शर्मिला पाल

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लगातार हो रही प्रगति बताती है कि साल 2020 अंतरिक्ष में मानव की आवजाही का प्रस्थान बिंदु होगा और 2050-55 तक मानव की अंतरिक्ष में आमदरफ्त आम हो जाएगी। अगले चार दशक के भीतर ही अंतरिक्ष की सैर अमीरोंे के लिए नया शगल होगा। इसके लिए देशी-विदेशी और निजी सुविधाओं की भरमार होगी। एक दशक यानी 2030 तक मंगल पर जाने, बसने का सपना सच होने में किंचित संदेह हो सकता है पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं तक घूम आना, अंतरिक्ष को छूकर लौटना, किसी क्षुद्रग्रह पर जाकर कुछ घंटे ठहरना, टहलना, चांद की सैर की योजना बनाना, चांद पर उतरकर मून वॉक कर धरती पर लौटने का रोमांचक शौक पूरा करना तो लोग शु डिग्री कर ही देंगे।
यह शुरुआती सफर अगले दो तीन दशकों में आम हो जाएगा। अमरीकी अंतरिक्ष संगठन नासा ही नहीं, चीन और युरोपीय संगठन सरीखे दर्जन भर दूसरे देश भी इस दिशा में सक्रिय हैं। भारत भी मानव सहित अंतरिक्ष यान भेजने की तैयारी में है।  

देशों के अलावा कई निजी कंपनियां भी अंतरिक्ष पर्यटन के क्षेत्र में नयापन और अकूत मुनाफे की संभावना देख इस क्षेत्र में कूद पड़ी हैं। यहां तक कि वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक रसद इत्यादि पहुंचाने की सेवा भी देने लगी हैं और अपने सुविधायुक्त यानों का गुणगान भी करने लगी हैं। मानव सहित सुविधाजनक अंतरिक्ष यान विकसित होने, अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने, अंतरिक्ष में सब्ज़ी उगाने, जीवाणु विकसित करने तथा अंतरिक्ष की सैर कराने वाली कंपनियों द्वारा अंतरिक्ष पर्यटन के कार्यक्रमों और इससे सम्बंधित दूसरे प्रयासों में आई तेज़ी तथा शोध और निरंतर तीव्र विकास को देखकर यह कहा जा सकता है कि इस पीढ़ी के बच्चे बड़े होकर अंतरिक्ष यात्रा के रोमांच का आनंद लेने को तैयार होंगे।
अंतरिक्ष यात्रा के लिए यान की तकनीक लगभग तैयार है। पर इससे पहले ज़रूरत है एक अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण की जहां यान रुके, यात्री ठहरें, स्पेसवॉक कर सकें। नासा के साथ मिलकर काम कर रही निजी कंपनी बैग्लो एयरोस्पेस का दावा है कि 2020 तक वह बी-330 नामक प्राइवेट स्पेस स्टेशन स्थापित कर लेगी। यह अंतरिक्ष स्टेशन मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से छोटा पर अधिक तकनीक सक्षम और सस्ता होगा। 330 घन मीटर के इस स्पेस स्टेशन पर 6 अंतरिक्ष पर्यटक आसानी से रह सकेंगे।

