ज़ॉम्बिया सरकार की चली तो अगले पांच वर्षों में वहां के एक राष्ट्रीय उद्यान में कम से कम 2 हज़ार हिप्पो का कत्ल किया जाएगा। पहले यह योजना जून में शुरु होने वाली थी मगर जंतु अधिकार समूहों के विरोध के चलते इसे रोक दिया गया था। अब फिर योजना पर अमल करने की तैयारियां चल रही हैं।
आखिर क्यों ज़ाम्बिया सरकार इस जंतु की बलि चढ़ाने की योजना पर अमल करने जा रही है? सरकार ने इसके लिए कई कारण प्रस्तुत किए हैं। जैसे एक कारण यह बताया जा रहा है कि हिप्पो को मारना इसलिए ज़रूरी हो गया है क्योंकि ये एंथ्रेक्स नामक रोग फैला सकते हैं। एक कारण यह भी बताया गया है कि इनकी आबादी बहुत ज़्यादा हो गई है और उस इलाके में भूजल स्तर तेज़ी से कम हुआ है। घटते भूजल की परिस्थिति ऐसी है कि वहां हिप्पो के साथ-साथ अन्य वन्य जीवों का पलना मुश्किल है।
मगर वन्य जीवों की रक्षा का काम करने वाली संस्था बॉर्न फ्री फाउंडेशन का कहना है कि ये दलीलें काफी कमज़ोर व निराधार हैं। जैसे फाउंडेशन के मुताबिक पिछले वर्षों में उस इलाके में एंथ्रेक्स का प्रकोप नहीं हुआ है। फाउंडेशन के विल ट्रेवर्स बताते हैं कि राष्ट्रीय उद्यान में भूजल का स्तर पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक रहा है। लिहाज़ा हिप्पो की संख्या कम करने का कोई आधार नज़र नहीं आता।
ज़ाम्बिया सरकार हिप्पो के कत्ल के लिए तरीका यह अपनाने जा रही है कि वह शौकिया शिकारियों को इस काम के लिए प्रोत्साहित करेगी और भुगतान भी करेगी। बॉर्न फ्री फाउंडेशन का कहना है कि पता नहीं क्यों सरकार येन केन प्रकारेण इस योजना को क्रियान्वित करने पर तुली हुई है। फाउंडेशन ने ज़ाम्बिया के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस योजना को तिलांजलि देने का आग्रह किया है, क्योंकि इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता। (स्रोत फीचर्स)