पक्षी एक मुश्किल दुविधा का सामना करते हैं। अपने चूज़ों को लंबी अवधि तक घोंसलों में ही रहने दें या जल्दी से जल्दी उड़ने को प्रेरित करें? यह दुविधा उनके चूज़ों के जीवित रहने की संभाविता से जुड़ी है और हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि निर्णय काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि किसी पक्षी का घोंसला कैसा है।

समस्या यह है कि चूज़े यदि घोंसलों में बने रहें, तो काफी शोरगुल करते हैं। यह शोरगुल शिकारियों के लिए आमंत्रण होता है। अर्थात घोंसले में देर तक बने रहना खतरे से खाली नहीं है। कभी-कभी तो पूरा का पूरा कुनबा ही नष्ट हो सकता है। दूसरी ओर, यदि चूज़े जल्दी उड़ने की कोशिश करें, तो उनके पंख बहुत विकसित नहीं होते और उनके मारे जाने की काफी संभावना होती है। जल्दी घोंसला छोड़ने वाले चूज़ों की मृत्यु दर 70 प्रतिशत तक होती है जबकि देर से निकलने वालों की मृत्यु दर 12 प्रतिशत ही होती है। तो इन दो के बीच निर्णय आसान नहीं होता।

इस दुविधा की खोज सबसे पहले यूएस जियॉलॉजिकल सर्वे के थॉमस मार्टिन ने की थी। अब उन्होंने निर्णय का आधार समझने के लिए मोंटाना विश्वविद्यालय के ब्रोट टोबाल्स्के के साथ मिलकर कुछ प्रयोग किए हैं। टीम ने चूज़ों की उड़ने की दक्षता को समझने के लिए हाई स्पीड वीडियो बनाकर देखे। अपेक्षा के अनुरूप ही कमसिन चूज़ों की उड़ने की क्षमता अत्यंत कमज़ोर थी। इसके बाद उन्होंने एक मटमैली गोरैया (जंको) का विस्तार में अध्ययन किया। उड़ने की क्षमता के मामले में देखा गया था कि इस मटमैली गोरैया के चूज़ों की उड़ान सबसे कमज़ोर थी। आम तौर पर इसके चूज़े 10 दिनों तक ही घोंसले में रहते हैं। टीम ने उन्हें 13 दिनों तक घोंसले में रहने पर मजबूर किया। देखा गया कि जब चूज़े 13 दिनों तक घोंसले में रहे तो उनमें से मात्र 10 प्रतिशत ही घोंसला छोड़ने के सात दिनों के अंदर मारे गए जबकि जल्दी उड़ने वाले चूज़ों में से 30 प्रतिशत मारे जाते हैं।

शोधकर्ताओं का ख्याल है कि कुछ पक्षी हैं जो अपने चूज़ों को ज़्यादा लंबे समय तक घोंसलों में रखते हैं। इनमें अधिकांश वे प्रजातियां हैं जिनके घोंसले ज़्यादा सुरक्षित होते हैं। जैसे पेड़ों की कोटरों में घोंसला बनाने वाली सफेद सीने वाली नटहैच। दूसरी ओर, जो पक्षी ज़मीन पर या खुले में घोंसले बनाते हैं वे अपने चूज़ों को जल्दी घोंसला छोड़ने को मजबूर करते हैं। कारण स्पष्ट है। वे अपने चूज़ों को वहां रखेंगे जहां वे ज़्यादा सुरक्षित हैं। यानी घोंसलों की स्थिति के आधार पर ही यह फैसला हो जाता है कि चूज़े उनमें देर तक रहेंगे या जल्दी हवा में विचरण करने लगेंगे। (स्रोत फीचर्स)