जे. बी. एस. हाल्डेन

किसी समय की बात है - ब्राज़ील में 'मानोस' नामक स्थान पर पाउलो मारिया एनकारनको एस्पलेंडिडो नाम का एक बहुत अमीर आदमी रहता था। उसके पास सोने की दो खदानें थीं और एक चांदी की। आप सोचते होंगे कि चांदी की खदानों की अपेक्षा सोने की खदानों से ज्यादा पैसा मिलता होगा, क्योंकि सोना चांदी से ज्यादा मंहगा होता है; लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। सोने की खदानों से जितना पैसा आता है उससे कहीं ज्यादा पैसा उनके अंदर चला जाता है, क्योंकि सोने को पाने के लिए लोग खदानें खोदते ही जाते हैं और कई दफा ऐसी जगह भी खोद डालते हैं, जहां खदान खोदना लाभप्रद नहीं होता।

सर एस्पलेंडिडो की खदानें इस तरह की नहीं थीं। उसे इनसे भी ठीक-ठाक पैसा मिल जाता था, लेकिन चांदी की खदान से उसे ढेरों पैसा मिलता था। 
उसके इतना ज्यादा अमीर होने का एक कारण यह भी था कि वह अपनी खान में काम करने वाले मजदूरों को बहुत ही थोड़ी मजदूरी देता था, इसलिए लोग उसे ज्यादा पसंद नहीं करते थे।

जिन लोगों के पास ज्यादा पैसा होता है, वे उसे अलग-अलग तरह से खर्च करते हैं। कुछ लोग स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, पुस्तकालय आदि बनवाते हैं, जो आम जनता के लिए उपयोगी होते हैं। कुछ लोग हीरे जवाहरात और रेस के घोड़े खरीदते हैं जिनका किसी के लिए कोई उपयोग नहीं होता। सर एम्पलेंडिडो दूसरी वाली किस्म का आदमी था। वह इंग्लैंड के अमीरों की तरह भिन्न-भिन्न प्रकार की कीमती चीजें खरीदने में अपना पैसा खर्च किया करता था। जहां वह रहता था, वहां की सड़कें बहुत खराब थीं। उन पर मोटर चलाना आसान नहीं था, इसलिए उसके पास सिर्फ एक कार थी।

लेकिन उसके पास तीन मोटरबोट थीं, क्योंकि ब्राज़ील के उस भाग में लोग, सड़कों के स्थान पर नदियों का प्रयोग ज्यादा करते हैं। 'मानोस' ऐसी जगह स्थित है, जहां अमेज़न नदी रियो-निग्रो नदी से मिलती है, इसलिए वहां नाव चलाने के लिए गहरा पानी है। एस्पलेंडिड़ो की मोटर-बोट के सभी कलपुर्जे चांदी के बने थे। ऐसा उसने लोगों पर शान जमाने के लिए किया था; और इसीलिए उसने अपनी पत्नी के लिए हीरे के कड़े बनवाए थे। उसने खूब बड़े कड़े बनवाए थे, क्योंकि वह बहुत मोटी थी। और अपने घर के अंदर की सभी चीजें, अपनी खानों से मिलने वाले सोने से ही बनवाई थीं। उसके दांत साफ करने वाले ब्रश का हैंडिल सोने का था। चम्मच, कांटे, ऐश-टे, साबुन-दानियां और यहां तक कि दरवाजों के हैंडिल भी सोने के बने थे। हफ्ते के सातों दिन वह सोने की अलग-अलग घड़ियां पहनता था।

उसके पास बहुत से जानवर थे जिन्हें वह अपने निजी चिड़ियाघर में रखता था। मेरे विचार से उसमें केवल एक ही अच्छी बात थी, वह थी उसका जानवरों के प्रति प्रेम; और एक ऐसा व्यक्ति जिसे जानवरों से प्रेम होता है। कभी भी पूरी तरह बुरा तो नहीं हो सकता। उसके पास ब्राज़ील में पाए जाने वाले चूहे से बड़े सभी तरह के जानवर थे।
उसके पास सःत मगरमच्छ थे, तीन जगुआर थे और दो एनाकोंडा थे जो कि ब्राज़ील में पाए जाने वाले बड़े सांप होते हैं। एनाकोंडा अजगर जैसे जहरीले नहीं होते, लेकिन ये आदमी के चारों ओर लिपट कर उसे खत्म कर सकते हैं। ये अच्छे तैराक भी होते हैं।

