विचित्र तरह के पैरों की जोड़ी वाला एक जीव है जिसके पिछले पैर घोड़े जैसे और अगले पैर सुअर जैसे थे और वह चूहे जैसा दिखता था। एक संग्रहालय में धूल खा रहे जीवाश्मों के अध्ययन से ऑस्ट्रेलिया के एक प्राणि पिग-फुटेड बेंडिकूट (Chaeropus ecaudatus) के बारे में नई समझ बनी है। यह प्राणि 1950 के दशक में विलुप्त हो गया था।
यह सबसे छोटा स्तनधारी है। इसका वज़न 200 ग्राम था और इसके कई विशिष्ट गुण थे जिनमें पैर प्रमुख तौर पर शामिल हैं। और ऐसा लगता है कि इसमें चरने की क्षमता आसामान्य रूप से जल्दी विकसित हुई थीं।
पर्थ स्थित वेस्टर्न ऑस्ट्रेलियन म्यूज़ियम के कैनी ट्रेवोयूलॉन ने 1970 के दशक में मिले तीन जीवाश्म दांतों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि यह प्राणि एक प्राचीन सर्वभक्षी प्रजाति C. baynesi  से विकसित हुआ था। जो उससे 20 लाख साल पहले रहा करता था।
ट्रेवोयूलॉन का कहना है कि तेज़ी से सूखते चारागाहों के कारण उसने चराई की ओर रुख किया होगा लेकिन चरने की क्षमता का विकास होने की दृष्टि से बीस लाख साल का वक्त बहुत छोटा समय है। उनका कहना है कि आहार के विकास में दसियों लाखों साल का वक्त लगता है। वैसे भी सामान्य तौर पर छोटे स्तनधारी चर नहीं सकते। उनके पास घास को पचाने के लिए बहुत बड़ा पेट नहीं होता है।

विशेष चौंकाने वाली बात यह है कि इसके अगले पैर पर चार उंगलियां और पिछले पैरों पर एक उंगली है। मारसुपियल्स में अगले पैर में पांच उंगलियां और पिछले पैर में कई उंगलियां होती हैं जो उन्हें मां के पेट की थैली में चढ़ने में मदद करती हैं। ट्रेवोयूलॉन का कहना है कि जो जीवाश्म मिला है उसमें उंगलियों की संख्या क्यों कम है इसके बारे में अभी हम कुछ कह नहीं सकते।
युनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथवेल्स के माइकल आर्चर का कहना है कि इस जीव के पैरों में उंगलियों की संख्या कम होने का कारण ऑस्ट्रेलिया के चारागाहों का सूखना हो सकता है जिसकी वजह से ज़मीन सख्त होती गई और उंगलियां परेशानी बन गईं। उनका यह भी कहना है कि कुछ अन्य विलुप्त कंगारु प्रजातियों में भी इसी तरह से उंगलियों का ह्रास देखा गया है। (स्रोत फीचर्स)