हमारे देश में 1911 में जन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाते थे। इसकी वजह से प्रसिद्ध धावक फौजा सिंह सबसे बुज़ुर्ग तेज़ धावक के खिताब से वंचित रह गए। दरअसल, बरगंडी विश्वविद्यालय के रोमुआल्ड लेपर्स और उनके साथी यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि उम्र का एथलेटिक क्षमताओं पर क्या असर होता है।
अपने प्रयास में वे 40 से अधिक उम्र के खिलाड़ियों के प्रदर्शन का विश्लेषण कर रहे थे। इसी दौरान उनके मन में विचार आया कि क्यों न 100 की उम्र पार कर चुके खिलाड़ियों पर ध्यान दिया जाए। इसके लिए उन्होंने एथलेटिक्स, तैराकी और सायक्लिंग पर ध्यान दिया। उम्रदराज़ खिलाड़ियों की क्षमता को परखने के लिए उनके प्रदर्शन की तुलना वर्तमान रिकॉर्ड धारकों के प्रदर्शन से की।
उदाहरण के लिए, उसैन बोल्ट आज 100 मीटर 9.58 सेकंड में दौड़ते हैं। सन 2015 में 100-पारी स्पर्धा में 104 वर्षीय डोनाल्ड पेलमैन ने यही दूरी 26.99 सेकंड में तय की थी। यानी बोल्ट की तुलना में उनकी क्षमता में 64.5 प्रतिशत की गिरावट आई। गौरतलब बात है कि भारत के 105-वर्षीय फौजा सिंह ने 100 मीटर की दूरी मात्र 23.4 सेकंड में पूरी की मगर उन्हें लेपर्स के उक्त अध्ययन में इसलिए शामिल नहीं किया जा सका क्योंकि उनके पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं था।

इस संदर्भ में जिस खिलाड़ी की क्षमता में सबसे कम गिरावट आई है वह है फ्रांसीसी सायकल चालक रॉबर्ट मारचंड। उन्होंने सायकल से 1 घंटे में 26.93 किलोमीटर का फासला तय किया जो वर्तमान विश्व रिकॉर्ड (ब्रेडली विगिंस - 54.53 किलोमीटर) से मात्र 50.6 प्रतिशत कम है।
पहले किए गए इसी प्रकार के अध्ययनों का निष्कर्ष था कि एथलेटिक्स में व्यक्ति की क्षमता 35-40 की उम्र तक बरकरार रहती है। इसके बाद इसमें प्रति दशक 10-15 प्रतिशत की कमी आती है। मगर मारचंड के प्रदर्शन में गिरावट इससे बहुत कम रही है। लेपर्स का कहना है कि मारचंड का मांसपेशीय गठन और रक्त-श्वसन कार्य उनकी उम्र के अन्य लोगों से कहीं अधिक पुख्ता है। उनके प्रदर्शन में प्रति दशक मात्र 8 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
वैसे इस अध्ययन का एक निष्कर्ष यह भी है कि प्रदर्शन में गिरावट का सम्बंध खेल के प्रकार से भी है। दौड़ने और तैराकी में क्षमता तेज़ी से कम होती है जबकि गोलाफेंक और सायक्लिंग में गिरावट धीमी होती है।
लेपर्स की टीम को इंतज़ार है कि वे किसी 110 साल के खिलाड़ी का अध्ययन कर सकें। उनको लगता है कि दुनिया भर में 100 की उम्र पार करने वाले लोगों की तादाद में वृद्धि को देखते हुए संभवत: इंतज़ार ज़्यादा लंबा नहीं होगा। (स्रोत फीचर्स)