तोते अपने आकर्षक और सुंदर रंगों के लिए मशहूर हैं, जिनमें चटकीले लाल और पीले से लेकर आकर्षक हरे और नीले रंग भी शामिल हैं। वर्षों से, वैज्ञानिक इस बात पर हैरान हैं कि ये पक्षी, कई अन्य जानवरों के विपरीत, ऐसे चटकीले रंग कैसे बनाते हैं। साइंस में प्रकाशित हालिया शोध आखिरकार इन शानदार रंगों के पीछे अनोखे जैविक तंत्र पर प्रकाश डालता है।
दरअसल, अधिकांश पक्षियों में रंग उनके अपने शरीर में नहीं बनते बल्कि उनके खानपान के साथ आते हैं। जैसे फ्लेमिंगो झींगा खाकर गुलाबी हो जाते हैं। लेकिन तोतों में मामला अलग है। वे अपने बढ़ते हुए पंखों में एक एंज़ाइम की मदद से सिटाकोफल्विन समूह के रंजक (पिगमेंट) बनाने के लिए विकसित हुए हैं। इनमें छिटपुट परिवर्तनों के माध्यम से विभिन्न रंग पैदा होते हैं। वैसे कुछ रंग दो रंगों के मेल से भी पैदा होते हैं (जैसे हरा रंग नीले व पीले के मेल से)। इसके अलावा कई रंग पंखों की सूक्ष्म बनावट से भी नज़र आते हैं। जैसे नीला रंग इस पंख की सतह पर मौजूद सूक्ष्म रचनाओं और प्रकाश की अंतर्क्रिया से पैदा होता है।
तोतों के विभिन्न रंगों को समझने में असली सफलता तब मिली जब वैज्ञानिकों ने रासायनिक स्तर पर सिटाकोफल्विन का विश्लेषण किया। ये रंजक कार्बन शृंखलाओं से बने होते हैं। इन शृंखलाओं के अंतिम छोर पर एक हल्का-सा रासायनिक बदलाव रंग को बदल देता है। यदि अंतिम छोर पर एल्डिहाइड समूह है, तो पंख लाल हो जाता है। यदि एल्डिहाइड की जगह कार्बोक्सिल समूह आ जाता है, तो पंख पीला हो जाता है।
इस खोज से पता चलता है कि प्रकृति में अक्सर सरल अभिक्रियाओं के नाटकीय परिणाम होते हैं। इस शोध ने तोते में रंगों के विकास को नियंत्रित करने के लिए ज़िम्मेदार जीन को भी उजागर किया है। यह जीन एक एंज़ाइम को कोड करता है जो एल्डिहाइड को कार्बोक्सिल समूह में परिवर्तित करके लाल रंजक को पीला कर देता है। इस जीन द्वारा उत्पादित एंज़ाइम की मात्रा निर्धारित करती है कि पंख कितना पीला होगा।
रंग उत्पत्ति की इस क्रियाविधि से पता चलता है कि क्यों कुछ तोतों की प्रजातियां विकास के दौरान आसानी से लाल और पीले/हरे रंग में परिवर्तित हो जाती हैं। यह कई तरह के रंगों का उत्पादन करने का एक लचीला और कुशल तरीका है। पोर्टो विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानी और अध्ययन के सह-लेखक रॉबर्टो आर्बोरे, इसे ‘वैकासिक नवाचार का एक अद्भुत मामला’ कहते हैं जो तोतों को साथी को आकर्षित करने और दूसरों के साथ संवाद करने के संकेतों पर नियंत्रण देता है।
लेकिन अभी भी कई रहस्य बने हुए हैं। वैज्ञानिक अभी भी रंग उत्पादन में शामिल कोशिकाओं को निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं और साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि ये विशेष रंग सबसे पहले क्यों विकसित हुए थे। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - January 2025
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