सारस हर साल आम तौर पर सर्दियों में युरोप से पश्चिमी अफ्रीका की ओर उड़ जाते हैं। इस मौसम में युरोप में भोजन की उपलब्धता कम हो जाती है जबकि पश्चिम अफ्रीका में पर्याप्त भोजन मिल जाता है। सारसों की यह प्रवास यात्रा हज़ारों किलोमीटर की होती है। सर्दियां अफ्रीका में बिताने के बाद सारस वापिस युरोप लौट जाते हैं। मगर यदि आसपास ही भोजन मिलने लगे तो इतनी लंबी यात्रा क्यों की जाए। सारसों को अपने आसपास ही एक अजीबोगरीब भोजन का स्रोत मिल गया है - शहरी कचरा भराव स्थल।
इस बात का खुलासा एक फोटोग्राफर जेस्पर डोएस्ट ने किया है जो बरसों से पक्षियों के फोटो खींचते रहे हैं। उनका नया प्रोजेक्ट यह था कि युरोप से उनके प्रवास के पूरे रास्ते में सारसों का पीछा किया जाए। उन्होंने पाया कि ये पक्षी पुर्तगाल में बेजा शहर के एक कचरा भराव स्थल पर डेरा जमाए हुए हैं।
हाल में पक्षियों पर संवेदी उपकरण लगाकर उनकी स्थिति का पता लगाने के अध्ययनों से यह बात उजागर हुई थी कि ये पक्षी अब पश्चिमी अफ्रीका जाने की बजाय दक्षिणी युरोप में ही ठहर जाते हैं। यह भी पता चला था कि (कम से कम लघु अवधि में) युरोप में रुक जाने वाली पक्षियों के जीवित बचे रहने की संभावना ज़्यादा होती है बनिस्बत उन पक्षियों के जो पश्चिमी अफ्रीका तक पहुंचते हैं।
मगर यह तात्कालिक लाभ लंबे समय में घातक हो सकता है। कचरा भराव स्थलों पर भोजन तो प्रचुरता से मिलता है मगर यह भोजन खतरनाक भी हो सकता है। इसमें तमाम किस्म की विषैली धातुएं शामिल होती हैं और ऐसे पदार्थ भी होते हैं जो पक्षियों के लिए गलाघोंटू साबित हो सकते हैं। लिहाज़ा प्रवास मार्ग के इस लघु संस्करण का सारसों पर असर अभी अनिश्चित ही है।
डोएस्ट ने पुर्तगाल के कचरा भराव स्थलों पर हफ्तों बिताए और यह देखकर भौंचक्के रह गए कि इतने सारे पक्षी हमारे उपभोगवादी समाज के कचरे पर पल सकते हैं और यह विषैला कचरा उनकी नियति का निर्धारण कर सकता है। (स्रोत फीचर्स)