उनमें से एक मादा सांप थी। एस्पलेंडिडो, उसके अंडे उबलवाकर, सोने के प्याले में, सोने के चम्मच से खाता था और कहता था कि ये बहुत अच्छे होते हैं। अब हो सकता है ये अंडे बिल्कुल भी अच्छे न होते हों। एस्पलेंडिडो को तो शेखी बघारने की इतनी लत थी कि वह शेखी में कुछ भी कह देता होगा। मैं तो कुछ कह नहीं सकता क्योंकि मैंने कभी ऐसे अंडे खाए नहीं हैं; परन्तु मैं एक ऐसे व्यक्ति को जरूर जानता हूं जिसने ऐसे अंडे खाए थे।
वह एक खोजकर्ता (Explorer) था, मैक ऑस्ट्रिच। उसने एक बार में तीन सांप के अंडे खाए थे, लेकिन उसे उससे पहले एक हफ्ते तक कुछ भी खाने को नहीं मिला था। इसलिए ताज्जुब नहीं है कि उसने इन अंडों को पसंद किया।

अब हम मगरमच्छ पर आते हैं। हर तरह के मगरमच्छ बेवकूफ प्राणी होते हैं। साधारणतः वे कुछ भी नहीं सीख सकते। हालांकि उनका सिर बहुत बड़ा होता है, लेकिन उसके अंदर दिमाग आदमी से तो क्या, बंदर, कुत्ते यहां तक कि खरगोश के दिमाग से भी कम होता है। इसलिए उनका सीखना, कुछ ही तरह के थोड़े से कामों तक सीमित रहता है। एक कुत्ते का मस्तिष्क बड़ा होता है, इसलिए वह एक मनुष्य का मस्तिष्क और भी बड़ा होता है और वह लाखों तरह के काम कर सकता है।

लेकिन एस्पलेंडिडो के इन सातों मगरमच्छों में से एक का मस्तिष्क सामान्य से थोड़ा बड़ा रहा होगा क्योंकि उसने एक-दो काम करना सीख लिया था। ये उसे पैड्रो रोडरिज़ नाम के आदमी ने सिखलाए थे, जो उन जानवरों की देखरेख करता था। वह जानवरों का बड़ा शौकीन था और उनके साथ बहुत धैर्यवान भी। उसने इस मगरमच्छ को, जिसका नाम उसने रोजा रखा था, पुकारने पर पानी से बाहर आना सिखाया था।
मैं बताना ही भूल गया कि यह एक मादा मगरमच्छ थी। सब मगरमच्छ कुछ बातों में झींगा मछली की तरह होते हैं। वे पानी में रहते हैं, बाहर से सख्त होते हैं, और आपको काट भी सकते हैं। लेकिन मगरमच्छ खाने में उतने स्वादिष्ट नहीं होते जितनी कि झींगा मछली।

रोज़ा कुछ और काम करना भी सीख गई थी। वह अपने पीछे के पैरों और दुम पर बैठ सकती थी और लोगों के खाना फेंकने पर अपना मुंह खोल सकती थी। वह अपनी दुम अपने मुंह में डालकर गोल-गोल घूम लेती थी। उसका पति जोआ, बेवकूफ और चिड़चिड़ा था। कम-से-कम वह आदमियों के साथ तो बदमिजाज़ था ही। लेकिन रोज़ा उसे ठिकाने रखती थी और जब वह लालच करता और रोज़ा को भोजन में से पूरा हिस्सा नहीं देता, तब वह उसे अपनी दुम से फटकारती थी।
एक दिन एस्पलेंडिडो ने पैड्रो से जानवरों का हालचाल पूछा। पैड्रो ने बताया, “बाकी सब जानवर तो ठीक हैं, सिवाय नर एनाकोंडा के। उसने अपने दो दांत तोड़ लिए हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि वे फिर से उग आएंगे।''

