वैज्ञानिकों ने मक्खियों में एक जीन खोज निकाला है। यदि इस जीन को निष्क्रिय कर दिया जाए, तो मक्खियों में चिपकने की असीम ताकत आ जाती है और उनकी उम्र घट जाती है। इस जीन की खोज करने वाले सिंगापुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के यिन निंग चियांग और उनके साथियों ने इसे नाम दिया है स्पाइडी (स्पाइडरमैन से प्रेरित होकर)।
स्पाइडी जीन कुछ मक्खियों में शरीर पर एक मोमी परत बनाने के लिए ज़िम्मेदार होता है। यह मोमी परत मक्खियों व कई कीटों को भीगने से बचाती है तथा कई बाहरी शत्रुओं से उनकी रक्षा करती है। इनमें सूक्ष्मजीव तथा पर्यावरण में होने वाले उतार-चढ़ाव शामिल हैं। इसके अलावा इसी मोमी परत में उस मक्खी की उम्र, लिंग और सामाजिक हैसियत की सूचना भी संग्रहित रहती है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि स्पाइडी जीन को निष्क्रिय कर दिया जाए, तो मक्खियों में लिपिड पदार्थों से बनी यह मोमी परत नहीं बन पाती है और इसकी वजह से उनकी आयु में नाटकीय गिरावट आती है। लिपिड परत के अभाव में भोजन जैसे पदार्थ उनकी टांगों पर चिपक जाते हैं। लिपिड परत के अभाव में ऐसे चिपकने वाले पदार्थों की मात्रा बढ़ती जाती है और मक्खियां इस चिपचिपे पदार्थ की वजह से किसी भी सतह से चिपकी रह जाती हैं। यह भी देखा गया है कि कई कीटों में यह मोमी परत न सिर्फ उनकी रक्षा करती है बल्कि उन्हें सही प्रजाति का संभोग साथी चुनने में भी मदद करती है।
इस जीन के बारे में यह जानकारी काफी उपयोगी साबित हो सकती है। सबसे पहले तो वैज्ञानिकों के लिए यह जीन मक्खियों में गंधयुक्त पहचान रसायनों के अध्ययन में सहायक हो सकता है। इससे हमें यह समझने में भी मदद मिल सकती है कि कीटों के विकास और उनमें प्रजातियों के निर्माण में इन रसायनों ने क्या भूमिका अदा की है।

कुछ वैज्ञानिकों को लगता है कि यह जानकारी कीट नियंत्रण में भी काम आ सकती है। स्पाइडी जीन कई कीट प्रजातियों में पाया जाता है। यदि इस जीन को निष्क्रिय करने का कोई आसान तरीका मिल जाए, तो कीटों को सतहों पर चिपकाया जा सकता है और उनकी आयु भी कम की जा सकती है। इसके अलावा, कीटों का लिपिड आवरण उन्हें बाह्य वातावरण से सुरक्षा प्रदान करता है। यदि हम इसकी रासायनिक रचना और संघटन को समझ लेते हैं तो हम ऐसी सतहें बना पाएंगे जो जंग-रोधी हों, या पूरी तरह जल-द्वैषी हों। ऐसी सतहें बहुत उपयोगी होंगी। (स्रोत फीचर्स)