एक महत्वाकांक्षी योजना बनी है जिसके अंतर्गत पृथ्वी से अन्य तारों तक यान भेजे जाएंगे। ब्रेकथ् डिग्री स्टारशॉट नाम इस योजना में कोशिश यह की जाएगी कि अत्यंत छोटे-छोटे टोही यान दूरस्थ तारों तक भेजे जाएं। ये यान अधिक से अधिक कुछ ग्राम वज़न के होंगे। सबसे पहला लक्ष्य है अपने सबसे पास के तारे अल्फा सेंटोरी तंत्र तक पहुंचने का। गौरतलब है कि अल्फा सेंटोरी तंत्र हमसे करीब 4.37 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। अर्थात वहां से जो प्रकाश निकलता है उसे हम तक पहुंचने में 4.37 साल लगते हैं।
इस वर्ष के शु डिग्री में अरबपति यूरी मिलनर ने ब्रेकथ् डिग्री स्टारशॉट परियोजना की घोषणा करते हुए बताया था कि वैज्ञानिकों ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने की 20 चुनौतियां पहचानी हैं। सबसे पहले 10 करोड़ डॉलर तो इन चुनौतियों से जुड़े अनुसंधान के लिए रखे गए हैं। परियोजना के वैज्ञानिक दल के मुखिया हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अवी लीब का कहना है कि ऐसे कुछ अध्ययन किए भी जा चुके हैं। इस तरह के अंतरतारकीय भ्रमण की एक समस्या यह है कि आप बहुत तेज़ रफ्तार से जाएंगे। फिलहाल योजना यह है कि यह दूरी करीब 20 वर्षों में पूरी की जाएगी। मतलब आपको प्रकाश की गति से लगभग 20 प्रतिशत की गति से यात्रा करनी होगी। इतनी गति पर छोटा-सा धूल का कण भी काफी क्षति पहुंचा सकता है। मगर वैज्ञानिक विश्लेषण से पता चलता है कि यह कोई बड़ी समस्या नहीं होगी।

वास्तव में जिसे हम यान कह रहे हैं वे और कुछ नहीं, महज़ नन्हें सर्किट बोर्ड होंगे। इन्हें वेफरसैट कहा जा रहा है। हालांकि माना जा रहा है कि अंतरिक्ष की धूल और कण इन्हें बहुत नुकसान नहीं पहुंचाएंगे मगर इतना तय है कि मंज़िल तक पहुंचने तक इन वेफरसैट का 30 प्रतिशत हिस्सा झड़ चुका होगा।
वेफरसैट को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि ये पतले और लंबे हैं जिसकी वजह से आमने-सामने की टक्करें बहुत कम होने की संभावना है। इसके अलावा सामने की ओर इन वेफरसैट पर कुछ ग्रेफाइट की परत चढ़ाई जाएगी जो फालतू होगी और इसके झड़ जाने से कोई वास्तविक असर नहीं पड़ेगा।
वेफरसैट पर ऐसे उपकरण लगे होंगे जो पृथ्वी से प्राप्त लेसर संकेतों को ग्रहण करके उसकी रफ्तार व दिशा को बदलने में मददगार होंगे।
कई वैज्ञानिक मान रहे हैं कि शायद वेफरसैट अपनी मंज़िल तक न पहुंच पाएं। मगर आम सहमति यह है कि ये जहां तक भी पहुंचेंगे, हमें अंतरिक्ष के बारे में काफी जानकारी दे ही देंगे। तो इन्तज़ार किया जाए कि कब ये वेफरसैट प्रक्षेपित किए जाते हैं, कब अल्फा सेंटोरी तक पहुंचते हैं और फिर वहां से तस्वीरें वापिस भेजते हैं। (स्रोत फीचर्स)