भारत डोगरा

जीएम या जेनेटिक रूप से परिवर्तित खाद्य पदार्थों से स्वास्थ्य के लिए बहुत से खतरे हो सकते हैं, अत: बहुत से उपभोक्ता इन्हें नहीं खरीदना चाहते हैं। इसके लिए अनेक देशों में जीएम खाद्यों की बिक्री के लिए अनिवार्य रूप से लेबल लगाने की व्यवस्था है। इससे उपभोक्ता को स्पष्ट पता चल जाता है कि बाज़ार में उपलब्ध कौन-सा खाद्य जीएम है।
हमारे देश में इस बारे में अधिक चर्चा इस कारण नहीं हुई कि अभी केवल कपास की जीएम फसल को मान्यता मिली है व कपास की फसल को खाद्य फसल नहीं माना जाता है। पर कपास के बीज का उपयोग भी खाद्य तेल के लिए होता है। अत: इस पर भी लेबल लगाना ज़रूरी है कि कौन-सा खाद्य तेल जीएम है। इतना ही नहीं हाल के समय में हमारे खाद्य तेलों के मामले में आयात पर निर्भरता बहुत बढ़ गई है। बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात हो रहा है। अभी यह पता नहीं चल रहा है कि कोई आयातित तेल जीएम तिलहन फसल आधारित है या नहीं। यदि कोई जीएम फसल का तेल आयात किया जा रहा है तो उसे अलग से लेबल करना चाहिए। फिलहाल तो उपभोक्ता को इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं होती है।

अत: शीघ्र ही जीएम खाद्यों को बेचने से पहले उन पर जीएम का लेबल लगाने की कानूनी व्यवस्था होनी चाहिए। इस बात की संभावना है कि कुछ बड़े व्यावसायिक हित, कुछ बड़ी कंपनियां व व्यापारी इसका विरोध करेंगे पर उपभोक्ताओं के हित में यह ज़रूरी है।
हमारे देश में खाद्य लेबलिंग व सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भारतीय खाद्य मानक व सुरक्षा प्राधिकरण (FSSAI) की है। देश में इसके 8 क्षेत्रीय कार्यालय हैं, 4 रेफरल प्रयोगशालाएं हैं व 72 स्थानीय प्रयोगशालाएं हैं। अत: इसके विस्तृत कार्यक्षेत्र को देखते हुए जीएम की लेबलिंग की राष्ट्रीय स्तर की ज़िम्मेदारी इस प्राधिकरण को सौंपी जा सकती है।
पर यह ज़रूरी है कि प्राधिकरण निहित स्वार्थों के दबाव में न आए। प्राधिकरण के लखनऊ कार्यालय ने मैगी के स्वास्थ्य पर असर के बारे में सवाल उठाए थे, अन्य बहुराष्ट्रीय व बड़ी कंपनियों के उत्पादों के बारे में सवाल उठाए थे। परन्तु इस प्राधिकरण के लखनऊ कार्यालय को ही बंद करने की कार्रवाई कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मार्च में इस कार्यालय को बंद करने के निर्देश प्राधिकरण ने जारी किए। अन्य संकेत भी मिले हैं कि यह प्राधिकरण अपने नियंत्रण में ढील दे रहा है।
अलबत्ता, तेज़ी से आते जा रहे नए खाद्य उत्पादों के दौर में तो यह ज़रूरी है कि प्राधिकरण उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा में अधिक सक्रियता दिखाए। क्या सरकार इस दिशा में उचित कदम समय पर उठाएगी? (स्रोत फीचर्स)