Read the magazine | Download Magazine

बदलते अन्दाज़ – रोहन चक्रवर्ती
अनुवाद
: सजिता नायर
तरह-तरह की इल्लियाँ जब वयस्क होकर तितली बन जाती हैं तो कैसी दिखती हैं – इसे रोहन अपने अन्दाज़ में बयाँ कर रहे हैं...

तालाबन्दी में बचपन – दोस्ती की महफिलें – अंजला फातिमा
चित्र
: मयूख घोष
कोरोना के चलते बच्चों का जीवन अभी भी एक तरह से तालाबन्दी में ही है। ‘तालाबन्दी में बचपन’ कॉलम के ज़रिए बच्चे तालाबन्दी के दौर के अपने अनुभवों को साझा करते हैं।
एक गली जिसके चारों तरफ घर ही घर हैं। सारे घर एकदम पास-पास हैं। वहाँ जमने वाली दोस्तों की महफिलें तालाबन्दी के पहले कैसी होती थीं और तालाबन्दी के दौरान कैसे होती थीं — ग्याहरवीं कक्षा में पढ़ रही अंजला फातिमा ने इसे बड़ी खूबसूरती से बयाँ किया है।

तुम भी जानो
इस बार जानिए:
युद्ध से पीड़ित यूक्रेन के बच्चे
430 साल पुराने निंजा अस्त्र मिले
सुपरमैन की शक्ति कुछ इन्सानों में

एक पहाड़ को डाउनलोड किया – सुशील शुक्ल
चित्र
: शिवम चौधरी
‘एक पहाड़ को डाउनलोड किया
उसके सारे पेड़ बेचारे
नदी झील झरने दुखियारे’...

कला के आयाम शेफाली जैन
इस लेख में शेफाली आपको जूडिथ स्कॉट के आर्टवर्क से परिचित करा रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि जूडिथ स्कॉट के आर्टवर्क हम आँखों से देख तो सकते हैं, पर फिर भी ये जान-बूझकर कुछ चीज़ें हमारी आँखों से छुपा देती हैं।

शून्य परछाई दिवस – आलोक मांडवगणे और वारुणी प्र
चित्र
: विजय रविकुमार
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपको अपनी परछाई दिखी ही न हो यानी कि वह शून्य लम्बाई की हो? क्या सच में परछाई की लम्बाई कभी शून्य हो सकती है? जानने के लिए पढ़िए यह दिलचस्प लेख।

नन्हा राजकुमार – एन्त्वॉन द सैंतेक्ज़ूपेरी
अनुवाद
: लालबहादुर वर्मा
यह नन्हा राजकुमार की नौवीं किश्त है। नन्हा राजकुमार एक शानदार फ्रेंच लघु उपन्यास प्ती प्रैंस  का हिन्दी अनुवाद है। पिछले अंक में आपने पढ़ा कि नन्हा राजकुमार बहुत सारे ग्रहों से होता हुआ पृथ्वी पर पहुँचता है। रेगिस्तान, पहाड़ और बर्फीले मैदानों में भटकते-भटकते उसने एक बगीचे में अपने फूल जैसे हज़ारों फूलों और वह उदास हो गया। इस अंक में उसकी मुलाकात एक लोमड़ी से होती है। आगे क्या होता है यह जानने के लिए पढ़िए...

क्यों-क्यों
क्यों-क्यों में इस बार का सवाल था: “खुद से अलग दिखने/बोलने या खाने वालों से हमें दिक्कत क्यों होती है?”
बच्चों द्वारा भेजे गए दिलचस्प जवाबों में से कुछ आपको यहाँ पढ़ने को मिलेंगे। साथ ही उनके बनाए कुछ दिलकश चित्र भी देखने को मिलेंगे।

देर का देखना – चन्दन यादव
चित्र
: समिधा गुंजल और कनक शशि
रोशनी को चीज़ें कुछ देर बाद दिखाई पड़तीं। उसका देखना शुरू से ही ऐसा था। इसके फायदे भी थे और नुकसान भी। सबसे बड़ा डर तो अनहोनी का था वह पहले हो जाती और उसे बाद में नज़र आती। एक बार स्कूल की तरफ से अभ्यारण की सैर का कार्यक्रम बना। सारे बच्चे इस बात को लेकर बहुत रोमांचित थे कि उन्हें बाघ दिखेगा। लेकिन कोई भी बाघ नहीं देख पाया। क्या रोशनी बाघ देख पाई? जानने के लिए पढ़िए...

तुम भी बनाओ – इको-प्रिंट – सजिता नायर
इस बार सजिता आपको प्राकृतिक रंगों से कपड़ों को रंगने के बारे में बता रही हैं।

गणित है मजेदार – भिन्न संख्याएँ – आलोका कान्हेरे
चित्र
: मधु श्री बासु
इन पन्नों में हम कोशिश करेंगे कि ऐसी चीज़ें दें जिनको हल करने में आपको मज़ा आए। ये पन्ने खास उन लोगों के लिए हैं जिन्हें गणित से डर लगता है।
इस बार आलोका आपको एक कहानी सुना रही हैं। इसमें एक बुढ़िया अपनी तीन बेटियों में अपनी वसीयत बाँटती है। लेकिन वसीयत में किए गए बँटवारे का गणित किसी को समझ नहीं आता। तब गाँव की एक समझदार बुढ़िया इसका हल निकालती है। तो इस कहानी के ज़रिए जानिए भिन्न संख्याओं का रोचक गणित।

मेरा पन्ना
लेख: दारु – हर घर की परेशानी, बदलाव
डायरी: मेरी डायरी
कहानी: कुर्सी की कहानी
वाकया: गुनगुन और मैं

और बच्चों के बनाए कुछ दिलकश चित्र

माथापच्ची
कुछ मज़ेदार सवालों और पहेलियों से भरे दिमागी कसरत के पन्ने।

चित्रपहेली
चित्रों में दिए इशारों को समझकर पहेली को बूझना।

तुम भी जानो
इस बार जानिए:
किताब पढ़कर सुनाई तो नौकरी से निकाले गए अध्यापक
ज्वालामुखी
के फटने से बनी पहली साइकिल