नासा द्वारा 2011 में छोड़ा गया यान जूनो अंतत: बृहस्पति की कक्षा में स्थापित हो गया है। पूरे पांच साल में लगभग 87 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करके यान ने खबर भेजी है कि सब कुछ ठीक-ठाक है।
जब जूनो बृहस्पति के निकट पहुंचा तो उसने बृहस्पति और उसके चार चंद्रमाओं - आयो, यूरोपा, गेनीमीड और कैलिस्टो - की खूबसूरत तस्वीरें भेजीं। इसके बाद उसके सारे वैज्ञानिक उपकरण बंद कर दिए गए और बृहस्पति की कक्षा में उसके प्रवेश के लिए इंजिन चालू किए गए। यह बहुत नाज़ुक समय था क्योंकि यदि इंजिन बहुत कम समय के लिए चालू किए जाते या चालू न हो पाते तो संभव था कि जूनो बृहस्पति के पास न रुककर सौर मंडल के बाहर निकल जाता। और यदि इंजिन ज़्यादा देर तक चालू रह जाते तो हो सकता था कि यान बृहस्पति से टकराकर उसी में समा जाता। इसलिए जब खबर आई कि वह लगभग सही कक्षा में स्थापित हो गया है तो वैज्ञानिकों की खुशी का ठिकाना न रहा।
अब यह यान अपनी वर्तमान कक्षा में कुछ दिन बिताएगा, जहां इसे बृहस्पति का एक चक्कर काटने में लगभग 53 दिन लगेंगे। 14 अक्टूबर के दिन इसके इंजिन एक बार फिर चालू किए जाएंगे ताकि यह 14 दिन वाली कक्षा में प्रवेश कर जाए। इसके बाद यह अपने वैज्ञानिक अवलोकन शुरु करेगा। अगले लगभग डेढ़ साल तक जूनो बृहस्पति के बारे में कई गुत्थियां सुलझाने का प्रयास करेगा। इसके अंतर्गत वह बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का मानचित्र बनाएगा, उसके चुंबकीय क्षेत्र का अन्वेषण करेगा और यह देखने का प्रयास करेगा कि क्या बृहस्पति पूरी तरह गैसों से बना है या अंदर कोई ठोस केंद्रीय भाग भी है। (स्रोत फीचर्स)