Sandarbh - Issue 157 (March-April 2025)
- Sexual Attraction and Smell by Vipul Keerti Sharma
यौन-आकर्षण और गन्ध - विपुल कीर्ति शर्मा [Hindi, PDF]
जहाँ नर गार्टर साँप मादा गार्टर साँपों की गन्ध छोड़कर सर्दियों की अकड़न मिटाते हैं, वहीं नर ऑर्किड मधुमक्खियाँ मादाओं को आकर्षित करने वाली गन्ध छोड़ते अन्य नरों के पैर तोड़ देती हैं। यौन या सेक्स के लिए पार्टनर को खोजने या उसे आकर्षित करने में इन्हीं जैसे और भी कई जीवों के शरीरों से निकलने वाली गन्ध अहम भूमिका निभाती हैं। ये कैसी खुशबुएँ हैं जो जीव जगत में अजब-गज़ब मदहोशी फैलाती हैं? जानने के लिए पढ़िए विपुल कीर्ति शर्मा का गन्धमय लेख। - Thousands of Years of Natural School: Part 1 by Aamod Karkhanis
हज़ारों सालों की निसर्गशाला: भाग 1 - आमोद कारखानीस [Hindi, PDF]
गणित और मानव जीवन का रिश्ता कितना पुराना है? आदिमानवों के जीवन में गणित कितनी अहमियत रखता होगा? गिनना, जोड़ना, घटाना, भाग करना – भला उन्हें इनकी ज़रूरत क्यों होती होगी? क्या वे भी ये सब किसी कक्षा में बैठकर सीखते थे, या फिर, चारों ओर फैली हुई प्रकृति ही उनकी पाठशाला थी? आमोद कारखानीस की इस गणित-कथा में हज़ारों सालों का सफर है जो अगले कुछ अंकों में जारी रहेगा। इन्सान, गणित, प्रकृति – बदला तो क्या बदला? - Navigating STEM with Bittu K. Rajaraman
बिट्टू के. राजारमन के साथ स्टेम की सैर - ध्रुवी निर्मल और बिट्टू के. राजारमन [Hindi, PDF]
विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित – स्टेम – आम धारणा में ये सब वस्तुनिष्ठता को सर्वोपरि रखने वाले क्षेत्र हैं। मगर वस्तुनिष्ठता से अन्तर्क्रिया तो व्यक्ति ही करते हैं, इसलिए उन पर, और अन्ततः स्टेम पर, व्यक्तिनिष्ठता का असर तो पड़ता ही है। अब ज़ाहिर है, असर डालने वाले व्यक्ति ही यदि सीमित और अन्यों को वंचित रखते हुए होंगे, तो स्टेम भी सीमित और अन्यों को वंचित रखता हुआ होगा। ऐसे में, क्या होता है जब किसी वंचित वर्ग का व्यक्ति स्टेम में प्रवेश करता है? उस व्यक्ति की पहचान किस तरह न सिर्फ स्टेम के ढाँचों से जूझती है, बल्कि उन्हीं ढाँचों को चुनौती देते हुए ज्ञान, विविधता, समता और समावेशन के नए क्षितिज निर्मित करती है। ऐसे ही एक व्यक्ति – बिट्टू – का यह साक्षात्कार भारत में एक क्वीअर व ट्रांस वैज्ञानिक होने के अनुभवों पर ज़रूरी रोशनी डालता है। - Gonia Bai Awakens the Spirit of Education by Priyanka Kumari
शिक्षा की अलख जगाती गोनिया बाई - प्रियंका कुमारी [Hindi, PDF]
बच्चे क्या केवल अपने माता-पिता के ही बच्चे होते हैं? क्या समाज की उनके प्रति कोई जवाबदारी नहीं होती? आज के समय में जहाँ अभिभावक केवल अपने ही बच्चों तक अपनी ज़िम्मेदारी सीमित रखते हैं, वहीं मलहाटोल गाँव में गोनिया बाई, जो खुद निरक्षर हैं, गाँव के सभी बच्चों की शिक्षा के लिए प्रवाह करती हैं और किसी भी तरह की शैक्षिक गैरज़िम्मेदारी के प्रति आक्रोशित हो जाती हैं। जानिए इन ज़िन्दादिल महिला के जीवन और मूल्यों की कहानी प्रियंका कुमारी के इस लेख में। - Stories - A Way to Reach the Inner Soul of Children by Varun Gupta
कहानियाँ: बच्चों के अन्तर्मन तक पहुँचने का ज़रिया - वरुण गुप्ता [Hindi, PDF]
“ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी-मेरी कहानी है।” कहानियाँ कई हैं – खुशी की खुशबुओं से भरीं, गम के दर्द से भरीं भी – एक ज़िन्दगी में कितनी कहानियाँ, एक कहानी में कितनी ज़िन्दगियाँ। इन्हें महसूस करना हम सब के लिए ज़रूरी है, बच्चों के लिए भी। जब कहानियों से बच्चे जुड़ते हैं तो बहुत कुछ बदलता है, टूटता है, पनपता है। वरुण गुप्ता के इस भावपूर्ण लेख में बच्चों और कहानियों के बीच के इसी रिश्ते को कुछ अनुभवों और चिन्तन से उकेरा गया है। पढ़िए ज़रा… - Secret of Practice by Gopal Midha
रियाज़ का रहस्य - गोपाल मिड्ढा [Hindi, PDF]
रियाज़ से मुँह न मोड़िए! रियाज़ सज़ा नहीं मज़ा है। आप, हम – सभी तो करते हैं जीवन के अलग-अलग पहलुओं में रियाज़! फिर शिक्षा में रियाज़ से इतना डर क्यों? क्योंकि अमूमन यह रियाज़ नीरस और बोझिल बना दिया जाता है। गोपाल मिड्ढा के इस लेख में जानिए शिक्षा और शिक्षण में रियाज़ के ऐसे रहस्य जो इसकी नीरसता और बोझ को दूर करके चेहरे पर मुस्कान ले आएँ। - Totiya Teetar: A Book Review by Anil Singh
तोतिया तीतर: पुस्तक समीक्षा - अनिल सिंह [Hindi, PDF]
किसी कविता संग्रह की समीक्षा कवितामय न हो तो भला कैसी समीक्षा! तोतिया तीतर में जहाँ प्रभात अपने शब्दों से और प्रोइती अपने चित्रों से आसपास के मामूली विषयों का महीन अवलोकन करते हैं, वहीं अनिल सिंह इस पुस्तक समीक्षा में उन गैर-मामूली अवलोकनकर्ताओं का अवलोकन करते हैं – यह भी उतना ही महीन। दिलचस्प होगा इस चश्मे से कविताएँ पढ़ना, आज़माकर देखिए। - Children, Citizenship and Poetry: Part 1 by Samina Mishra
बच्चे, नागरिकता और कविता: भाग 1 - समीना मिश्रा [Hindi, PDF]
मेरे लोग कौन हैं? आज इस देश में जहाँ धर्म, जाति, वर्ग के विशेषाधिकारों और वंचित अधिकारों से सबकुछ बँट गया है, ऐसे में इस देश के बच्चों के लिए अपनेपन की भावना का क्या अर्थ होता है? बच्चे सब देख रहे हैं, मन में कविताएँ सवालों से उलझकर जन्म ले रही हैं, ऐसे में जब कोई वयस्क उन्हें सुनने की कोशिश करता है तो सामाजिक खाइयाँ लाँघकर क्या कुछ नहीं फूटता। समीना मिश्रा का यह लेख इसका एक ताकतवर उदाहरण है। - Time, Distance and Children: Part 3 by Prakash Kant
समय, दूरी और बच्चे: भाग 3 - प्रकाश कान्त [Hindi, PDF]
563 ईसा पूर्व में जन्मे बुद्ध और बहुत-बहुत पहले जन्मी पृथ्वी। 120 किमी दूर होशंगाबाद और बहुत-बहुत दूर इक तारा। संख्याओं से अन्तर्क्रिया और संख्याओं के भीतर मौजूद उनके बोध से अन्तर्क्रिया करने के बीच अमूमन एक खाई देखने को मिलती है। मगर इसे लाँघने की काबिलियत रखते हैं सीखने वाले के सवाल। इन सवालों को ज़िन्दा रखने के लिए वातावरण बनाना शिक्षक का काम है। मगर यह काम आसान नहीं। प्रकाश कान्त के इस लेख में पढ़िए सवाल, बोध और आनन्द के बीच एक शिक्षक कैसा रिश्ता बना सकते है। - Dayin Soond Ke Ganeshji: Part 1 by Jayant Vishnu Narlikar
दाईं सूँड के गणेशजी: भाग 1 - जयंत विष्णु नारलीकर [Hindi, PDF]
भारत बनाम इंग्लैंड। पुरुष क्रिकेट टेस्ट मैच का दूसरा दिन। इंग्लैंड का पलड़ा भारी। भारत की ओर से गेंदबाज़ी करने आए दाएँ हाथ के गेंदबाज़ प्रमोद रांगणेकर, अचानक बाएँ हाथ से गेंदबाज़ी करके इंग्लैंड को ढेर कर देते हैं। मैच खत्म, प्रमोद एक एम्बुलेंस में बैठकर गायब। यह कैसी उलझन है जो अभी तो उलझना शुरू ही हुई है? पढ़िए, जयंत विष्णु नारलीकर की कौतूहल से भर देने वाली कहानी का पहला भाग। - Why Does the Taste of Water Change When it is Boiled?
पानी को उबालने पर उसके स्वाद में परिवर्तन क्यों हो जाता है? - सवालीराम [Hindi, PDF]
उबला सवाल, स्वादिष्ट जवाब! जानिए, इस बार सवालीराम उबले पानी के स्वाद को लेकर क्या बताते हैं।