"क्या बकवास है", एस्पलेंडिडो ने कहा, “वह बड़ा हो चुका है, उसके अब और दांत नहीं उग सकते।'' पैड्रो ने सिर्फ इतना कहा, “बिल्कुल ठीक सर।'' वह जानता था कि हालांकि उसकी बात ठीक थी, फिर भी जवाब देने का कोई फायदा नहीं था। उसका मालिक एक अहंकारी व्यक्ति था और कोई अगर उसकी गलती बता दे, तो वह एकदम आग-बबूला हो जाता था।

और तभी एस्पलेंडिडो को एक बढ़िया विचार आया। उसने सोचा कि वह क्यों ने अपने सांप के सोने के दांत बनवाकर लगवाए? फिर वह संसार में अकेला ऐसा व्यक्ति होगा, जिसके पास सोने के दांत वाला सांप होगा। सोने के चम्मच, घड़ियां, नमक मिर्च धनियां जैसी चीजें तो बहुत-से लोगों के पास होती हैं, और भारत में कुछ राजाओं और राजकुमारों के पास तो सोने की सबसे अजीबो-गरीब चीजें होती हैं। स्वैट के अकुंड की सात पनियों के पास सोने की नाक की नथनियां थीं, ला-बेला के जाम के पास सोने की सत्रह टूथपिक, सोने के पांच तोते के पिंजड़े और एक पैर साफ करने का सोने का झांवा था। भोपाल की बेगम की तो सिलाई मशीन ही सोने की थी। और स्पीति के नोनो के पास तो सोने का पीकदान था (हिमाचल में एक स्थान है स्पीति, जहां के राजा को नोनो कहा जाता है)।

इसलिए एस्पलेंडिडो ने कहा, "मैं जैसिंटो के दांत बनवाने के लिए दंत चिकित्सक से मिलूंगा।'' उस नर एनाकोन्डा का नाम जैसिंटो था।‘मानोस' में एक अच्छा दंत चिकित्सक था। उसने एस्पलेंडिडो के लिए बहुत-सी बेहतरीन सोने की फिलिंग और कुछ ठोस सोने के दांत बनाए थे। इसलिए जब एस्पलेंडिडो अपना मुंह खोलता था, तो बैंक ऑफ इंग्लैंड का वह तहखाना नज़र आता था, जिसमें वहां का सारा आरक्षित सोना जमा रहता है।
दंत चिकित्सक को एक सांप के लिए दांत बनाने का काम ज्यादा पसंद नहीं आया। उसका कहना था, "अगर मैं एक आदमी के साथ कुछ करता हूँ, तो उसे कितना भी दर्द हो, वो मुझे कभी खाएगा या काटेगा नहीं। लेकिन इस तरह का बड़ा सांप ऐसा कर सकता है।'' एस्पलेंडिडो ने कहा, "आओ, और सांप को देखो देखो कि तुम्हें किस नाप के दांत बनाने हैं। और जब दांत लगाने का समय आएगा, हम पूरी सावधानी रखेंगे कि सांप तुम्हें काट न सके।"

वे लोग काफी समय तक बहस करते रहे और अंत में दंत चिकित्सक ने कहा कि अगर उसे आदमी के दांत से तीन गुना ज्यादा पैसा मिलेगा, तो वह यह काम करने को तैयार है। और तब वह मोटर बोट में बैठकर सांप के दांत देखने गया।
फिर घर लौटकर उसने सोने के कुछ दांत बनाए। इसी बीच पैड्रो कोई तरकीब सोच रहा था कि जब चिकित्सक सांप के दांत लगाएगा तो उसे किसी तरह शांत रखा जा सके।

जैसिंटो अठारह फीट लंबा था, इसलिए वह इतना ही लंबा एक लोहे का पाइप लाया। उसके एक सिरे पर पैड्रो ने एक कपड़ा लगा दिया। कपड़े में एक गोल छेद था, जिसे एक डोरी से खींच कर बंद किया जा सकता था। दूसरा सिरा खुला था।

