वैज्ञानिकों ने अमेरिका के एक सुअर फार्म में से एक ऐसा बैक्टीरिया खोजा है जो कार्बेपेनीम नामक एंटीबायोटिक दवा का प्रतिरोधी है। यह एक विचित्र स्थिति है क्योंकि कार्बेपेनीम का उपयोग पशुओं पर नहीं किया जाता है। इसका मतलब है कि इन बैक्टीरिया ने यह प्रतिरोध कहीं और से हासिल किया है।
ओहायो स्टेट विश्वविद्यालय पशु चिकित्सा अध्ययन शाला के थॉमस विटम और उनके साथियों ने एक सुअर फार्म से कई नमूने एकत्रित किए थे। इनमें खास तौर से उन स्थानों की पोंछन ली गई थी जो सुअरों और वहां के कर्मचारियों, दोनों के संपर्क में आते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि कम से कम 18 नमूनों में कार्बेपेनीम प्रतिरोधी बैक्टीरिया हैं। ये सारे नमूने उन जगहों के थे जहां सुअर के पिल्लों को रखा जाता है।

आगे खोजबीन करने पर पाया कि जिस जीन की बदौलत इस बैक्टीरिया को यह प्रतिरोध हासिल हुआ है वह उनके छल्लाकार डीएनए (प्लाज़्मिड) पर पाया जाता है। बैक्टीरिया के बीच प्लाज़्मिड का लेन-देन आम है। इससे लगता है कि यह प्रतिरोध बहुत तेज़ी से फैल सकता है।
शोधकर्ताओं को हैरानी इस बात पर है कि कार्बेपेनीम का उपयोग इन पशुशालाओं में नहीं किया जाता। तो, इस एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोध कैसे विकसित हुआ। इसलिए शोधकर्ताओं का मत है कि यह प्रतिरोधी बैक्टीरिया किसी अस्पताल से यहां आया है जहां इस पशुशाला के कर्मचारी जाते होंगे।
यदि यह मान लिया जाए कि प्रतिरोधी बैक्टीरिया किसी बाहरी स्रोत से आया है तो यह प्रतिरोध लंबे समय तक बना नहीं रहना चाहिए। कारण यह है कि जब पशुशाला में कार्बेपेनीम का उपयोग ही नहीं होता है, तो प्रतिरोध लाभदायक नहीं है। इस संदर्भ में यह अवलोकन महत्वपूर्ण है कि प्रतिरोधी बैक्टीरिया सिर्फ पिल्लों में पाया गया है, वयस्क सुअरों में नहीं। इसका मतलब है कि यह बैक्टीरिया बाहर से आया और धीरे-धीरे समाप्त हो गया।
चिंता की बात यह है कि यह प्रतिरोध वहां कई बैक्टीरिया प्रजातियों में देखा गया है। इसका मतलब है कि बैक्टीरिया प्रतिरोधी जीन्स का लेन-देन बहुत तेज़ी से करते हैं। यदि यह बैक्टीरिया वापिस मनुष्य में आ जाए, तो परिणाम घातक हो सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)