एक अध्ययन से पता चला है कि ज़्यादा नमक का सेवन करने से माइग्रेन की रोकथाम होती है। मगर साथ ही इस अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी इसके आधार पर नमक की मात्रा के बारे में कोई निर्णय न लें क्योंकि ज़्यादा नमक खाने से हृदय रोग व स्ट्रोक की संभावना बढ़ती है।
नमक यानी सोडियम क्लोराइड। सोडियम और माइग्रेन के आपसी सम्बंध को लेकर प्रमाण बढ़ते जा रहे हैं। यह पाया गया है कि माइग्रेन के दौरान सेरेब्रोस्पाइनल द्रव में सोडियम की मात्रा बढ़ जाती है। सेरेब्रोस्पाइनल द्रव वह तरल पदार्थ है जो मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में भरा होता है। यह भी देखा गया है कि इस द्रव में सोडियम का स्तर सुबह और शाम के वक्त अधिकतम होता है। यही वे समय हैं जब अधिकांश लोग माइग्रेन का अनुभव करते हैं।

हमारे शरीर में सोडियम का लगभग एकमात्र स्रोत हमारा भोजन है। लिहाज़ा कैलिफोर्निया के हटिंगटन मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के माइकल हैरिंगटन ने सोचा कि कहीं माइग्रेन का सम्बंध व्यक्ति की खुराक से तो नहीं है। इसका पता लगाने के लिए उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य व पोषण सर्वेक्षण में एकत्रित आंकड़ों का सहारा लिया। इस सर्वे में हर वर्ष हज़ारों लोगों की जानकारी इकट्ठा की जाती है। इसके तहत लोगों से यह भी पूछा जाता है कि उन्होंने पिछले 24 घंटों में क्या खाया-पीया और क्या इस अवधि में उन्होंने सिरदर्द या माइग्रेन का अनुभव किया।
1999 और 2004 के बीच जिन 8819 लोगों का सर्वेक्षण किया गया था उनमें से जिन लोगों के भोजन में सोडियम की मात्रा सर्वाधिक थी उन्होंने माइग्रेन और सिरदर्द की शिकायत सबसे कम की थी। हैरिंगटन के मुताबिक ये परिणाम अनुमान के विपरीत हैं क्योंकि सोडियम आयन तंत्रिकाओं को उत्तेजित करते हैं। अपेक्षा थी कि भोजन में अधिक सोडियम होने पर तंत्रिकाएं अधिक उत्तेजित होंगी और सिरदर्द व माइग्रेन की आशंका बढ़ेगी जबकि हो रहा है ठीक इसका उल्टा। हैरिंगटन को लगता है कि यही कहा जा सकता है कि माइग्रेन पीड़ित लोगों के शरीर में सोडियम को सामान्य से अलग ढंग से संभाला जाता है।

गौरतलब है कि न्यूयॉर्क स्थिति बफेलो विश्वविद्यालय के मेडिकल सेंटर व अनुसंधान केंद्र की स्वेतलाना ब्लिट्शतेन ने भी देखा है कि माइग्रेन पीड़ित लोग ज़्यादा नमक खाएं तो उनकी तकलीफ कम हो जाती है।
अलबत्ता, दोनों ही शोधकर्ताओं का मत है कि अभी पर्याप्त प्रमाण नहीं है कि माइग्रेन के लिए नमक सेवन की सलाह दी जा सके। खास तौर से इस बात को ध्यान में रखना होगा कि अधिक नमक का सम्बंध हृदय रोग से प्रमाणित हो चुका है। (स्रोत फीचर्स)