जैसिंटो और उसकी पत्नी एक बाड़े में रहते थे। उन्हें चिड़ियाघर के सांपों की तरह घर के अंदर नहीं रहना पड़ता था क्योंकि ब्राज़ील एक गर्म प्रदेश है। ठंडे प्रदशों में सांप को गर्म जगह पर रखना पड़ता है, क्योंकि सांप, आदमी, कुने, घोड़े या चिड़िया की तरह अपने आप को अंदर से गर्म नहीं रख सकता।
पैड्रो ने बाड़े की दीवार में एक छेद करके पाइप का खुला वाला सिरा वहां लगा दिया। फिर वह एक चूहा लाया और उसने श्रीमती जैसिंटो को पकड़कर बाड़े में वह चूहा छोड़ दिया। चूहा डर के मारे पाइप में भागा, जैसिंटो भी उसके पीछे-पीछे रेंगने लगा। चूहा पाइप के खुले सिरे से कूद कर भाग गया।
जैसिंटो ने उसका पीछा किया और जैसे ही उसने अपना सिर पाइप से बाहर निकाला किसी ने डोरी खींच कर उसकी गर्दन कस कर बांध दी। अब सिर्फ उसका सिर पाइप से बाहर निकला रह गया। फिर उन लोगों ने मिल कर सांप सहित पाइप को उठाया और बाड़े के छेद को बंद कर दिया जिससे उसकी पत्नी बाहर न जा सके।

सांप को उठाने के लिए चार आदमियों को लगना पड़ा। उन्होंने उसे मोटर बोट में रखा और दंत चिकित्सक के पास पहुंचे। सांप बहुत गुस्से में था और लगातार फुफकार रहा था। चिकित्सक भी उसे देख बहुत डर रहा था। उसने एक गिलास रम चढ़ाई और काम में जुट गया। उन्होंने पाइप को एक मेज़ पर इस तरह रखा कि जैसिंटो का सिर, मेज़ के किनारे के ज़रा आगे आ जाए। फिर वे एक दूसरा चूहा उसके मुंह के ठीक सामने लाए और जैसे ही उसने चूहा झपटने के लिए मुंह खोला, पैड्रो ने उसके जबड़ों के बीच एक छड़ी फंसा दी, और जब तक चिकित्सक काम करता रहा, पैड्रो और एक दूसरे आदमी ने मिलकर इस छड़ी को कसकर पकड़े रखा।

बेचारा सांप न तो मुंह बंद कर सकता था, और न ही सिर हिला सकता था। डॉक्टर अपनी मशीन के साथ काम करने में जुट गया। जैसिंटो की फुफकार सुनने लायक थी-- एक स्टीम इंजन की तरह जो स्टेशन पर ज्यादा देर खड़ा रह गया हो और बॉयलर फट न जाए, इस डर से ड्राइवर को थोड़ी-सी भाप निकालनी पड़ जाए।
डॉक्टर इतना ज्यादा डरा हुआ था कि उसे एक गिलास रम और पीनी पड़ी। आखिरकार किसी तरह दोनों दांत मज़बूती से लग गए। फिर उन लोगों ने जैसिंटो को वापस ले जाकर बाई में छोड़ दिया। अब एस्पलेंडिडो अत्यंत गर्व के साथ अपनी पत्नी और सब मित्रों को सोने के दांत वाला सांप दिखाने ले गया।

न तो जैसिंटो खुश था और न ही उसकी पत्नी, क्योंकि उन बेचारों को पता ही नहीं था कि सोना और सब चीजों से ज्यादा अच्छा होता है। यह भी उन चीज़ों में से एक है, जिनके बारे में सांप आदमी से ज्यादा समझदार होता है। मैं सोचता हूं कि आदमी सोने की खाने खोदने में बहुत अधिक समय बरबाद करते हैं और मुसीबतें उठाते हैं। और जब उन्हें सोना मिलता है तो वास्तव में यह नोहे या चॉकलेट या रबर जितना उपयोगी भी नहीं होता और न ही फुल, कांच या तस्वीर जैसा सुंदर।

