कुछ वर्ष पहले 2012 में यह रिपोर्ट आई थी कि प्रयोगशाला में पला-बढ़ा फिगारो नामक तोता एक लकड़ी को छीलकर औज़ार बना लेता है और उसका इस्तेमाल करके काजू निकालकर खा लेता है। मगर तब यह स्पष्ट नहीं था कि वह यह काम सोच-समझकर करता है या बात इतनी ही है लकड़ी को छीलने पर लंबी खपच्ची बन ही जाती है। संभव है कि एक बार लंबी खपच्ची बन गई तो फिगारो ने उसका उपयोग काजू पाने के लिए कर लिया हो। वह प्रयोग विएना विश्वविद्यालय की एलिस ऑर्सपर्ग ने किया था।
मगर ऑर्सपर्ग ने जो संशोधित प्रयोग किया है उससे स्पष्ट हो गया है कि तोता सोच-समझकर एक विशेष आकार का औज़ार बनाता है। इस बार के प्रयोग में एक तो वही तोता - फिगारो था मगर तीन तोते और थे। इन्हें 10 मिनट का समय दिया गया था और करना यह था कि दी गई सामग्री में से ऐसा औज़ार बनाना था कि थोड़ी अंदर रखी हुई काजू खाने को मिल जाए। तीन अलग-अलग प्रयोगों में उन्हें एक बार तो पत्ती वाली टहनी दी गई थी, दूसरी बार लकड़ी का एक टुकड़ा और तीसरी बार कार्डबोर्ड का टुकड़ा दिया गया था।

चारों तोतों ने जल्दी ही पत्ती वाली टहनी से पत्तियां साफ करके अपना औज़ार बना लिया। लकड़ी के टुकड़े में से खपच्ची निकालना तो वे जानते ही थे और इस बार के प्रयोग में भी यह काम उन्होंने आसानी से कर लिया। फिर बारी आई कार्डबोर्ड की। तोतों ने इसमें विशेष हुनर का प्रदर्शन किया। उन्होंने पहले तो कार्डबोर्ड के उस टुकड़े पर चोंच से मार-मार कर छोटे सुराख बना लिए। इन सुराखों से घिरी आकृति एक लंबी टहनी जैसी थी। अब उन्होंने सुराखों की लाइन पर से उस लंबी टहनी को काटकर अलग कर लिया और इसका उपयोग करके काजू हासिल कर ली।
इससे पता चलता है कि उनके दिमाग में औज़ार का एक निश्चित आकार था और दी गई सामग्री में से उन्होंने उस आकार का मानसिक चित्र बनाया और फिर पूरी योजना को अंजाम दिया। गौरतलब है कि इससे पहले एक कौवे ने एक बाल्टी में रखे भोजन के टुकड़े को प्राप्त करने के लिए वहीं रखे गए एक तार से हुक बनाने का करतब कर दिया था। अब लगता है कि यह हुनर कई पक्षी कर सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)