हाल ही में किए गए एक अध्ययन में अमेरिका के लगभग आधे बाल्ड और गोल्डन ईगल पक्षियों में सीसा (लेड) विषाक्तता पाई गई है। गौरतलब है कि बाल्ड ईगल यूएसए का राष्ट्रीय पक्षी है। इस स्तर की विषाक्तता को देखते हुए इन प्रजातियों का पुनर्वास काफी मुश्किल प्रतीत होता है।
गौरतलब है कि 1960 के दशक में डीडीटी के इस्तेमाल के कारण बाल्ड ईगल (हैलीएटस ल्यूकोसेफेलस) लगभग विलुप्त हो गए थे। डीडीटी के प्रभाव से पक्षियों के अंडे के छिलके कमज़ोर होते थे और चूज़े अंडे से बाहर आने से पहले ही मर जाते थे। 1972 में डीडीटी पर प्रतिबंध लगने और 1973 के जोखिमग्रस्त प्रजाति अधिनियम ने बाल्ड ईगल को सुरक्षा प्रदान की। वर्तमान में जंगलों में 3 लाख से अधिक बाल्ड ईगल उपस्थित हैं।
यानी बाल्ड ईगल की आबादी तो ठीक-ठाक है लेकिन गोल्डन ईगल (एक्विला क्रायसाटोस) जैसे अन्य शिकारी पक्षियों की स्थिति काफी नाज़ुक है। डीडीटी की बजाय गोलाबारूद सहित अन्य सीसा संदूषक अभी भी काफी मात्रा में उपस्थित हैं। शिकार किए गए हिरण में उपस्थित कारतूस या किसी अन्य जीव के माध्यम से ग्रहण किया गया सीसा खून और लीवर में पहुंच जाता है। यदि लंबे समय तक भोजन में सीसा मिलता रहे तो यह हड्डियों में भी संग्रहित होने लगता है।
वन्यजीव पुनर्वास क्लीनिक लंबे समय से चील के पेट में कारतूस के टुकड़ों के मिलने की सूचना देते रहे हैं। चीलों में विषाक्तता के व्यापक स्तर पर फैलने के संकेत मिले हैं। इसलिए एक गैर-मुनाफा संगठन कंज़रवेशन साइंस ग्लोबल के जीव विज्ञानी विन्सेंट स्लेब और उनके सहयोगियों ने 8 वर्षों तक 1210 बाल्ड और गोल्डन ईगल के ऊतक एकत्रित किए।
लगभग 64 प्रतिशत बाल्ड ईगल और 47 प्रतिशत गोल्डन ईगल में दीर्घकालिक सीसा विषाक्तता के साक्ष्य मिले। वैज्ञानिकों को 27 से 33 प्रतिशत बाल्ड ईगल और 7 से 35 प्रतिशत गोल्डन ईगल में सीसा के हालिया संपर्क के संकेत मिले हैं। साइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इसकी वजह से बाल्ड ईगल और गोल्डन ईगल की जनसंख्या वृद्धि में क्रमश: 3.8 प्रतिशत और 0.8 प्रतिशत की कमी आएगी। शोधकर्ताओं के अनुसार जनसंख्या वृद्धि में 3.8 प्रतिशत की गिरावट से बाल्ड ईगल की जनसंख्या पर कोई खास प्रभाव तो नहीं पड़ेगा क्योंकि कई स्थानीय आबादियों में प्रजनन न कर रहे व्यस्कों का एक समूह होता है जो फिर से प्रजनन शुरू कर सकता है। फिर भी स्थिति चिंताजनक है।
विशेषज्ञों के अनुसार सीसा विषाक्तता का प्रभाव मछलियों, स्तनधारियों और अन्य पक्षियों पर भी हुआ है। संरक्षणवादी सीसा आधारित कारतूस पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। कैलिफोर्निया में तो 2019 में कैलिफोर्निया कोंडोर की रक्षा के लिए इस पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। शोधकर्ता शिकारियों को सीसा विषाक्तता के बारे में जागरूक करने और तांबे के कारतूस का इस्तेमाल करने का सुझाव देते हैं। (स्रोत फीचर्स)