Sandarbh - Issue 160 (September-October 2025)
- Hermaphroditic Organism – Both Male and Female by Vipul Keerti Sharma

उभयलिंगी जीव: नर भी और मादा भी - विपुल कीर्ति शर्मा [Hindi, PDF]
प्रजनन सभी प्राणियों के जीवन की एक बुनियादी ज़रूरत है। मगर प्रजनन हमेशा ही दो प्राणियों – नर और मादा – के मिलन से हो, यह ज़रूरी नहीं। जीव जगत इतना विविध और विस्तृत है कि सामाजीकरण से उभरा इन्सानी नज़रिया अपनी सीमाएँ साफ ज़ाहिर करने लगता है। वे जीव जिनमें नर और मादा, दोनों ही प्रकार के जननांग होते हों, वे कैसे प्रजनन किया करते हैं? जीव जगत के अधिकांश फायलम में ऐसे जीव पाए जाते हैं व अधिकांश प्रकार के पौधे भी उभयलिंगी ही होते हैं। तब प्रजनन को समझने के हमारे आम नज़रिए में किस तरह के बदलाव आ सकते हैं, यह विपुल कीर्ति शर्मा के प्रस्तुत लेख को पढ़ते हुए सोचा जा सकता है। - Bel Plant and The Caterpillars of the Lime Butterfly: Part-2 by Yuvan Aves
बेल के पौधे और लाइम तितली की इल्लियाँ: भाग-2 - युवान एविस [Hindi, PDF]
सारा दिन पत्ते खाना और अपना मल निकालकर वहाँ से खसक लेना, यही काम है विचित्र और बेहद दिलचस्प लाइम तितली की इल्लियों का। मगर इस साधारण से बरताव में छिपे हैं उनके जीवन के अनेक पहलू जो मौसमों की मार खाते बेल के पौधे के जीवन से अन्तरंग रूप से जुड़े हैं। पढ़िए इनसे जुड़े खूबसूरत से विवरण, युवान एविस के इस लेख में। - The Magic of Fingers: Part 4 by Aamod Karkhanis. Translation from Marathi to Hindi by Madhav Kelkar
अँगुलियों की करामात - आमोद कारखानीस [Hindi, PDF]
इन्सान की अँगुलियाँ आज कीबोर्ड पर करतब दिखाकर दुनिया का आकार बदल रही हैं, मगर दुनिया को आकार देने का काम यही अँगुलियाँ हज़ारों सालों से करती आई हैं – कभी कलम पकड़कर, कभी हथौड़ा, कभी तीर-कमान पकड़कर तो कभी महज़ खुलते-बन्द होते हुए गिनती करके। मानव समाज में गणित के उद्भव का सफर हम आमोद कारखानीस के लेखों की शृंखला में देखते आ रहे हैं। यही सफर इस लेख में हमें दुनियाभर में अँगुलियों से गिनती करने के अलग-अलग तरीक़ों और उनसे खड़ी हुईं अलग-अलग सभ्यताओं के सामने ले आया है। तो अपनी अँगुलियों को मोड़कर मुट्ठी बाँधिए और चल पड़िए गणित के इतिहास के इस सफर पर। - Electricity – Good, Bad, and Dangerous by Sreekumar Nhalur and Vardhan Gupta
बिजली – अच्छी, बुरी और खतरनाक: बिजली दुर्घटनाओं का विश्लेषण और रोकथाम के उपाय -- श्रीकुमार नहालुर और वर्धन गुप्ता [Hindi, PDF] [English, PDF]
भारत में हर दिन करीब 47 लोग बिजली से जुड़े हादसों में मारे जाते हैं। इस आधुनिक युग में बिजली के बिना जीवन और दुनिया की कल्पना करना नामुमकिन-सा लगता है। बिजली के तारों में मानव समाज का आज और कल जकड़ता भी है और धड़कता भी है। ऐसे में बिजली, उससे जुड़े खतरे, उन खतरों से बचने और निपटने के तरीके जानना-समझना बेहद ज़रूरी बन जाता है। तो आइए, श्रीकुमार और वर्धन के इस लेख में यही करने की कोशिश करते हैं। - Mice, Termites and the Pedagogy of Adharshila: Part 3 by Amit and Jayshree
चूहे, दीमक और आधारशिला का शिक्षाशास्त्र -- अमित और जयश्री [Hindi, PDF]
