 फफूँद यानी कुकुरमुत्ते का यह फोटो एकदम अंधेरे में खींचा गया है, इतना ही नहीं फोटो खींचते वक्त फ्लेश-बल्ब या अन्य किसी तरह की रोशनी का इस्तेमाल भी नहीं हुआ है। सोच में पड़ गए न आप! दरअसल यह एक विशेष प्रकार की फफूद है जो स्वयं प्रकाश पैदा करती है। प्रकृति में पाई जाने वाली ऐसी घटनाओं को, जब कोई जीव खुद प्रकाश पैदा करे, बायोल्युमिनिसेंस भी कहते हैं। इसका चिर-परिचित उदाहरण जुगनू तो है हीं परन्तु इस फफूद को देखकर समझ में आता है कि प्रकाश उत्पन्न कर पाना केवल जंतुओं तक सीमित नहीं है।
फफूँद यानी कुकुरमुत्ते का यह फोटो एकदम अंधेरे में खींचा गया है, इतना ही नहीं फोटो खींचते वक्त फ्लेश-बल्ब या अन्य किसी तरह की रोशनी का इस्तेमाल भी नहीं हुआ है। सोच में पड़ गए न आप! दरअसल यह एक विशेष प्रकार की फफूद है जो स्वयं प्रकाश पैदा करती है। प्रकृति में पाई जाने वाली ऐसी घटनाओं को, जब कोई जीव खुद प्रकाश पैदा करे, बायोल्युमिनिसेंस भी कहते हैं। इसका चिर-परिचित उदाहरण जुगनू तो है हीं परन्तु इस फफूद को देखकर समझ में आता है कि प्रकाश उत्पन्न कर पाना केवल जंतुओं तक सीमित नहीं है।
आमतौर पर ए. टी.पी. में संचित ऊर्जा कोशिकीय कार्यों में इस्तेमाल होती है परन्तु इस फफूद जैसे कुछ उदाहरणों में सूर्य प्रकाश से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा फिर से प्रकाश में बदल जाती है।