आप तो शायद नहीं जानते होंगे, लेकिन पैड्रो जानता था कि अब आगे क्या होने वाला है। एक दिन जब सर एस्पलेंडिडो जैसिंटो को देखने आए तो उन्होंने देखा कि उसका एक सोने का दांत गायब है, और उसकी जगह एक साधारण दांत लगा हुआ है।
उन्हें बहुत गुस्सा आया और वह अपनी बड़ी-सी छड़ी उठाकर पैड्रो पर झपटे, “तू चोर है, बदमाश है, तूने सोने का दांत निकाल कर उसकी जगह एक मामूली दांत लगा दिया। मैं तुझे नौकरी से निकाल दूंगा, तुझे जेल भिजवा दूंगा।"

बात ये है कि सांप के दांत, मनुष्य के दांत की तरह नहीं होते। मनुष्य के मुंह में कुछ जगहों पर दांत, दो बार आ सकते हैं, और कुछ पर केवल एक बार। जब वे छ: या सात साल के होते हैं तो तब तक आए हुए दांत गिर जाते हैं, और उसके बाद नए दांत आते हैं। ये दांत अगर गिर जाएं तो फिर नकली दांत ही लगवाने पड़ते हैं। इसलिए अच्छा तो यहीं रहता है कि अगर दांत में छेद हो जाएं, तो उन्हें जल्दी ही भरवा लिया जाए, जिससे वो इतने ज्यादा खराब न होने पाएं कि उन्हें निकालना पड़े।

कुछ थोड़े से या बहुत ही कम, ऐसे असामान्य और खास व्यक्ति होते हैं जिनका स्थाई दांत गिर जाए तो एक तीसरा दांत उग आता है। लेकिन सांप और मगरमच्छ के तो एक दांत की जगह कितने ही दांत उग सकते हैं। जब एक दांत गिर जाता है, उसकी जगह दूसरा आ जाता है। पैड्रो यह बात जानता था। असल में उसके पास रोज़ा के बहुत सारे पुराने टूटे हुए दांत थे और उनसे पैड्रो ने अपनी पत्नी के लिए माला बना दी थी।

इसलिए वह जानता था कि जैसिंटो के पुराने दांत का टुकड़ा जिस पर मोना लगा दिया गया था, गिर गया है, और बाड़े में ही कहीं पड़ा होगा। बह उस दांत को ढूंढने जाता लेकिन दंत चिकित्सक के पास जाने के बाद से ही जैसिंटो इतना बौखलाया हुआ था कि पैड्रो हाथ पैरों पर रेंगकर दांत इंढने जाने में डर रहा था कि कहीं जैसिंटो पीछे से आकर उसके पैर में न काट ले। बेचारा गरीब जूते भी नहीं खरीद सकता था।
खैर, पैड्रो ने सोच लिया था कि अगर सर एस्पलेंडिडो डंडा लेकर उसके पीछे आते हैं तो वह क्या करेगा। वह अहाते में भाग कर मगरमच्छ के तालाब के पास पहुंच गया और रोज़ा को बुलाने लगा। रोज़ा दौड़कर पानी से बाहर आई और अपने पीछे के पैरों पर बैठ गई। पीछे-पीछे अपना बड़ा-सा डंडा लेकर सर एस्पलेंडिडो आया। पैड्रो रोज़ा के इर्द-गिर्द गोलगोल घूमकर चार बचाता रहा।

जब सर एस्पलेंडिडो रोज़ा और तालाब के बीच भाग रहे थे, रोज़ा को उसके मित्र का पीछा करने के लिए एस्पलेंडिडो पर गुस्सा आने लगा। उसने अपना मुंह खोला, बहुत चौड़ासा, और गुस्से से एक बड़े ज़ोर की, अजीब-सी आवाज़ निकाली, जैसी कि मगरमच्छ नाराज़ होने पर निकालते हैं। यह आवाज़ फुफकार, चिंघाड़ और घुरघुराहट के बीच कुछ थी।
कभी चिड़ियाघर की देख-रेख करने बाले को, मगरमच्छ को कोंचने के लिए राज़ी करके तुम यह आवाज़ सुन सकते हो - अगर तुम्हारी किस्मत अच्छी हुई तो। लेकिन तुम अपने आप यह काम करने की कोशिश कभी मत करना, क्योंकि हो सकता है रेलिंग पर ज्यादा आगे झुकने से तुम तालाब में जा गिरो। या फिर यह भी संभव है। कि मगरमच्छ को परेशान करते हुए चौकीदार तुम्हें देख ले, तो तुम्हें चिड़ियाघर से बाहर निकाल दिया जाए और फिर कभी भी अंदर नहीं आने दिया जाए। यह बात तो सोचने में ही कितनी भयानक लगती है कि तुम आगे कभी चिड़ियाघर में नहीं जा सकोगे, लेकिन मैं समझता हूं मगरमच्छों का भोजन बनने से तो यह बेहतर ही है।

