नरेन्द्र देवांगन  

छछूंदर, नेवला और बिज्जू ऐसे स्तनधारी जीव हैं, जो विश्व के कई भागों में पाए जाते हैं। इन्हें अपने बिल निर्माण यानी घर बनाने में महारत हासिल होती है। ये प्रकृति की मार और दूसरे जीवों से अपनी सुरक्षा के लिए भूमिगत बिलों का निर्माण करते हैं।
कल्पना कीजिए कि आप एक अंधेरी सुरंग के अंदर हैं, जहां आप मुश्किल से देख सकते हैं। अगर आप सुरंग से बाहर निकलना चाहते हैं, तो आपको खुदाई करनी होगी। लेकिन आप यह कैसे करेंगे? इसके लिए सबसे पहले आपको एक टॉर्च की ज़रूरत होगी ताकि आप देख सकें। इसके बाद खुदाई के लिए कुदाल की आवश्यकता होगी। चित्रों में आपने खुदाई करने वालों को देखा होगा, जिनके हैलमेट पर लाइट लगी होती है।
यदि आपकी टॉर्च बंद हो जाए या अंधेरे में आपकी टॉर्च खो जाए, तब आप क्या करेंगे? ऐसे समय में अपनी उंगलियों से चारों ओर स्पर्श करेंगे और हाथ से खोदना शुरु करेंगे। वास्तव में छछूंदर भी इसी तरह काम करते हैं। छछूंदर खुदाई करने के लिए अपनी नाक का उपयोग करते हैं। उनके पास नली के समान नाक के बाहर की तरफ निकली हुई पतली उंगलियां होती हैं। वे अंधेरे में अपने घरों में जाने के लिए इन नाज़ुक उंगलियों का उपयोग करते हैं। छोटी आंखों वाले स्तनधारी जीव छछूंदर यानी मोल्स अंधप्राय होते हैं। अपनी आंखों से केवल रोशनी का अंदाज़ा लगाने वाले इन जीवों की सूंघने और स्पर्श करने की क्षमता खास होती है।

भुक्कड़ या पेटू जीव के नाम से मशहूर छछूंदर प्रतिदिन अपने वज़न के बराबर भोजन करते हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि अगर ये कुछ घंटे तक न खाएं तो मर भी सकते हैं। मादा छछूंदर की एक खासियत होती है कि वे बंधन या किसी के अधीन नहीं रह सकते। प्रत्येक छछूंदर का बिल बनाने का एक तरीका होता है। मज़बूत दीवारों वाले इनके बिलों की सुरंगों का नेटवर्क 70 मीटर से भी लंबा हो सकता है। भूमिगत जीवनशैली और विभिन्न प्रकार की मिट्टी में बिल बनाने की कला किसानों को बहुत नुकसान पहुंचाती है। इसी वजह से छछूंदरों को सुरंग खोदने वाली मशीन व ‘अंडर कवर सीक्रेट एजेंट’ के नाम से भी जाना जाता है।
छछूंदर नाक से कैसे खुदाई करते हैं? दरअसल, छछूंदर के थूथन की उंगलियां मिट्टी को हटाने में मदद करती हैं। एक बार मिट्टी हट जाने के बाद छछूंदर अपने पंजों के सहारे बाहर निकल आते हैं। इस आसान तरीके से एक छछूंदर 20 मिनट में 5 किलो ज़मीन खोद सकता है। कभी-कभी घर के पिछवाड़े में मिट्टी का एक छोटा-सा ढेर लगा हुआ देखा जा सकता है। इन ढेरों को छछूंदर का टीला कहा जाता है।
ज़ांबिया (अफ्रीका) में भूरे, बिंदीदार, गहरे लाल और नीले रंग के पक्षी पाए जाते हैं। लाल रंग की ये चिड़ियां कारमाइन बी ईटर कहलाती हैं। ये बलुआ पत्थर की चट्टानों में खुदाई करने के लिए अपने सिर का उपयोग करती हैं। इनके झुंड धूप में सूखी मिट्टी-सी दिखने वाली खड़ी चट्टान की तरफ उड़ते हैं। अपने सिर को दीवार से मारने के लिए ये अपनी लंबी नुकीली चोंच का उपयोग करती हैं। एक ही जगह पर बार-बार चोंच मारने से इनके बैठने के लिए एक जगह बन जाती है। एक बार जब ये चट्टान पर अपना बसेरा बना लेती हैं तब बिल खोदना शु डिग्री कर देती हैं। अपने सामने की उंगलियों का इस्तेमाल कर घोंसले हटाने लगती हैं।

