1990 के दशक में जब शिकारियों ने पश्चिमी बोर्नियो के उष्णकटिबंधीय जंगलों से अधिकतर फलभक्षी पक्षियों का शिकार कर डाला तब वहां का आसमान तो सूना हो ही गया था, कुछ सालों के भीतर वहां का जंगल भी उजड़ गया था। बीज बिखेरने वाले पक्षियों के अभाव में फलदार पौधों की विविधता में जो कमी आई उसने पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत में बीज फैलाने वाले जीवों के महत्व को नुमाया किया था। लेकिन अब, समशीतोष्ण क्षेत्रों में भी पारिस्थितिकी तंत्र की सांसें उखड़ती नज़र आ रही हैं।
साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि कम से कम एक तिहाई युरोपीय पौधों की प्रजातियां शायद सिर्फ इसलिए जोखिमग्रस्त की श्रेणी में आ जाएं क्योंकि या तो उनके बीजों को फैलाने वाले ज़्यादातर जानवर खतरे में हैं या कम होते जा रहे हैं। बीज फैलाने वालों (जिनमें पक्षियों के अलावा स्तनधारी, सरिसृप और चींटियां भी शामिल हैं) की संख्या में गिरावट पौधों की जलवायु परिवर्तन से निपटने या जंगल की आग के बाद उबरने की क्षमता को खतरे में डाल सकती है, खासकर युरोप के अत्यधिक खंडित परिदृश्य में।
कोइम्ब्रा विश्वविद्यालय की सामुदायिक पारिस्थितिकी विज्ञानी सारा मेंडेस ने यह पता लगाने का बीड़ा उठाया कि कौन-से जानवर कौन-से पौधे के बीज फैलाते हैं। इसके लिए पहले तो उन्होंने 26 भाषाओं में उपलब्ध हज़ारों अध्ययनों को खंगाला और उनमें से ऐसे अध्ययनों को छांटा जिनमें बीज प्रकीर्णन जैसे शब्दों का उल्लेख था, या जो युरोप के (900 से अधिक में से किसी एक) बीजभक्षी जानवर पर केंद्रित थे।
मेंडेस को इस छंटनी में ऐसे 592 स्थानिक पौधों की सूची मिली जिनके फल गूदेदार थे, या यूं कहें कि जिन पौधों में बीज फैलाने वाले जानवरों को उनके फल खाने के लिए लालच देने का अनुकूलन था। साथ ही, उन्हें इन फलों को खाने वाले 398 जानवरों की सूची भी मिली। इनमें से फलभक्षी जानवर एक से अधिक प्रकार के पौधों के फल/बीज खाते हैं। तो इस तरह उनके द्वारा तैयार डैटा सेट में हरेक पौधे और उसके बीजों को फैलाने जानवरों की 5000 से अधिक जोड़ियां बनीं।
फिर शोधकर्ताओं ने इन बीज फैलाने वालों की हालिया स्थिति का जायज़ा लिया। उन्होंने पाया कि युरोप के सभी प्रमुख जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में पाए जाने वाले एक तिहाई से अधिक ऐसे जंतु तो अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा जोखिमग्रस्त घोषित हैं, या उनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। उदाहरण के लिए, एक आम प्रवासी पक्षी गार्डन वार्बलर (Sylvia borin) लगभग 60 पौधों के बीजों को फैलाता है, और इसकी संख्या पूरे युरोप में घट रही है। यही हाल रेडविंग (Turdus iliacus) का भी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जोखिमग्रस्त जानवरों की संख्या को देखते हुए संकट शब्द का उपयोग अनुचित न होगा।
अध्ययन में 60 प्रतिशत से अधिक पौधों के पांच या उससे कम बीज बिखेरने वाले जानवर पाए गए हैं। अब यदि इनमें से कोई भी महत्वपूर्ण बीज वितरक विलुप्त हो जाता है तो स्थिति पौधे के लिए अति-असुरक्षित बन सकती है। इसके अलावा सूची में लगभग 80 ऐसी ‘अति चिंतनीय’ अंतःक्रियाएं भी शामिल हैं जिनमें पौधे और जानवर दोनों ही खतरे में हैं या तेज़ी से घट रहे हैं। इस सूची में युरोपियन फैन पाम (Chamaerops humilis) शामिल है। यह पौधा 10 जंतु प्रजातियों की बीज वितरण सेवाओं के भरोसे फलता-फूलता है। इसके बीज वितरकों में युरोपीय खरगोश (Oryctolagus cuniculus) शामिल है जो IUCN द्वारा स्पेन और पुर्तगाल में ‘लुप्तप्राय’ सूची में शामिल है।
बहरहाल, अध्ययन उजागर करें, न करें लेकिन वैश्विक स्तर पर भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है। और इतना तो ज़ाहिर है कि जीव-जंतुओं का बेहतर संरक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ और स्वस्थ रख सकता है। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - January 2025
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