पुस्तक अंश                                                                                                                                                                        तीसरी कड़ी

कक्षा में विज्ञान पढ़ाना एक चुनौती भरा काम होता है। प्रयोग और गतिविधियों की मदद से विज्ञान पढ़ाया जा सकता है लेकिन इस विधि में बहुत सारी समस्याएं आ खड़ी होती हैं। ऐसी सब परेशानियों को ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक को तैयार किया गया है।
इस पुस्तक में संकलित प्रयोग तमाम व्यावहारिक संभावनाएं दिखाते हैं। वे शिक्षकों को एक नई शुरुआत करने के लिए प्रेरित करते हैं। परन्तु साथ ही उनसे यह अपेक्षा भी है कि प्रयोगों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को स्थानीय उपलब्धता और उपयुक्तता के अनुसार बदलना होगा। और उससे भी आगे बढ़कर, जैसे-जैसे शिक्षक इस विधि से आगे बढ़ेंगे, बहुत से विचार व गतिविधियां अपने आप ही जुड़ते जाएंगे।
पिछले अंक में हमने परासरण के प्रयोग देखे थे। इस बार श्वसन की प्रक्रिया को समझने के लिए कुछ गतिविधियां दी जा रही हैं।
 
सांस लेना
●   श्वसन की प्रक्रिया में हवा फेफड़ों में जाकर बाहर आती है।
●   जैसे ही सीने और पेट को अलग करने वाली झिल्ली (डायाफ्राम) की मांसपेशियां सिकुड़ती हैं, वैसे ही सीने के अंदर का स्थान फैल जाता है। इस तरह आयतन के बढ़ने के कारण फेफड़ों के अंदर का दबाव घटता है और हवा फेफड़ों के अंदर आती है।
●  सांस द्वारा अंदर ली गई हवा में, बाहर फेंकी हवा के मुकाबले, ऑक्सीजन अधिक और कार्बन डाईऑक्साइड कम होती है। ऑक्सीजन फेफड़ों के जरिए ही रक्त में आती है और रक्त के माध्यम से ही कार्बन डाईऑक्साइड फेफड़ों में जाती है।
●   गैसों का आदान-प्रदान फेफड़ों की झिल्ली के माध्यम से होता है। यह झिल्ली करोड़ों थैलीनुमा कोशिकाओं (एल्वियोली) की बनी होती है।
●  श्वसन एक ऐसी ही चयापचयी प्रक्रिया है जिसमें ऑक्सीजन, भोजन की ऊर्जा को मुक्त करती है और साथ में कार्बन डाईऑक्साइड भी पैदा होती है।

फेफड़ों की क्षमता
आवश्यक सामान
-- बड़ी प्लास्टिक की थैली
-- बाल्टी
-- एक बड़ा तसला या परात
बाल्टी को एकदम ऊपर तक पानी से लबालब भरें और उसे एक बड़ी परात या तसले में खड़ा करें। एक खाली प्लास्टिक की थैली में फेंककर हवा भर लें। फिर थैली को बाल्टी में डुबो दें। बाल्टी में से गिरने वाले पानी को इकट्ठा करें और उसका आयतन नापें।
छात्रों से कहें कि वे एक बार सामान्य रूप से सांस लेकर थैली में हवा भरकर उसका आयतन नापें (लगभग आधा लीटर)। फिर ज़ोर लगाकर थैली में फेंककर आयतन नापें (लगभग 4 लीटर)।
 
डायाफ्राम की क्रिया
आवश्यक सामान
-- एक प्लास्टिक की बोतल
-- गुब्बारा
-- प्लास्टिक की थैली या रबर की शीट
प्लास्टिक की बोतल का पेंदे वाला हिस्सा काट दें। अब गुब्बारे को बोतल के मुंह से इस प्रकार बांधे जिससे वह बोतल के अंदर लटके। बोतल के कटे पेंदे के स्थान पर एक प्लास्टिक की थैली बांधे।
छात्रों से अपने अवलोकनों को दबाव, आयतन, सांस अंदर खींचना, सांस बाहर छोड़ना जैसे शब्दों में वर्णन करने को कहें।