ज्ञान कहाँ है? किताबों में या लोगों के अनुभवों में? बच्चों के कामों और खेलों में बड़ों का हस्तक्षेप किस हद तक होना चाहिए? आम किताबी शिक्षाशास्त्र से हटकर ज्ञान निर्माण के मौके बनाना, आधारशिला के शिक्षकों की यह एक अहम कोशिश रही है। मगर इस तरह के मौके कई दफा पूर्व-निर्धारित नहीं होते। आधारशिला में कभी-कभी दिन अचानक से फूट पड़ता है, बच्चे चूहों और दीमकों के पीछे भाग पड़ते हैं, वहीं शिक्षक उस भागा-दौड़ी को एक ‘सीखने’ के अनुभव में तब्दील करने के पीछे भागते हैं। पानी की तरह ज्ञान और मज़ा, दोनों ही अपना रास्ता बना लेते हैं। आइए, हम भी उड़द, पानी और शिक्षा के सोते खोजें, अमित और जयश्री के इस लेख में। - Bank of Anand Niketan: Part 3 by Anil Singh
आनन्द निकेतन बैंक: रोज़ के गणित का विस्तार -- अनिल सिंह [Hindi, PDF]
आनन्द निकेतन में बच्चों का एक बैंक था। बच्चों के ही बीच से एक बैंक मैनेजर थी। सभी खाताधारकों के पास अपनी पासबुक थी, पैसे थे, खरीदने की ताकत थी। मगर यह सब किस लिए? और आखिर इतनी जटिल व्यवस्था कैसे जन्मी? गणित से उपजा पैसा और पैसे से उपजा गणित शिक्षण – आनन्द निकेतन का यह किस्सा अनिल अपने इस लेख में पेश करते हैं। - The Dark and Bright Corridors, Tunnels, and Basements of Histories — and the Children Passing Through Them: Part 6 by Prakash Kant
इतिहासों के अँधेरे-उजले गलियारे, सुरंगें और तहखाने और उनसे गुज़रते बच्चे! -- प्रकाश कान्त [Hindi, PDF]
इतिहास के पाठ राजाओं और उनसे जुड़ी जानकारियों से ही क्यों भरे होते हैं? क्या इतिहास में केवल राजा ही रहा करते थे, जनता नहीं? कैसी होती थी वह जनता, क्या करती थी? इतिहास के पाठ यह बताते क्यों नहीं? इतिहास शिक्षण की यह आम समस्या रही है। प्रस्तुत लेख में प्रकाश कान्त इन्हीं सवालों को उठाते हुए, इतिहास शिक्षण के अन्य ज़रूरी पहलू, जैसे स्रोतों की पहचान, स्रोतों से ‘सत्यों’ के निष्कर्ष निकालना आदि पर अपने शिक्षण अनुभवों के ज़रिए रोशनी डालते हैं। - A Collage of Amazing Feelings by Upasana
अद्भुत संवेदनाओं का कोलाज - उपासना [Hindi, PDF]
एक घर की उदासी और उमंगों को एक देश की उदासी और उमंगों से जोड़कर देखना, किसी बच्ची के दो-टूक सवाल के धागों में पूरे समाज की पीड़ाओं को उलझा पाना, एक रंग के कितने-कितने अर्थ गढ़ना – यह सब ईरानी बाल साहित्य की कुछ किताबें पढ़कर करना, उपासना चौबे को एक संजीदा पाठक के तौर पर भी हमारे सामने लाता है। उपासना अपने इस लेख में फारिदेह खल्अतबरी की लिखी किताबों को पढ़ते-पढ़ते चित्रकारों के ब्रश और लेखक की कलम पर ही सवार हो जाती हैं और सीधे उनके ज़हन की खिड़की तक जा पहुँचती हैं – यह झाँकने कि भला किस खयाल ने वह रंग-ओ-हर्फ चुना। खयाल न जँचने पर वे बेझिझक लौटकर अपने ही चश्मे को बेहतर मानकर किताब में रम जाती हैं। उनकी ये समीक्षाएँ कई तहों में अपना असर करती हैं। - Purane Ped Ki Baaten by Sharad Joshi
पुराने पेड़ की बातें - शरद जोशी [Hindi, PDF]
एक पेड़ था। बहुत पुराना था। बहुत पहुँचा हुआ साहित्य समीक्षक! साहित्य में टेस्ट भी एकदम क्लासिकल! नई धारा पर सवाल पूछने पर चुप हो जाता। भला क्यों? उठाइए इस राज़ पर से पर्दा, शरद जोशी के इस बहुत पुराने, मगर ‘नए’ व्यंग्य को पढ़कर। - Why do Two-Wheeled Vehicles Lean on Their Axis while Turning? from Sawaliram
दोपहिया वाहन घुमावदार सड़क पर मुड़ते वक्त अपने अक्ष पर क्यों झुक जाते हैं? - सवालीराम [Hindi, PDF]
सवाल में जिज्ञासा है, अपनी आम समझ के विरुद्ध जाते अवलोकन हैं। जवाब में सवालीराम के पास क्या है? पढ़कर जानिए।