दुनिया में इस तरह के कई जानवर हैं लेकिन सभी अपनी नाक से खुदाई नहीं करते हैं। इनमें दीमक बहुत घातक है, जो अपनी लार का उपयोग कर जिराफ से भी लंबा टीला बनाती है। केंचुए भी अपने पूरे शरीर को मिट्टी में ऐंठते हैं। ये जीव छिपने के लिए या मनोरंजन के लिए सुरंग बनाते हैं।
एक दक्षिण अफ्रीकी नेवला मीरकैट्स अपने पिछले पैरों पर खड़े होने की क्षमता रखता है। यह अपनी लंबी पूंछ का उपयोग तीसरे पैर के रूप में करता है। इसकी पूंछ खड़े होते समय इसे संतुलन प्रदान करती है। तेज़ आंखों वाले ये नेवले जीवों और पेड़-पौधों दोनों को ही खाते हैं। प्राकृतिक रूप से स्लिमट्रिम इन नेवलों के शरीर पर वसा नहीं होती। ये अपनी ज़रूरत के हिसाब से भोजन करते हैं। दिन के समय शिकार पर जाने वाले ये जानवर सदैव अपने परिवार के साथ भूमिगत बिलों में रहते हैं। जिन्हें ‘मॉब या गैंग’ कहा जाता है।
इनके बिलों की भी कई मंज़िलें होती हैं। बिलों की गहराई 10 फुट तक होती है व भीतर जाने के 90 रास्ते तक होते हैं। नेवलों का आपस में बातचीत करना बेहद ज़रूरी होता है। वे अपनी भाषा बदलने की क्षमता भी रखते हैं। सामान्यतया नेवलों के एक समूह में 25 सदस्य होते हैं, पर कई समूह ऐसे भी पाए गए हैं, जिनमें परिवार के सदस्यों की संख्या 50 से अधिक होती है।
बिल्ली के समान दिखने वाला छोटा-सा जीव बिज्जू भी खुदाई की कला में माहिर है। इसकी आंखों की पारदर्शी झिल्लियां और सख्त बाल इसकी आंखों और कानों को खुदाई के दौरान मिट्टी से बचाते हैं। इनके बिलों को ‘सैट्स’ कहा जाता है। बिज्जू अपने बिल अपने परिवार के सदस्यों की संख्या के आधार पर बनाते हैं। ये अकेले और समूह दोनों में रहने वाले सर्वभक्षी जीव हैं।

एक सामान्य बिल एक सुरंग की तरह होता है, जिसमें सोने की जगह अंत में होती है। संयुक्त परिवारों में रहने वाले बिज्जू लंबी सुरंग वाले बिलों में रहते हैं इनमें आने-जाने के अनेक रास्ते होते हैं। इन बिलों में सोने, खाने, रहने, नहाने-धोने की जगहें होती हैं। सरपट दौड़ने वाले बिज्जू 25-30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। बिज्जू का वर्णन हैरी पॉटर की किताबों में भी है।
नेवला भी भूमि के भीतर अपना बिल वहीं बनाता है जहां वह रहता है। उनके बिल में आने-जाने के अनेक रास्ते होते हैं जो उन्हें बाहरी खतरों से बचाते हैं। कई बार नेवला दूसरे छोटे जीवों के बिलों को ही अपना बिल बना लेते हैं।
नेवले की 30 से अधिक प्रजातियों का भोजन छोटे जीव-जंतु होते हैं। इनकी अधिकांश प्रजातियां रात में क्रियाशील होती हैं और विषैले सांपों को मार कर, खा कर उत्सव मनाती हैं। नेवलों में सबसे मशहूर नेवला ‘रिक्की टिक्की तवी’ है, जिसके त्याग और साहस की कहानी किपलिंग ने 1894 में ‘दी जंगल बुक’ में लिखी थी। (स्रोत फीचर्स)