बिसफिनॉल-ए वह रसायन है जिसका उपयोग प्लास्टिक की बोतलें बनाने में किया जाता है। एक समय पर काफी हल्ला मचा था कि इस रसायन के उपयोग पर प्रतिबंध लग जाना चाहिए क्योंकि यह तंत्रिका कोशिकाओं को क्षति पहुंचा सकता है। अब लखनऊ के विष विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपने शोध पत्र में बताया है कि हल्दी में उपस्थित एक रसायन करक्यूमिन बिसफिनॉल के विषैले असर से तंत्रिकाओं की रक्षा कर सकता है।
यह तो पहले पता था कि करक्यूमिन तंत्रिका क्षति से सम्बंधित रोगों में कोशिकाओं की रक्षा करता है। एस.के. तिवारी और उनके सहकर्मी यह देखने को उत्सुक थे कि क्या करक्यूमिन बिसफिनॉल-ए के असर से भी तंत्रिकाओं का बचाव कर सकता है। बिसफिनॉल-ए प्लास्टिक के पात्रों में रखे खाद्य पदार्थों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह मस्तिष्क में भी पहुंच जाता है और भ्रूण में भी। यह मस्तिष्क में स्टेम कोशिकाओं की वृद्धि का नियमन करने वाले कुछ महत्वपूर्ण जीन्स की क्रिया में बाधा पहुंचाता है।
शोधकर्ताओं ने चूहों के मस्तिष्क से प्राप्त स्टेम कोशिकाओं का संपर्क बिसफिनॉल-ए से करवाया। इसके बाद इन कोशिकाओं को करक्यूमिन के संपर्क में रखा गया। देखा गया है कि आम तौर पर बिसफिनॉल-ए के संपर्क से इन कोशिकाओं की वृद्धि रुक जाती है मगर करक्यूमिन के उपचार ने इस असर को निरस्त कर दिया और कोशिकाओं की वृद्धि को बहाल कर दिया।
मॉलीक्यूलर न्यूरोबायोलॉजी में प्रकाशित शोध पत्र के मुताबिक बिसफिनॉल से प्रभावित गर्भवती तथा धात्री चूहियाओें को करक्यूमिन उपचार देने पर मस्तिष्क के हिप्पोकेम्पस क्षेत्र में नई तंत्रिकाएं भी बनने लगीं। (स्रोत फीचर्स)