यदि आपने अपने मोबाइल फोन को खोलकर देखा होगा तो आपको पता होगा कि कई बार उसकी बैटरी फूलकर हवा भरे तकिए के समान नज़र आने लगती है। और जल्दी ही वह काम करना बंद कर देती है। मगर कभी-कभी वह फट भी जाती है जिसके चलते कई हादसे हो चुके हैं। सवाल है कि बैटरी फूलती क्यों है?
कनाडियन लाइट सोर्स, सस्केटून के टोबी बॉण्ड के मुताबिक मोबाइल फोन, टेबलेट, लैपटॉप वगैरह में जो बैटरी लगती है उसकी संरचना की वजह से ही ऐसा होता है। ये लीथियम-आयन बैटरियां होती हैं, जिनकी विशेषता यह है कि ये बहुत हल्की-फुल्की होती हैं और इनमें काफी चार्ज संग्रहित किया जा सकता है।
इन बैटरियों में अक्सर इलेक्ट्रोड एक चादर के रूप में होता है जिसे ब्रेड रोल की तरह लपेटा जाता है ताकि अधिक से अधिक ऊर्जा-जनक परतें बन सकें। इन परतों के बीच तरल पदार्थ भरा होता है। मगर इतनी परतें पास-पास सटी होने का परिणाम यह होता कि यदि इनमें गैसें बनें तो निकल नहीं सकतीं। गैसें इन परतों के बीच भर जाती है और बैटरी फूल जाती है।
बैटरी में गैस बनने के कई कारण हो सकते हैं। हो सकता है कि वह बहुत अधिक गर्म हो रही हो। खास तौर से लगातार उपयोग की वजह सेे ऐसा हो जाता है। यह स्थिति अक्सर फिल्में वगैरह देखने पर पैदा होती है। यह भी हो सकता है कि बैटरी ओवरचार्ज हो जाए या बहुत दिनों तक डिसचार्ज अवस्था में पड़ी रहे। दोनों ही स्थितियों में गैस बनकर बैटरी की परतों के बीच भरने लगती है।
बॉण्ड और उनके साथियों ने उच्च शक्ति के एक्स-रे से अवलोकन किया तो पाया कि जब गैस की मात्रा बढ़ने लगती है तो परतें मुड़कर एक-दूसरे से दूर जाने लगती हैं। संभवत: ये उन स्थानों पर मुड़ती हैं जहां निर्माण के समय कोई दोष रह गया हो। जरनल ऑफ दी इलेक्ट्रोकेमिकल सोसायटी में प्रकाशित उनके इस निष्कर्ष से तो लगता है कि निर्माण प्रक्रिया में सुधार करके बैटरी फूलने की समस्या से बचा जा सकता है।
इसके अलावा एक बात यह भी पता चली है कि गैस बनने की प्रक्रिया इन बैटरियों के तरल घटकों की वजह से पैदा होती है। न्यू लाउथ वेल्स विश्वविद्यालय के नीरज शर्मा का कहना है कि उनका समूह फिलहाल पूर्णत: ठोस बैटरी बनाने के काम में लगा है। किंतु उसको बनाने से पहले कई चुनौतियां हैं।
मगर जब तक वह नहीं होता तब तक इतना तो किया ही जा सकता है कि बैटरी को बहुत गर्म न होने दें। (स्रोत फीचर्स)