बाहर छोड़ी सांस का परीक्षण

आर्द्रता की मात्रा
आवश्यक सामान
-- बॉलपेन की खाली रीफिल या पारदर्शी स्ट्रॉ पाइप।
एक खाली बॉलपेन की नली या खाली रीफिल को मुंह में रखकर अंदर की ओर सांस खींचें। अब बाहर की ओर नली में से ही सांस छोड़े और नली पर जमी नमी की बूंदों को देखें। एक पारदर्शी प्लास्टिक की थैली के अंदर फूकने पर भी इसी तरह की नमी दिखती है।
क्या नमी की बूंदें सांस अंदर लेने पर या फिर बाहर छोड़ने पर बनती हैं? यह नमी कहां से आती है? ऐसे प्रश्न छात्रों से पूछे।
 
कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा
आवश्यक सामान
-- बॉलपेन की खाली रीफिल या स्ट्रॉ
-- चूने का पानी
बॉलपेन की रीफिल या स्ट्रॉ को चूने के पानी में डालकर उसमें फेंक से बुलबुले बनाएं। कुछ देर बाद चूने का पानी दूधिया हो जाएगा --- यह कार्बन डाईऑक्साइड की उपस्थिति का लक्षण है।
सांस के द्वारा अंदर ली हुई और बाहर फेंकी हुई हवा में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा की तुलना करें।

फेफड़े के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी

आवश्यक सामान
-- कागज़
-- कैंची
फेफड़े को दर्शाने के लिए जमीन पर एक गोला बनाएं। अब ‘फेफड़ों' की परिधि ज्ञात करें। हम मान लेते हैं। कि यह परिधि फेफड़े की सतह को दर्शाती है। अब फेफड़ों में हवा की थैलियों को दर्शाने के लिए उसमें बहुत से छोटे गोले बनाएं। इंसान के हरेक फेफड़े में 35 करोड़ हवा की थैलियां होती हैं।
छात्रों से पूछे कि एक बड़े गोले में कितने छोटे गोले समा सकते हैं।
छोटे गोलों की परिधियों का जोड़ कुल मिलाकर कितना हुआ?
फेफड़े को छोटी-छोटी हवा की थैलियों में बांटने से फेफड़े की सतह के क्षेत्रफल पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
 
हवा की थैली (एल्वियोलस) का मॉडल
आवश्यक सामान
-- लाल और नीले पेंट या स्केच पेन
-- हवा से भरे गुब्बारे
पेंट या वॉटरप्रूफ स्केच पेनों से, फूले गुब्बारों के ऊपर, फेफड़ों की हवा की थैलियों की रक्त-शिराएं बनाएं। लाल नलियों (धमनियों) में ऑक्सीजनयुक्त रक्त होगा और नीली नलियों (शिराओं) में ऑक्सीजन रहित रक्त होगा।

गैसों का आदान-प्रदानः एक खेल
आवश्यक सामान
-- बड़े कागज़ की शीट
-- बोतलों के ढक्कन
-- बीज व पत्थर
 
चित्र में दिखाए अनुसार रक्त नलियां और हवा के थैले बनाएं। उसके बाद छात्र, पत्थरों (ऑक्सीजन), बीजों (कार्बन डाईऑक्साइड) और बोतल के ढक्कनों (लाल रक्त कोशिकाओं) को इस चित्र में सजाएं। पत्थरों को कटोरीनुमा ढक्कनों में उठाकर ले जाया जा सकता है, परंतु बीज केवल रंगहीन रक्त (प्लाज्मा) में इधर-उधर घूम सकते हैं।

गैसों का आदान-प्रदान समझने के लिए एक खेल

आवश्यक सामान

कार्ड या कागज़ के टुकड़े जिन पर R, P, 0, CO2 लिखा हो। (त्रुटि के लिए खेद)
यहां पर मेज़ हवा की थैली या एल्वियोलस दर्शाएगी। छात्र R (लाल रक्त कोशकाएं) या P (प्लाज्मा यानि रंगहीन रक्त) के बिल्ले पहनेंगे। मेज़ के चारों ओर चक्कर लगाने के दौरान R वाले छात्र 0 (ऑक्सीजन) वाला कार्ड उठा लेंगे और P वाले छात्र CO2 (कार्बन डाईऑक्साइड) वाले कार्ड मेज़ पर रख देंगे।