
वर्ष 6: अंक 31 से 36
| अंक 31, अप्रैल-मई 2000 | |||
| आपने लिखा | 4 | लोग और उनकी सोच ... | 47 | 
| सूचक | 9 | हृदय एक पंप ... | 51 | 
| वर्नियर का सिद्धान्त | 16 | शुल्ब सूत्र में रेखागणित ... | 61 | 
| डी.एन.ए. से प्रोटीन.... | 21 | जादुई गुब्बारा | 74 | 
| ज़रा सीर तो खुजलाइए | 28 | बच्चे और उनके खिलौने | 77 | 
| सावन का महिना...... | 21 | अनारको और चोर अंकल | 83 | 
| अंक 32, जून-जुलाई 2000 | |||
| आपने लिखा | 4 | चंद्रशेखर वेंकट रामन | 49 | 
| शौकिया वैज्ञानिक | 5 | भाषा, अनुभव और विज्ञान | 63 | 
| नेपच्यून की खोज | 17 | जरा सिर तो खुजलाइए | 74 | 
| स्कूली किताबों की भाषा | 30 | नाप जोखकर वेदियां ... | 75 | 
| लैंगिक द्विरूपता | 35 | सोने के दांत वाला सांप | 87 | 
| अंक 33 अगस्त सितंबर 2000 | |||
| अपने लिखा | 4 | तौबा! ये मतवाली चाल | 44 | 
| बच्चे और जंग | 11 | ज़रा सिर तो खुजलाइए | 58 | 
| हवाई फूल बनाम भूमिगत | 15 | बंगाल में इस्लाम ..... | 63 | 
| पानी की कठोर..... | 29 | नाप जोख के लिए .... | 85 | 
| परिधि का त्रिज्या से संबंध | 35 | दस हज़ार साल बाद .... | 95 | 
| अंक 34, अक्टूबर-नवंबर 2000 | |||
| आपने लिखा | 6 | ज़रा सिर तो खुजलाइए | 46 | 
| सूरज पर धब्बे… | 9 | 80 दिन मे | 47 | 
| सवालीराम | 25 | प्रेमयों कि गुत्थियाँ | 63 | 
| वे दौड़ते दौड़ते ....... | 27 | बंगाल मे इस्लाम | 75 | 
| क्या बताती है .... | 38 | काटों का घरौंदा | 93 | 
| अंक 35 दिसंबर 2000 - जनवरी 2001 | |||
| अपने लिखा | 4 | सवालीराम | 42 | 
| उबलते पानी के ..... | 9 | 80 दिन मे | 45 | 
| पढ़ाने का वो तरीका | 21 | चीठियों के निर्माण | 61 | 
| ज़रा सिर तो खुजलाइए | 26 | बंगाल मे इस्लाम | 65 | 
| तितलियों के रंग .... | 27 | संतान की परवरिश | 97 | 
| अंक 36, फरवरी - मार्च 2001 | |||
| अपने लिखा | 4 | 80 दिन में | 43 | 
| ब्रहस्पति के उपग्रह .... | 7 | ज़रा सिर तो खुजलाइए | 58 | 
| श्रुतलेखन ..... | 18 | कुछ ईटें , कुछ प्रमेय | 59 | 
| क्या इंसान भी .... | 25 | कहानी चौरी-चौरा की | 69 | 
| व्हाय टोस्ट लैंड्स.... | 33 | इंडेक्स | 87 | 
| सवालीराम | 41 | मकड़ी के जाले | 93 | 
इंडेक्स देखने का तरीकाः छह अंकों में प्रकाशित सामग्री का विषय आधारित वर्गीकरण किया गया है। कई लेखों में एक से ज्यादा मुद्दे शामिल हैं इसलिए वे लेख एक से ज्यादा स्थान पर रखे गए हैं। लेख के शीर्षक और लेखक के नाम के साथ पहले बोल्ड में उस अंक का क्रमांक है जिसमें वह लेख प्रकाशित हुआ  है। फुलस्टाप के बाद उस लेख का पृष्ठ क्रमांक दिया गया है। उदाहरण के लिए लेख 'वर्नियर का सिद्धांत' अंक 31, पृष्ठ क्रमांक 16 पर।