यदि यह सफल रहता है तो यह साबित हो जाएगा कि इसी तरह के स्पेस स्टेशन सस्ते में बनाए जा सकेंगे। यह परियोजना जारी है। देर हुई तब भी यह 2025 तक अपना उद्देश्य अवश्य पा लेगी। रूस इस जुगाड़ में है कि जब 2020 में अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का कार्यकाल खत्म हो जाएगा तो वह अपनी हिस्सेदारी अलग कर वहां ऑर्बाइटल पायलेट एसेंबली एंड एक्सपेरीमेंट कॉम्प्लेक्स खोलेगा। यहां मानव सहित अंतरिक्ष यान आएंगे और फिर यहां से आगे मंगल, शनि इत्यादि ग्रहों तक मानव सहित यान की यात्रा के मंसूबे बांधे जाएंगे। चीन भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या मीर की तरह अपना मल्टी मॉड्यूल अंतरिक्ष स्टेशन विकसित कर रहा है। संभवत: 2022 में वह अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित कर लेगा।
तमाम अंतरिक्ष स्टेशन बन जाने के बाद उनमें होड़ शु डिग्री होगी जिसमें पर्यटकों को वहां ले जाने और धन कमाने की प्रतिस्पर्धा खास होगी।
चांद अंतरिक्ष पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण होगा। इसे देखते हुए रूस, चीन, अमेरिका जैसे देशों के अलावा युरोपीय स्पेस एजेंसी भी इस प्रयास में लगी है कि अगले पांच सालों में चांद की यात्रा सुगम बनाई जा सके। भारत भी, भले ही वह अंतरिक्ष स्टेशन बनाकर अंतरिक्ष में अपना अड्डा बनाने की जुगत में न हो पर मानव सहित अंतरिक्ष यान चांद पर भेजने को तैयार है। नासा का चांद पर लंबे समय तक बने रहने और फिर वापस आने वाला नए तरीके का यान तकरीबन तैयार हो चुका है। और वह 20 से 40 टन तक वज़न लेकर बेहद कम समय में चांद पर पहुंचने वाले इस यान का परीक्षण करने ही वाला है।

चांद के अलावा क्षुद्रग्रह भी अंतरिक्ष पर्यटन के लिए बहुत पसंदीदा स्थल होने वाले हैं। बहुत से क्षुद्रग्रह ऐसे पर्यटन स्थल में शुमार होंगे जिनके बारे में कम जानकारी होगी और उनके तमाम हिस्से बेहद रोमांचक, सामान्य ग्रहों से अलग विशेषता रखने वाले और अछूते होंगे। नासा अंतरिक्ष उपकरणों की मदद से कुछ क्षुद्रग्रहों को ठेल कर जबरिया चांद की स्थिर कक्षा में स्थापित करने की सोच रहा है। ये भी दर्शनीय अंतरिक्ष पर्यटन स्थल होंगे। एक दो दशक बीतते-बीतते पर्यटन के लिए उपयुक्त कुछ और अनूठे क्षुद्रग्रहों की खोज होना नितांत संभव है जिसके चलते अंतरिक्ष पर्यटकों की रुचि बढ़ेगी और इस धंधे में लगी कंपनियां और एडवेंचर पसंद लोग उधर रुख करेंगे।
उधर मंगल पर मानव को पहुंचाने के लिए कई देशों और कंपनियों ने कमर कस रखी है। नासा का दावा है कि वह 2030 तक मानव को मंगल की सैर करा देगा। इसके लिए वह मंगल की खाक छान रहे मौजूदा रोवर के आंकड़ों की पड़ताल तो कर ही रहा है, मंगल की सतह पर मनुष्य को उतारने की संभावनाओं को समझने के लिए 2020 में एक और रोवर भेजेगा। यह रोवर बताएगा कि मंगल पर मानव के पैर रखने और टिकने के लिए किन तकनीकी विशेषताओं की आवश्यकता है। मंगल का सफर लंबा है और मंगल का विकिरण खतरनाक। पर नासा का दावा है कि अगले दशक के भीतर ही मंगल तक 50 टन का भार और फिर कुछ वर्षों में मानव ले जा सकने वाला यान भी तैयार कर लेगा और विकिरण की भी काट निकल आएगी। उधर मार्स वन नामक कंपनी अपने मंगल यात्रियों का चयन कर चुकी है और 2024 में अपने यात्रियों का सामान मंगल भेज देगी, तब ये चयनित यात्री यह कह सकेंगे, अब हम भी जाने वाले हैं, सामान तो पहुंच ही गया है। मार्स वन के यात्री 2027 में धरती से विदा लेंगे। युरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एक्सो मार्स कार्यक्रम चला रही है। उसका भी लक्ष्य 2030 तक मानव को मंगल तक पहुंचाना है। (स्रोत फीचर्स)