुम भी इस तरह हो”
दस साल के बेन द्वारा 2018 में लिखी गई यह कविता सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। पढ़िए इस कविता का हिन्दी अनुवाद…

मैं भी वहाँ था – रुद्राशीष चक्रवर्ती
अनुवाद: लोकेश मालती प्रकाश

अर्जेंटीना के शानदारी खिलाड़ी मैरोडोना के बारे में तो आपने पढ़ा/सुना होगा ही। इन्द्रजीत हाज़रा के लेख के ज़रिए रुद्राशीष यह बता रहे हैं कि 22 जून, 1986 को मैराडोना द्वारा किए गए दो गोलों में से दूसरा गोल इतना खास क्यों था और उस खास गोल को अपने टीवी पर देख रहे लोगों को उस समय कैसा महसूस हुआ होगा। 

माथापच्ची
कुछ मज़ेदार सवालों और पहेलियों से भरे दिमागी कसरत के पन्ने।

गणित है मज़ेदार – पास्कल त्रिकोण – आलोका कन्हरे
इन पन्नों में हम कोशिश करेंगे कि ऐसी चीज़ें दें जिनको हल करने में आपको मज़ा आए। ये पन्ने खास उन लोगों के लिए हैं जिन्हें गणित से डर लगता है।
इस बार आप ‘पास्कल त्रिकोण’ और इससे जुड़े कुछ मज़ेदार पैटर्नों के बारे में जानेंगे। 

मेरा पन्ना
वाकया आँगन की गौरैया, राम-राम बा, लॉकडाउन में..., लॉकडाउन में चित्रकारी और मेरी नई चप्पल
कहानी पतंगें और चिड़ियाँ
और बच्चों के बनाए कुछ दिलकश चित्र।

तुम भी जानो
इस बार जानिए:
ऐसा भूकम्प जो 32 साल तक चला
कुत्ते करेंगे कोरोनावायरस की पहचान

चित्रपहेली
चित्रों में दिए इशारों को समझकर पहेली को बूझना।

भूलभुलैया
इस छोर से उस छोर तक पहुँचने की जद्दोजहद। करके देखो…