| भौतिकी (Physics) | ||
| वर्नियर का सिद्धांत | विनोद कुमार गुप्ता | 31.16 | 
| ज़रा सिर तो खुजलाइए | --- | 31.28 | 
| सावन का महीना ... | प्रदीप गोठोस्कर | 31.31 | 
| जादुई गुब्बारा | चंपालाल कुशवाहा | 31.74 | 
| नेपच्यून की खोज | कमल लोडाया, वेंकटेश्वरन | 32.17 | 
| ज़रा सिर तो खुजलाइए | --- | 33.58 | 
| सूरज पर धब्बे ... | टी. वेंकटेश्वरन | 34.09 | 
| ज़रा सिर तो खुजलाइए | --- | 34.46 | 
| तितलियों में रंग मजेदार | सुशील, प्रियदर्शिनी कर्वे | 35.27 | 
| सवालीराम | --- | 35.42 | 
| बृहस्पति के उपग्रह ... | माधव केलकर | 36.07 | 
| व्हाय टोस्ट लैंड्स... | प्रियदर्शिनी कर्वे | 36.33 | 
| रसायन शास्त्र (Chemistry) | ||
| सूचक | सुशील जोशी | 31.09 | 
| पानी की कठोरता ... | सुशील जोशी | 33.29 | 
| सवालीराम | --- | 36.41 | 
| प्राणी शास्त्र (Zoology) | ||
| डी. एन. ए. से प्रोटीन ... | पूर्णिमा भार्गव | 31.21 | 
| शौकिया वैज्ञानिक | रिचर्ड पी. फाइनमेन | 32.05 | 
| लैंगिक द्विरूपता | अरविंद गुप्ते | 32.35 | 
| तौबा! ये मतवाली चाल | मुकेश इंगले | 33.44 | 
| सवालीराम | --- | 34.25 | 
| वे दौड़ते-दौड़ते ... | अरविंद गुप्ते | 34.27 | 
| कांटो का घरौंदा | के. आर. शर्मा | 34.93 | 
| सवालीराम | --- | 35.42 | 
| सवालीराम | के. आर. शर्मा | 35.97 | 
| क्या इंसान भी ... | जे. बी. एस. हाल्डेन | 36.25 | 
| मकड़ी के जाले ... | जे. बी. एस. हाल्डेन | 36.93 | 
| वनस्पति शास्त्र (Botany) | ||
| हवाई फूल बनाम भूमिगत फूल | वीणु कौल, ए. के. कौल, एम. सी. शर्मा | 33.15 | 
| दस हज़ार साल बाद | --- | 33.95 | 
| विकास (Evolution) | ||
| वे दौड़ते-दौड़ते उड़ने लगे ... | अरविंद गुप्ते | 34.27 | 
| जंतु व्यवहार (Animal Behavior) | ||
| शौकिया वैज्ञानिक | रिचर्ड पी. फाइनमेन | 31.05 | 
| मकड़ी के जाले | आमोद कारखानिम | 36.93 | 
| गणित (Math) | ||
| वर्नियर का सिद्धांत | विनोद कुमार गुप्ता | 31.16 | 
| शुल्ब सूत्र में रेखागणित .. | रामकृष्ण भट्टाचार्य | 31.61 | 
| ज़रा सिर तो खुजलाइए। | --- | 32.74 | 
| नाप जोखकर वेदियां बनाना | रामकृष्ण भट्टाचार्य | 32.75 | 
| त्रिज्या का परिधि से संबंध | जुई दधीच | 33.35 | 
