मनीष श्रीवास्तव

हाल ही में विज्ञान के क्षेत्र में भारत को कई सम्मान मिले हैं। एक तरफ भारत को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दी जाने वाली कल्पना चावला स्कॉलरशिप प्राप्त हुई है तो वहीं दूसरी ओर भारतीय मूल की छात्रा ने जूनियर नोबेल पुरस्कार जीत कर देश का मान बढ़ाया है। भारत में विज्ञान को लोकप्रिय करने के लिए जाने-माने विज्ञान संचारक जयन्त नार्लीकर को हाल ही में सम्मानित किया गया है। देश की नई युवा शक्ति को विज्ञान के क्षेत्र में रुचि जगाने वाली यह बेहद महत्वपूर्ण खबरें हैं जिनसे युवा प्रेरित होकर भारत को विज्ञान क्षेत्र में सिरमौर बना सकते हैं। इन तीनों पुरस्कार विजेताओं के बारे में यहां चर्चा की जा रही है।

  1. महाराष्ट्र, अमरावती की रहने वाली 21 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा सोनल बबरवाल को हाल ही में वैश्विक स्तर पर दी जाने वाली कल्पना चावला छात्रवृत्ति 2017 प्रदान की गई है। यह छात्रवृत्ति इंटरनेशनल स्पेस युनिवर्सिटी, फ्रांस की ओर से दी जाती है। पहली बार किसी भारतीय को यह छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है।
    सोनल को प्रारंभ से ही रोबोटिक्स, स्पेस और पर्यावरणीय विषयों पर गहन अध्ययन करने में रुचि रही है। सोनल ने माउंट कार्मल हाईस्कूल, अमरावती से पढ़ाई करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन में सिपना कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी अमरावती से बी.टेक. पूरा किया। अंतरिक्ष क्षेत्र में रुचि के चलते सोनल ने अंतरिक्ष से सम्बंधित विषयों पर कई प्रेज़ेन्टेशन भी बनाए हैं।
    इंटरनेशनल स्पेस यूनिवर्सिटी की स्थापना 1987 में हुई थी। इसके बाद से यहां अब तक 100 देशों के 4200 छात्र स्नातक परीक्षा पास कर चुके हैं। इस संस्थान से दुनिया भर के अंतरिक्ष विशेषज्ञों की टीम जुड़ी हुई है जो  छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान करती है। इस स्कॉलरशिप के लिए छात्रों की कई स्तरों पर परीक्षा ली जाती है। सबसे बेहतर अंक लाने वाले तथा अच्छे अकादमिक रिकार्ड वाले छात्रों को ही यह स्कॉलरशिप मिल पाती है।
    इंटरनेशनल स्पेस यूनिवर्सिटी भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के सम्मान में यह छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है। इसका उद्देश्य तकनीक और अंतरिक्ष क्षेत्र में महिलाओं को आगे लाना है। वे महिलाएं जिनकी पृष्ठभूमि विज्ञान, मेडिसिन और अंतरिक्ष से सम्बंधित विषयों की रही है वे इस स्कॉलरशिप का लाभ ले सकती हैं और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर सकती हैं। अब सोनल बबरवाल दुनिया भर में स्पेस साइंस की पढ़ाई के लिए चर्चित कॉर्क इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, आयरलैण्ड से स्नातकोत्तर पढ़ाई पूरी करेंगी।
  2. भारतीय-अमेरिकी मूल की इंद्राणी दास को साल 2016 का जूनियर नोबेल पुरस्कार दिया गया है। वे अभी सिर्फ 17 वर्ष की हैं। उन्हें मस्तिष्क सम्बंधी बीमारियों तथा उनके इलाज के सम्बंध में की गई महत्वपूर्ण रिसर्च के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।
    अमेरिका की सोसायटी फॉर साइंस एंड पब्लिक संस्था द्वारा हाई स्कूल स्तर पर विज्ञान और गणित के क्षेत्र में प्रति वर्ष व्यापक स्तर पर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। अमेरिका की सबसे पुरानी प्रतियोगिताओं में इसकी गिनती है। इसे ही जूनियर नोबेल पुरस्कार कहा जाता है। इंद्राणी दास ने इसी प्रतियोगिता में जीत दर्ज की है। इसके लिए उन्हें जूनियर नोबेल पुरस्कार और 1.63 करोड़ रुपए की धनराशि दी गई है। इस सम्बंध में यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि अब तक पिछली प्रतियोगिताओं में 12 ऐसे जूनियर नोबेल पुरस्कार विजेता हुए हैं जिन्होंने आगे चलकर अपनी खोजों के लिए नोबेल पुरस्कार भी जीता है।
  3. जयन्त विष्णु नार्लीकर विज्ञान क्षेत्र का जाना-माना नाम है। विज्ञान लोकप्रियकरण के लिए उन्होंने आजीवन कार्य किया है। उन्हें विज्ञान सेवा के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। हाल ही में उन्हें विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं देने के लिए लक्ष्मीपत सिंघानिया - आईआईएम लखनऊ नेशनल लीडरशिप पुरस्कार 2016 से सम्मानित किया गया है। नार्लीकर की प्रारंभ से विज्ञान विषयों में गहरी रुचि रही है। उनका जन्म 19 जुलाई 1938 को कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बनारस में करने के बाद उच्च शिक्षा कैम्ब्रिाज वि·ाविद्यालय से प्राप्त की। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के विषय में माना जाता है कि बिग बैंग के कारण ब्राहृाण्ड की उत्पत्ति हुई थी लेकिन इसी सम्बंध में एक और धारणा प्रचलित रही है जिसे फ्रेड हॉयल का स्टडी स्टेट सिद्धान्त कहा जाता है। इस सिद्धान्त पर नार्लीकर भी फ्रेड हॉयल के साथ काम कर चुके हैं। अब तक कई विज्ञान कथाओं तथा विज्ञान विषयों पर उनकी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने विज्ञान के कई गूढ़ विषयों को सरल भाषा में लिखा है ताकि आम व्यक्ति भी विज्ञान को रुचि के साथ पढ़ सके। (स्रोत फीचर्स)