सौ साल जीने का राज़ क्या है? वैज्ञानिकों का एक विचार यह है कि मामला कोशिकाओं से सम्बंधित है। इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए बोस्टन (मैसाचुसेट्स) के वैज्ञानिकों ने शतायु लोगों की स्टेम कोशिकाओं का एक बैंक निर्मित किया है। ये स्टेम कोशिकाएं सामान्य रक्त कोशिकाओं को रीप्रोग्राम करके तैयार की गई हैं। सामान्य कोशिकाएं एक समय के बाद विभाजन बंद करके मर जाती हैं लेकिन स्टेम कोशिकाएं लंबे समय तक जीवित रहती हैं और उनसे विभिन्न किस्म की कोशिकाओं का निर्माण किया जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि इनके अध्ययन से शोधकर्ताओं को दीर्घ व स्वस्थ जीवन के कारकों को समझने में मदद मिलेगी। शुरुआती प्रयोगों से मस्तिष्क के बुढ़ाने को लेकर कुछ सुराग मिले भी हैं।
शतायु लोग दीर्घजीविता को समझने का एक अवसर प्रदान करते हैं। जो लोग सौ साल जी चुके हैं उनमें नुकसान व क्षति से उबरने की ज़बर्दस्त क्षमता होती है। बोस्टन विश्वविद्यालय चोबेनियन व एवेडिसियन स्कूल ऑफ मेडिसिन के स्टेम कोशिका वैज्ञानिक जॉर्ज मर्फी ने बताया है कि उनकी जानकारी में एक शतायु व्यक्ति 1912 के स्पैनिश फ्लू और फिर हाल के कोविड-19 से उबरे हैं। शतायु लोगों की दीर्घायु की एक व्याख्या इस आधार पर की गई है कि उनकी जेनेटिक बनावट में कुछ ऐसी बात होती है जो उन्हें बीमारियों से बचाती है।
लेकिन इस बात की जांच कैसे की जाए? इस उम्र के लोग बहुत बिरले होते हैं जिसके चलते उनकी त्वचा या रक्त के नमूने शोध के लिए बेशकीमती संसाधन होते हैं। इसी से शतायु कोशिकाओं के बैंक का विचार उभरा। जॉर्ज मर्फी ने स्पष्ट किया है कि यह बैंक सभी वैज्ञानिकों के बीच साझा रहेगा। (स्रोत फीचर्स)