रोज़ा  बीस फुट लंबी थी। चिड़ियाघर के बड़े मगरमच्छों से कहीं दो गुना अधिक लंबी और दो गुना मोटी भी। उसने जो आवाज़ निकाली वो काफी डरावनी थी और उसका मुंह, सब दांतों के साथ एक बड़े से दरवाज़े जैसा नजर आ रहा था। सर एस्पलेंडिडो बुरी तरह डर गए कि अपना संतुलन खो बैठे और तालाब में जा गिरे।

उधर तालाब किनारे जोआ अपना मुंह खोले इंतज़ार कर रहा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उसके खाने का वक्त हो गया है। और फिर ऐसा हुआ, हालांकि कोई नहीं चाहता था कि ऐसा हो, कि उसने एस्पलेंडिडों को इतनी तेज़ी से खा लिया कि गिरते समय जो सिगार वो पी रहे थे उससे जोआ की जीभ जल गई। अक्सर ऐसा होता है, कोई जल्दी-जल्दी खाए तो अपनी जीभ जला लेता है, मैं सोचता हूं कि यह उसके लिए अच्छा सबक होता है।
लेकिन जोआ ने एक ट्रांग रोज़ा के लिए छोड़ दी क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं करता तो रोज़ा अपनी दुम से उसकी पिटाई करती।

तो ऐसा था अंत सर एस्पलेंडिडो का। कोई नहीं जानता सोने की घड़ी जोआ के पेट में कब तक टिक-टिक करती रही क्योंकि खा पीकर जोआ तालाब के बीच जाकर सो गया। अगर तुम किसी ऐसे बहादुर को जानते हो जो नरभक्षी मगरमच्छों के तालाब के बीच में जाकर अपना कान मगरमच्छ के पेट से लगाकर घड़ी की टिक-टिक सुन सकता हो तो मैं उससे मिलना चाहूंगा।

पैड्रो को पकड़ लिया गया और जज के सामने पेश किया गया। लेकिन जब जज ने उसकी कहानी सुनी, तो कहा, "मैं समझता हूं, सर एस्पलेंडिडो के साथ उचित ही हुआ और यह तुम्हारी गलती नहीं थी। इसलिए मैं तुम्हें जाने देता हूं।" 
अगले सप्ताह एक अमेरिकन ने रोज़ा को श्रीमती एस्पलेंडिडो से खरीद लिया और पैड्रो को उसकी देखरेख के लिए रख लिया। अब वे दोनों एक सर्कस में काम करते हैं। रोज़ा ने दो काम और सीख लिए हैं। वह पाइप पी सकती है और अपनी दुम से बाजा बजा सकती है। पैड्रो को सर एस्पलेंडिडों जितना देते थे, उससे पंद्रह गुना ज्यादा वेतन मिलता है।

अगर वह सरकस कभी तुम्हारे शहर में आए तो देखना मत भूलना।


जे. बी. एस. हाल्डेनः (1892-1964) प्रसिद्ध अनुवांशिकी जानी। विकास के आधनिक मिद्धांत को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान। विख्यात विज्ञान लेखक, उनके निबंधों का एक महत्वपूर्ण व रुचिकर संकानन 'ऑन बीइंग इ राइट साइज' शीर्षक से प्रकाशित है।
अनुवाद: पुष्पा अग्रवाल: जयपुर में रहती है। शौकिया अनुवाद करती हैं।