भारत डोगरा

हाल ही में भदोही ज़िले (उत्तर प्रदेश) में एक बड़ी त्रासदी में स्कूल जा रहे 10 वर्ष से कम आयु के 8 बच्चे ओराई क्षेत्र के रेल्वे क्रॉसिंग पर स्कूल वैन के ट्रेन से टकराने पर मारे गए, जबकि इतने ही बच्चे घायल हो गए। रेल्वे क्रॉसिंग पर होने वाली दुर्घटनाओं के पिछले लगभग एक दशक के आंकड़े देखें तो औसतन एक दिन में 7 व्यक्ति केवल रेल्वे क्रॉसिंग पर दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। प्रति वर्ष लगभग 2500 मौतें इन दुर्घटनाओं में होती हैं। गंभीर रूप से घायल होने वाले व्यक्तियों की संख्या इससे भी अधिक है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के दुर्घटना सम्बंधी आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014 में रेल्वे क्रॉसिंग पर 2575 दुर्घटनाएं हुईं। ऐसी सबसे अधिक दुर्घटनाएं (3347) वर्ष 2010 में हुईं थीं। इन आंकड़ों के अनुसार रेल्वे क्रॉसिंग की सबसे अधिक दुर्घटनाएं तेलंगाना में होती हैं जबकि दूसरे नंबर पर बिहार है। देश में होने वाली ऐसी दुर्घटनाओं में 20 प्रतिशत बिहार में होती हैं।

दुर्घटना की अधिक संभावना उन रेल्वे क्रॉसिंग पर होती हैं जहां कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं है। ऐसे रेल्वे क्रॉसिंग की संख्या हज़ारों में है। सब मानते हैं कि इनकी सुरक्षा व्यवस्था सुधारने पर अधिक ध्यान देना ज़रूरी है मगर इसके लिए वर्षों से पर्याप्त बजट की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
यहां सुरक्षा की व्यवस्था करने में सड़क परिवहन और रेल्वे मंत्रालयों को आपसी सहयोग से कार्य करना है और इस सुरक्षा के लिए बजट को वे मिलकर जुटा सकते हैं। यदि सुरक्षा को महत्व दिया जाए तो रेल्वे क्रॉसिंग की समुचित सुरक्षा की व्यवस्था अपेक्षाकृत कम समय में हो सकती है। पर इच्छा शक्ति व ज़रूरी बजट के अभाव में यह महत्वपूर्ण कार्य टलता जा रहा है।
रेल्वे क्रॉसिंग के अतिरिक्त रेल दुर्घटनाओं का सबसे प्रमुख स्थान मुंबई महानगर है। यहां की स्थानीय रेल व्यवस्था में व सभी रेल्वे क्रॉसिंग में सुरक्षा बढ़ सके तो इसका असर शीघ्र ही भारतीय रेल्वे की राष्ट्रीय सुरक्षा पर नज़र आएगा। मुंबई महानगर की रेल दुर्घटनाओं में अनेक दुर्घटनाएं ऐसी हैं जो सुरक्षा के साधारण नियमों के बार-बार उल्लंघन के कारण हो रही हैं। आकलन से पता चलता है कि रेल्वे स्टेशनों व रेलों में अधिक संख्या में यात्रियों को सहने की क्षमता के अनुकूल व्यवस्थाएं न होने के कारण ये दुर्घटनाएं हो रही हैं। इसके अतिरिक्त ज़रूरी सावधानियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने से भी कई दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।

मुम्बई व कुछ अन्य शहरों की रेलों में होने वाली अधिक मौतों के बारे में हाल ही में सीएजी की एक रिपोर्ट ने कहा है कि पर्याप्त ट्रेनों के अभाव के कारण इन ट्रेनों में बहुत अधिक भीड़ रहती है जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ती है। इन दुर्घटनाओं में 15 प्रतिशत मौतें ट्रेनों से यात्रियों के गिरने के कारण होती हैं जबकि 59 प्रतिशत मौतें जल्दबाज़ी में अनुचित ढंग से रेल्वे लाइन पार करने जैसे कारणों से होती हैं।
हाल में भदोही ज़िले में हुई दर्दनाक दुर्घटना का कारण यह बताया गया है कि स्कूल वैन के ड्राइवर द्वारा मोबाइल फोन पर बात करते रहने के कारण उसे चेतावनी की आवाज़ सुनाई नहीं दी, जबकि रेल्वे क्रॉसिंग पर तैनात ‘गेट मित्र’ ने चेतावनी दी थी। अत: सुरक्षा व्यवस्था सुधारने के साथ ज़रूरी सावधानियों के प्रति जागरूकता फैलाना भी ज़रूरी है। (स्रोत फीचर्स)