| नाप जोख के लिए ... | रामकृष्ण भट्टाचार्य | 33.85 | 
| प्रमेयों की गुत्थियां सुलझाना | रामकृष्ण भट्टाचार्य | 34.63 | 
| ज़रा सिर तो खुजलाइए | --- | 35.26 | 
| चितियों का निर्माण | रामकृष्ण भट्टाचार्य | 35.61 | 
| ज़रा सिर तो खुजलाइए | --- | 36.58 | 
| कुछ ईटें , कुछ प्रमेय | रामकृष्ण भट्टाचार्य | 36.59 | 
| इतिहास (History) | ||
| बंगाल में इस्लाम ... | रिचर्ड ईटन | 33.63 | 
| बंगाल में इस्लाम ... | रिचर्ड ईटन | 34.75 | 
| बंगाल में इस्लाम … | रिचर्ड ईटन | 35.75 | 
| कहानी चौरी-चौरा की | गौतम पाण्डेय | 36.69 | 
| भूगोल/भूविज्ञान/खगोल (Geography/Geology/Astronomy) | ||
| नेपच्यून की खोज | कमल लोडाया, वेंकटेश्वरन | 32.17 | 
| सूरज पर धब्बे ... | टी. वी. वेंकटेश्वरन | 34.09 | 
| उबलते पानी के चश्मे | संजय तिवारी … | 35.09 | 
| बृहस्पति के उपग्रह … | माधव केलकर | 36.07 | 
| जीवनी | ||
| हृदय एक पंप है। | --- | 31.51 | 
| चंद्रशेखर वेंकट रामन | --- | 32.49 | 
| बच्चों के साथ अनुभव | ||
| बच्चे और उनके खिलौने | कमलेश चंद्र जोशी | 31.77 | 
| बच्चे और जंग | शुभदा जोशी | 33.11 | 
| पढ़ाने का वो तरीका | नीलम भोंडे | 35.21 | 
| श्रुतलेखन ... | कमलेश चन्द्र जोशी | 36.18 | 
| पुस्तक अंश/पुस्तक समीक्षा | ||
| शौकिया वैज्ञानिक | रिचर्ड पी. फाइनमेन | 32.05 | 
| क्या बताती हैं लोक कथाएं | कमलेश चंद्र जोशी | 34.38 | 
| व्हाय टोस्ट लैंड्स..... | प्रियदर्शिनी कर्वे | 36.33 | 
| गतिविधि | ||
| जादुई गुब्बारा | चंपालाल कुशवाहा | 31.74 | 
| कहानी (Story) | ||
| अनारको और चोर अंकल | सतीनाथ षडंगी | 31.83 | 
| सोने के दांत वाला सांप | जे. बी. एस. हाल्डेन | 32.87 | 
| 80 दिन में दुनिया की सैर | ज्यूल्स वर्न | 34.47 | 
| 80 दिन में दुनिया की सैर | ज्यूल्स वर्न | 35.45 | 
| 80 दिन में दुनिया की सैर | ज्यूल्स बर्न | 36.43 | 
| विविध | ||
| स्कूली किताबों की भाषा | उमेश चंद्र चौहान | 32.30 | 
| भाषा, अनुभव और विज्ञान | अनुपम मिश्र | 32.63 | 
| श्रुत लेखन ... | कमलेश चंद्र जोशी | 36.18 | 
| अन्य | ||
| लोग और उनकी सोच समझ | उमा अय्यर | 31.47 | 
| श्रुत लेखन | कमलेश चंद्र जोशी | 36.18 | 
बचाव के अपने-अपने इंतज़ामः आम धारणा यही है कि मकड़ियां सिर्फ जमीन के ऊपर जाले बनाकर उनमें ही रहती हैं। लेकिन कुछ मकड़ियां अपने बचाव के लिए न सिर्फ ज़मीन में ट्यूबनुमा छेद बनाकर उसमें रहती हैं बल्कि छेद का मुंह बंद करने की जुगत भी लगाती हैं।

